Hindi Newsबिहार न्यूज़बिहारशरीफInternational Conference at Nava Nalanda Mahavihara Highlights Guru Padmasambhava s Teachings

नव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्ध

नव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्धनव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्धनव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के...

नव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्ध
Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 29 Aug 2024 04:40 PM
हमें फॉलो करें

नव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्ध दुनिया के विचारों का महाविहार में हुआ संगम गुरू पद्मसंभव के विचारों को जन जन तक पहुंचाने की कही बात विद्वानों ने कहा शांति की दुनिया के विकास की गारंटी दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पढ़े गए 36 शोध पत्र फोटो : नव नालंदा : नव नालंदा महाविहार में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में गुरुवार को शामिल देश विदेश से आए लोग। नालंदा, निज संवाददाता। नव नालंदा महाविहार में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में गुरुवार को समापन हुआ। इसमें देश विदेश से आए लोगों ने 36 शोध पत्र पढ़े। महाविहार के कुलपति प्रो. राजेश रंजन ने कहा कि नालन्दा के संवाद परंपरा को जीवंत कर उसे उत्कर्ष पर ले जाने में इस तरह के आयोजनों की काफी जरूरत है। नव नालन्दा महाविहार बौद्ध विरासतों के संवर्धन व संरक्षण के लिए कटिबद्ध है। आज के समय में पूरी दुनिया में गुरू पद्मसंभव के विचारों को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। शांति ही दुनिया के विकास की गारंटी है। जब तक हम अशांत रहेंगे, कुछ नया नहीं सोच सकते हैं। युद्ध सिर्फ विध्वंस लेकर आता है। इससे किसी का हित नहीं साधा जा सकता है। वहीं शांति हमें अपने अंदर और बाहर दोनों तौर से आगे बढ़ने में मदद करेगा। हम अपनी ऊर्जा को सकारात्मक विकास में लगा सकते हैं। इस आयोजन में संस्कृति मंत्रालय के अभूतपूर्व सहयोग व सम्मेलन के लिए भिक्षु महासंघ व बुद्धिस्ट कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडिया को विशेष धन्यवाद दिया। कुलसचिव डॉ. मीता ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से गुरु पद्मसंभव के विचारों व उनके आदर्शों को पूरी दुनिया में प्रसार किया जा सकेगा। बुद्ध के बाद गुरु पद्मसंभव ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाया है। इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। मौके पर कार्यक्रम समन्वय प्रो. दीपंकर लामा, प्रो. राणा पुरूषोत्तम, डॉ. बुद्धदेव भट्टाचार्य, डॉ. अरुण व अन्य ने अपने विचार व्यक्त किए। इस सम्मेलन में सात शैक्षणिक सत्रों में छात्रों ने 36 शोधपत्र पढ़े। इसमें भारत के अलावा रूस, श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल, भूटान के प्रतिनिधियों ने गुरु पद्मसंभव के जीवन व उनसे जुड़े विभिन्न आयामों पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया। शैक्षणिक सत्र के पहले भाग में उनके जीवनी और मिथक, ब्रजयान बौद्ध अध्ययन व तंत्र तथा पद्मसंभव के साहित्य व कला के योगदान पर शोधपत्र पेश किए गए। वहीं दूसरे भाग में गुरु पद्मसंभव की यात्रा व स्थानीय प्रभाव के साथ उनके विचारों की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर चर्चा की गयी। इस शैक्षणिक समागम में दर्जनों विद्धानों ने उनके जीवनी पर प्रकाश डाला। हजार साल पहले की पांडुलिपियों का किया दर्शन : इसके अलावा नव नालन्दा महाविहार के आचार्यों व शोधछात्रों ने भी समानांतर सत्र में अपनी भूमिका निभाते हुए कई शोध पत्र पढ़े। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. दीपंकर लामा ने बताया कि सम्मेलन में 36 अंतरराष्ट्रीय व 16 राष्ट्रीय वक्ता नव नालन्दा महाविहार के थे। सम्मेलन के समापन के बाद नव नालन्दा महाविहार ने अपने पुस्तकालय के मैनु्क्रिरप्ट सेक्शन को सम्मेलन में आए विद्वानों व वक्ताओं को दिखाया। लगभग हजार साल पहले तक की पांडुलिपियों का लोगों ने दर्शन किया। उसे देख विद्वानों ने काफी प्रसन्नता जतायी। यह नव नालंदा महाविहार की समृद्धता का गवाह बना।

लेटेस्ट   Hindi News,   बॉलीवुड न्यूज,  बिजनेस न्यूज,  टेक ,  ऑटो,  करियर ,और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें