नालंदा : गंगा आंदोलन में मदद को आगे आए लोग
गंगा की धारा को अविरल गति देने के लिए एक बार फिर नालंदा की बेटी ने हरिद्वार में गंगा तपस्या शुरू कर दी है। बिहार ओर गंगा का पुराना दामन चोली का साथ रहा...
गंगा की धारा को अविरल गति देने के लिए एक बार फिर नालंदा की बेटी ने हरिद्वार में गंगा तपस्या शुरू कर दी है। बिहार ओर गंगा का पुराना दामन चोली का साथ रहा है। पहले भी इसके लिए कई बार यहां के लोग आंदोलन कर चुके हैं। कई बार सरकार ने आश्वासन भी दिया। लेकिन, हुआ कुछ नहीं। इसके लिए 34 दिनों से नालंदा की बेटी 23 वर्षीय पद्मावती आमरन अनशन पर हैं। फिर भी सरकार उनकी सुध नहीं ले रही। पद्मावती गंगा सत्याग्रह आंदोलन को अब नालंदा के लोग भी समर्थन देंगे। उनके आंदोलन को गति देंगे। इसके लिए शहर के आईएमए हॉल में शनिवार को पद्मावती गंगा सत्याग्रह समर्थन आंदोलन को लेकर रणनीति तय की जाएगी। इसमें जलपुरुष राजेंद्र सिंह के अलावा शहर के बुद्धीजीवी भी शिरकत करेंगे।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने कहा कि गंगा को निर्मल बनाने के लिए ठोस पहल होनी चाहिए। पहले भी कई बार इसके लिए आंदोलन हुआ। लेकिन, कागजों पर ही सारे दावे प्रतिदावे रह गए। इसे जनआंदोलन देने की आवश्यकता है। बिहारशरीफ सर्किट हाउस में न्यास समिति से जुड़े डॉ. मिथिलेश कुमार, प्रशांत कुमार, रामविलास, अरुण मयंक, नवेंदु झा, दीपक कुमार व अन्य मौजूद थे।
गंगा भक्ति परिषद करे देखभाल:
पानी पंचायत के संयोजक नीरज कुमार ने कहा कि अविरल धारा की देखरेख के लिए गंगा भक्ति परिषद बनायी जाये। इसकी देखरेख में ही सारे काम हों। एक समय था जब गंगा जल से पूजा पाठ होते थे। आज वही गंगा की धारा दूषित होते जा रही है। इसे रोका नहीं गया, तो निर्मल धारा विलुप्त हो सकती है। नालंदा व बिहार के लोग बहन पद्मावती के आंदोलन में हर तरह से सहयोग करेंगे।
श्रम कल्याण केंद्र मैदान में 25 फरवरी से लगेगा पुस्तक मेला:
शहर के श्रम कल्याण केंद्र के मैदान में 25 फरवरी से 5 मार्च तक दस दिवसीय भारतीय शिक्षा संस्कृति महोत्सव सह नालंदा पुस्तक मेला लगेगा। इसमें 100 से अधिक प्रकाशकों की उपयोगी पुस्तकें रहेंगी। सबके लिए अलग-अलग स्टॉल होंगे। इतना ही नहीं, हर दिन स्थानीय कलाकार व मुंबई के नामी गिरामी मुजिब खां की टीम नाट्य मंचन करेंगे। श्री नीरज ने बताया कि लोक कलाएं विलुप्त होती जा रही हैं। इसे बचाए रखना होगा। यही मेरी संस्कृति व सभ्यता की पहचान है। मगही व क्षेत्रिय भाषाओं में नाटक होगा। साथ ही देशभर की हस्तियां इसमें शिरकत करेंगी। इसके लिए स्वागत कमेटी, समारोह कमेटी, मेला नियंत्रण कमेटी, प्रचार समिति व अन्य सहयोगी कमेटियां बनायी गयी हैं। इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार किया जाएगा। ताकि, अधिक से अधिक लोगों का इसका लाभ मिल सके। इन 10 दिनों में 50 से अधिक नाटकों का मंचन होगा।