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राजगीर व इस्लामपुर में 5.98 करोड़ की फसल चट कर गया मधुआ कीट

राजगीर व इस्लामपुर में 5.98 करोड़ की फसल चट कर गया मधुआ कीटराजगीर व इस्लामपुर में 5.98 करोड़ की फसल चट कर गया मधुआ...

राजगीर व इस्लामपुर में 5.98 करोड़ की फसल चट कर गया मधुआ कीट
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफFri, 11 Nov 2022 10:31 PM
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राजगीर व इस्लामपुर में 5.98 करोड़ की फसल चट कर गया मधुआ कीट

652 हेक्टयर में तैयार हो चुकी धान फसल को कर दिया तबाह

किसान पीट रहे छाती, कर रहे मुआवजा देने की मांग

फोटो

कीट : भूरा मधुआ कीट लगे खेत का जायजा लेती पौधा संरक्षण विभाग की टीम।

बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि।

किसानों की उम्मीदों पर भूरा मधुआ कीट ने पानी फेर रहा है। धान की तैयार फसलों को बर्बाद कर रहा है। प्रखंडवार पर मधुआ कीट से फसलों को हुए नुकसान का आंकड़ा विभाग जुटा रहा है। अबतक सात प्रखंडों की रिपोर्ट आ चुकी है। पांच में नुकसान का ग्राफ शून्य दिखाया गया है। जबकि, राजगीर और इस्लामपुर में करीब 652 हेक्टेयर लगी फसल को कीट ने तबाह कर दिया है। दोनों प्रखंडों को मिला दें तो करीब पांच करोड़ 98 लाख 53 हजार रुपए की क्षति किसानों को उठाना पड़ा है। प्रभावित धरती पुत्र मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

मधुआ कीट का कहर सबसे ज्यादा राजगीर में बरपा है। खरीफ सीजन में मानसून की बेरुखी से लड़कर भी यहां के किसानों ने 4726 हेक्टेयर में धान की खेती की थी। लेकिन, मधुआ कीट ने 360 हेक्टेयर में पककर तैयार हो चुकी फसल को चट कर गया। औसतन एक हेक्टेयर में 45 क्विंटल उपज मिलती है। धान की सरकारी दर इसबार 2040 रुपए प्रति क्विंटल तय है। उस हिसाब से एक हेक्टेयर में 91 हजार 800 रुपए तो 360 हेक्टेयर में दो करोड़ 68 लाख पांच हजार छह सौ की उपज होती। इस्लामपुर में 11 हजार 117 हेक्टेयर में खेती हुई थी। 292 हेक्टेयर की फसल को कीट ने तबाह कर दिया है। नुकसान का ग्राफ तीन करोड़ 30 लाख 48 हजार के करीब है। विडंबना यह कि कीट से बर्बाद हुई फसल को मवेशी भी नहीं खाते हैं।

5 प्रखंडों में क्षति नहीं, 13 प्रखंडों की रिपोर्ट आनी बाकी:

करायपरसुराय, अस्थावां, नगरनौसा, सरमेरा और रहुई की फसल क्षति की रिपोर्ट वहां के बीएओ ने भेज दी है। पांचों प्रखंडों में नुकसान का आंकड़ा शून्य दिखाया गया है। जबकि, 13 प्रखंडों में अभी सर्वे किया ही जा रही है। हालांकि, जिन प्रखंडों से शून्य रिपोर्ट भेजी गयी है, उसपर किसान सवाल खड़ा कर रहे हैं। उनका कहना है कि मधुआ कीट का प्रकोप कई खेतों में दिखा है। बावजूद, रिपोर्ट में क्षति के आंकड़े नहीं दिखाये गये हैं।

पत्तियों पर नहीं, तने पर करें दवा का छिड़काव :

पौधा संरक्षण के सहायक निदेशक अनिल कुमार कहते हैं कि भूरा मधुआ कीट धान के पौधों में पत्तियों पर नहीं रहता है। तना वाले भाग पर रहकर रस चूसता है। इससे पौधे सूख जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ पत्तियों पर दवा का छिड़काव करने से नियंत्रण नहीं होगा। ध्यान देना होगा कि तना तक दवा पहुंचे। उन्होंने कहा कि सभी प्रखंडों से क्षति की रिपोर्ट आ जाएगी तो उसे कृषि निदेशक के पास भेजा जाएगा।

बनाया गया नियंत्रण कक्ष :

बढ़ते मधुआ कीट के प्रकोप को देखते हुए जिला कृषि कार्यालय में नियंत्रण कक्ष बनाया गया है। यहां के टेलीफोन नंबर 06112-231143 पर किसान मधुआ कीट से संबंधित जानकारी दे सकते हैं। पौधा संरक्षण विभाग के कर्मी से बचाव के तरीके जान सकते हैं। अबतक जिले के आठ प्रखंडों में भूरा मधुआ कीट की पुष्टि हो चुकी है। इनमें एकंगरसराय, राजगीर, सिलाव, इस्लामपुर, कतरीसराय, हिलसा, बिहारशरीफ और नूरसराय शामिल है।

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