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नालंदा में ‘कोमल समझाएगी अच्छे व बुरे स्पर्श में फर्क

बच्चों में बढ़ रही यौन शोषण की शिकायत से सरकार के साथ ही शिक्षा विभाग भी चिंतित है। स्कूली बच्चे यौन शोषण को न कहें इसके लिए जिले के सभी स्कूलों में ‘कोमल नामक फिल्म दिखाई...

नालंदा में ‘कोमल समझाएगी अच्छे व बुरे स्पर्श में फर्क
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSun, 28 Oct 2018 09:16 PM
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बच्चों में बढ़ रही यौन शोषण की शिकायत से सरकार के साथ ही शिक्षा विभाग भी चिंतित है। स्कूली बच्चे यौन शोषण को न कहें इसके लिए जिले के सभी स्कूलों में ‘कोमल नामक फिल्म दिखाई जाएगी। स्कूल के एचएम अपनी सुविधा के अनुसार स्कूलों में समय निर्धारित कर फिल्म दिखाएंगे। इसके लिए राज्य परियोजना निदेशक ने विभाग को पत्र भेजकर इसे हर हाल में दिखाने का आदेश जारी किया है।

पत्र में बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सचिव श्वेता मिश्रा ने कहा है कि स्कूल में पढ़ने वाले कम उम्र के छात्र-छात्राओं को गुड टच व बैड टच की समझ नहीं होती है। इस कारण बच्चे यौन शोषण का शिकार हो जाते हैं। इसकी जागरूकता के लिए सभी स्कूलों में कार्यक्रम आयोजित कर कोमल फिल्म दिखाई जाएगी, ताकि छात्र-छात्राएं अपने साथ होने वाले स्पर्श से ही यह अंदाजा लगा सकें कि यह गुड टच है या बैड टच।

विद्यार्थी जान पाएंगे कि छूने की नीयत कैसी है:

इस फिल्म को देखने के बाद छात्र-छात्राएं अपने साथ होने वाले स्पर्श से सारी बातें समझ जाएंगे और इस प्रकार की घटना पर रोक भी लग सकेगी। पत्र में कहा गया है कि आए दिन छोटे-छोटे बच्चे-बच्चियों के साथ यौन शोषण संबंधित वारदातें हो रही हैं। इसकी रोकथाम के लिए फिल्म दिखाने का निर्णय लिया गया है।

अच्छे-बुरे स्पर्श से अनभिज्ञ होते हैं बच्चे:

छोटी उम्र में यौन शोषण के शिकार बने बच्चों के जेहन में इसका असर ताउम्र रहता है। वे इस बारे में किसी से कुछ कह नहीं पाते। क्योंकि, उनका शोषण करने वाला कोई बाहरी नहीं, बल्कि उनके अभिभावकों का कोई करीबी ही होता है। अच्छे और बुरे स्पर्श से अनभिज्ञ बच्चों के कोमल मन पर इसका गहरा असर पड़ता है। बालक-बालिकाओं को ऐसे लोगों से बचने की सीख देने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने चाइल्ड लाइन की ओर से तैयार की गई 10 मिनट की शॉर्ट फिल्म (कोमल) वेबसाइट पर जारी की थी।

स्पर्श की पहचान जरूरी:

इस फिल्म में एनिमेशन के जरिए यह बताया व दिखाया गया है कि किस तरह अभिभावकों के जानने वाले लोग ही गलत हरकतें करते हैं। उनके स्पर्श में छिपी मंशा को फिल्म में विस्तार पूर्वक दर्शाया गया है। फिल्म के अंत में चाइल्ड लाइन का नंबर 1098 भी दिया गया है, जिस पर फोन कर बच्चे अपनी समस्या का समाधान भी पा सकते हैं।

बच्चों से करते रहें बात:

स्कूलों में समय-समय पर बच्चों को यौन शोषण के बारे में जानकारी दी जाने लगी है। इसके बाद भी यौन शोषण के शिकार बच्चे डर, शर्म व हीन भावना से ग्रस्त होकर अपनी समस्या बता नहीं पाते। फिल्म के जरिए अभिभावकों को भी यह संदेश देने की कोशिश दी गई है कि वे अपने बच्चों से समय-समय पर बात करते रहें। उनकी बातचीत ही बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने में मदद करती है।

इन सुझावों पर अमल करें बच्चे:

-किसी भी अंजान व्यक्ति पर न करें भरोसा।

-शरीर के खास हिस्सों को किसी को छूने की इजाजत न दें।

-यदि कोई गलत हरकत करे तो तुरंत शोर मचा दें।

-यदि कोई परेशान करे तो पेरेंट्स व टीचर को बताएं।

-मदद के लिए 1098 नंबर पर चाइल्ड लाइन से संपर्क करें।

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