बड़ी कार्रवाई, पराली जलाने वाले 15 प्रखंडों के 159 किसानों का निबंधन रद्द
बड़ी कार्रवाई, पराली जलाने वाले 15 प्रखंडों के 159 किसानों का निबंधन रद्दबड़ी कार्रवाई, पराली जलाने वाले 15 प्रखंडों के 159 किसानों का निबंधन रद्दबड़ी कार्रवाई, पराली जलाने वाले 15 प्रखंडों के 159...

बड़ी कार्रवाई, पराली जलाने वाले 15 प्रखंडों के 159 किसानों का निबंधन रद्द तीन साल तक इन किसानों को नहीं मिलेगा कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ अभी जारी है जांच व सत्यापन की प्रक्रिया, अन्य किसानों पर भी गाज गिरनी तय फोटो पराली - खेत में जलाये गये फसल अवशेष। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। जागरूकता और चेतावनी के बाद भी पराली जलाने से बाज न आने वाले जिले के किसानों पर कृषि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। खेतों में फसल अवशेष जलाने के दोषी पाये गये 15 प्रखंडों के 159 कृषकों का निबंधन रद्द कर दिया गया है। अब इन्हें तीन साल तक कृषि विभाग की किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। इतना ही नहीं कार्रवाई की जद में और भी किसान आने वाले हैं। वजह, सेटेलाइट लोकेशन के आधार पर पराली जलाने के अन्य मामलों की जांच अभी जारी है। मुख्यालय से मिली रिपोर्ट के अनुसार अबतक नालंदा के 18 प्रखंडों के 452 स्थानों पर धान की कटनी करने के बाद किसानों ने पराली जलायी है। कुल मिलाकर पिछले साल की अपेक्षा इसबार पराली जलाने में किसानों ने रिकार्ड बना दिया है। वह भी तब, जब जिला प्रशासन द्वारा नौ विभागों को आपस में समन्वय बनाकर किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन तथा इसे जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करने की जवाबदेही दी गयी थी। घटने की जगह बढ़ते गये मामले: पराली प्रबंधन के प्रति किसानों को जागरूक करने के दावे चाहे जितने किये जाएं। सच्चाई यह भी कि इसबार जैसे-जैसे धान की कटनी की रफ्तार बढ़ती गयी, वैसे-वैसे फसल अवशेष जलाने के मामले भी बढ़ते है। मुख्यालय से सेटेलाइट लोकेशन के आधार पराली जलाने की चार बार रिपोर्ट भेजी गयी है। आश्चर्य यह कि हर बार पराली में आग लगाने के मामले बढ़ते ही गये। पहली रिपोर्ट में 54, दूसरी में 73, तीसरी में 151 तो चौथी रिपोर्ट में 174 स्थानों पर फसल अवशेष जलाये गये थे। पराली जलाने में हरनौत के किसान सबसे आगे: पराली जलाने में हरनौत के किसान सबसे आगे हैं। इस वजह से सबसे अधिक हरनौत प्रखंड के 39 किसानों का निबंधन रद्द हुआ है। दूसरे स्थान पर चंडी हैं, जहां के 19 किसानों पर कार्रवाई की गाज गिरी है। तीसरे स्थान रहे रहुई के 18 तो चौथे पायदान पर बेन और एकंगरसराय प्रखंड हैं, जहां के 17-17 किसान फसल अवशेष में आग लगाने के दोषी पाये गये हैं। 3 किसानों पर हो चुकी है एफआईआर: अपनी मनमर्जी करने वाले किसानों पर नकेल कसने के लिए इसबार विभाग काफी सख्त है। डीएम ने भी स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि जो किसान दोबारा पराली जलाने के दोषी पाये जाते हैं, उनपर एफआईआर करें। अबतक हरनौत के एक तो बेन के दो किसानों पर दोबारा फसल अवशेष जलाने के आरोप में एफआईआर की गयी है। जबकि, ऐसे अन्य किसानों की सूची तैयार की जा रही है। चेत जाएं, वरना सांस लेना होगा मुश्किल: जिले की हवा की सेहत अच्छी नहीं है। अगर किसान यूं ही पराली जलाते रहें तो सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला तकनीकी पदाधिकारी धनंजय कुमार कहते हैं कि खेतों में पराली जलाने से विभिन्न तरह की जहरीली गैसें निकलती हैं जो वायुमंडल की साफ हवा में मिल कर उसे प्रदूषित करती है। इसके कुप्रभाव से आंख, सांस व फेफड़ों के अलावा कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं। फसल अवशेष में आग जलाने से मिट्टी के मित्र कीट मर जाते हैं। फसलों की उपज प्रभावित होती है। क्या कहते हैं अधिकारी: खेतों में पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई की जा रही है और आगे की जारी रहेगी। जिन-जिन स्थानों पर पराली जलायी गयी है, उसकी जांच प्रखंड व पंचायत स्तर पर तैनात कर्मियों से करायी जा रही है। दोषी किसानों का निबंधन रद्द होगा। उन्हें योजना के लाभ से वंचित किया जाएगा। राजीव कुमार, डीएओ, नालंदा इन पंचायतों के किसानों पर कार्रवाई: बेन - 17 , चंडी - 19, एकंगरसराय- 17, हरनौत - 39, हिलसा - 06, इस्लामपुर - 12, करायपरसुराय - 02, नगरनौसा - 04, नूरसराय - 08, परवलपुर - 11, रहुई - 18, सिलाव - 01, राजगीर - 02, थरथरी- 01, बिहारशरीफ -02
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