नालंदा में मखदूम-ए-जहां के दरबार में लगी है लोगों की कतार
नालंदा के बड़ी दरगाह मोहल्ले में मखदूम-ए-जहां बाबा हजरत शेख शर्फउद्दीन अहमद यहिया मनेरी रह. के आस्ताने पर लगे चिरागां मेले के तीसरे दिन जायरीन की भीड़ उमड़ पड़ी...
नालंदा के बड़ी दरगाह मोहल्ले में मखदूम-ए-जहां बाबा हजरत शेख शर्फउद्दीन अहमद यहिया मनेरी रह. के आस्ताने पर लगे चिरागां मेले के तीसरे दिन जायरीन की भीड़ उमड़ पड़ी । मेला का तीसरा और जुमा का दिन होने के कारण अकीदतमंदों की कतार चादरपोशी के लिए काफी लंबी दिखी। भीड़ इतनी अधिक थी कि चादरपोशी करने वाले जायरीन को काफी देर तक कतार में खड़ा रहना पड़ा। चिरागां मेला के तीसरे दिन स्थानीय लोगों के अलावा देशभर के हजारों अकीदतमंदों ने चादरपोशी की। सुबह से ही जायरीन का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था। शाम होते-होते मेला क्षेत्र में हर ओर सिर्फ लोगों की भीड़ ही नजर आ रही थी। मेले में छोटे बच्चे भी अपने माता-पिता के साथ भीड़ का हिस्सा बने हुए थे।
देर शाम बाबा के सामानों का कराया गया जियारत-:
परम्परा के अनुसार हर वर्ष ईद की सात तारीख को मखदूम-ए-जहां के बचे सामान (तबररुक) को दिखाया जाता है। इसमें अकीदतमंदों की काफी भीड़ उमड़ती है। शुक्रवार की देर रात भी मजार के निकट मखदुम-ए-जहां हजरत शेख शर्फउद्दीन अहमद यहिया मनेरी रह. का सामनों की जियारत कराई गई। इसमें हजारों अकीदतमंदों ने भाग लिया। बाबा की निशानियों को देख श्रद्धालुओं की आंखे नम हो गईं। हाफिज महताब आलम मखदुमी ने लोगों को बताया कि बाबा ने अपना पूरा जीवन गरीबों की सेवा में ही व्यतीत कर दिया था। उनकी किताबों में ऐसी-ऐसी बातें लिखी हैं जिन्हें अपनाकर ही समाज में सुधार की उम्मीद की जा सकती है। बाबा मखदूम के पैगाम को आमजनों तक पहुंचाने की जरूरत है। बाबा के बताये रास्ते पर चल कर आज भी समाज में बेहतर स्थान पाया जा सकता है।
माईक की आवाज से गूंज रहा मेला क्षेत्र-:
बड़ी दरगाह मोहल्ले में लगे चिरागां मेले में हर ओर माईक से कुछ न कुछ ऐलान किया जा रहा है। कहीं मस्जिद की तामीर के लिए चंदा की अपील हो रही है तो कहीं खोए लोगों को बुलाया जा रहा है। पूरा मेला क्षेत्र इस प्रकार की आवाजों से गूंज रहा है। इसके अलावा कहीं डुगडुगी तो कहीं बांसूरी की आती आवाज भी लोगों को मंत्रमुग्ध कर रही है। छोटे बच्चों की किलकारियां भी मेले में गूंजने वाली आवाज का हिस्सा है।