जिउतिया : गांवों में कला का होता था प्रदर्शन, अब हो रही लुप्त
जिउतिया का प्रचलन 20वीं शताब्दी में गांवों में खेल-तमाशा के रूप में था, लेकिन 21वीं सदी में यह धीरे-धीरे लुप्त हो रहा है। पहले युवाओं में उत्साह रहता था और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से सामाजिक मुद्दों पर...

जिउतिया : गांवों में कला का होता था प्रदर्शन, अब हो रही लुप्त नाटक के माध्यम से दी जाती थीं जानकारियां, लोगों में रहता था उत्साह आधुनिकता की दौड़ में खत्म होती जा रही पुरानी परंपरा फोटो जिउतिया : जिउतिया के दौरान कला का प्रदर्शन करते युवा। (फाइल फोटो) थरथरी, निज संवाददाता/रौशन कुमार। 20वीं शताब्दी में जिउतिया का प्रचलन खूब था। नौ दिनों तक गांव में खेल-तमाशा का दौर चलता था। लेकिन, 21वीं सदी में गांवों में जिउतिया का प्रचलन धीरे-धीरे समाप्त हो गया। आधुनिकता की दौर में पुरानी परंपरा लुप्त होती जा रही हैं। प्रखंड के मेहतरावां गांव निवासी 62 वर्षीय सुरेंद्र पाण्डेय, शम्भुकान्त शर्मा, रामबालक पासवान व अन्य बताते हैं कि पहले आश्विन मास शुरू होते ही जिउतिया में खेल-तमाशा करने को लेकर युवाओं में गजब का उत्साह रहता था।
मेहतरावां, करियावां, बेरमा, पमारा भतहर, अमेरा, नारायणपुर, कचहरिया, थरथरी, गंगा बिगहा, जैतपुर, जुड़ी, धर्मपुर, मकुनंदन बिगहा व अन्य गांवों के लोग नुक्कड़ नाटक कर लोगों का मनोरंजन करते थे। इसमें धार्मिक, सामाजिक, घरेलू, हास्य कलाकार एवं अन्य मुद्दों को लेकर युवा प्रतिदिन अलग-अलग मंचों पर प्रदर्शन करते थे। इससे सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने का भी संदेश मिलता था। समाज को एकजुट रखता था। 65 वर्षीय अरविंद पांडेय, नरेश प्रसाद, बद्री प्रसाद, नवल प्रसाद, दिनेश कुमार, संतोष यादव, शंकर पासवान बताते हैं कि जिउतिया प्रतिदिन देर शाम को शुरू होता था और चार घंटे तक गांव के कलाकार कला का प्रदर्शन करते थे। बहुरूपिया बन लोगों का मनोरंजन करते थे। इतना ही नहीं जिउतिया व्रत के पारण के दिन जिउतिया कला का प्रदर्शन रातभर चलता रहता था। इसके बाद जिउतिया का समापन किया जाता था। लेकिन, 21वीं सदी में जिउतिया कला द्वारा इस तरह के खेल व प्रदर्शन करने का रिवाज गांव से धीरे-धीरे लुप्त हो गया है। अब कुछ गिने-चुने गांवों में ही जिउतिया के दिन झुमटा निकाल लोग इसका आनंद उठाते हैं। ग्रामीणों ने कहा कि आज के युवाओं को इसकी जानकारी तक नहीं है। जबकि, जिउतिया कला से लोगों को सीखने का मौका मिलता है।
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