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कोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ कम

कोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ कमकोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ कमकोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ...

कोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ कम
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 12 Jun 2021 09:50 PM
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कोरोना इफेक्ट : मई में मार्च की तुलना में 46 फीसदी प्रसव हुआ कम

कोरोना संक्रमण के बावजूद अस्पतालों में प्रसव के लिए तीन माह में आयीं 6898 महिलाएं

फोटो:

हरनौत टेस्ट: हरनौत अस्पताल में शनिवार को महिला के स्वास्थ्य की जांच करते डॉक्टर।

बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान टीम

कोरोना संक्रमण का असर अस्पतालों में होने वाले प्रसव पर भी पड़ा है। मार्च की तुलना में मई में 46 फीसद प्रसव कम हुए। मार्च माह में जब स्थिति लगभग सामान्य थी, तब तीन हजार 110 महिलाएं प्रसव के लिए आयी थीं। जबकि, मई में महज एक हजार 427 प्रसव हुआ। इनमें मार्च, अप्रैल व मई में विभिन्न अस्पतालों में छह हजार 898 प्रसव हुए। इनमें से 333 सीजेरियन थे।

अकेले हरनौत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मार्च के पहले तक 200 से अधिक प्रसव होते थे। जबकि, बंध्याकरण के लिए भी दर्जनों महिलाएं आती थीं। कोरोना संकट के कारण अचानक से इन अस्पतालों में भी प्रसव कराने वालों की संख्या कम हुई। चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि मार्च में यहां 188 तो अप्रैल माह में 144 सामान्य प्रसव कराए गए। कोरोना के कारण मई माह में मात्र 89 महिलाएं ही अस्पताल पहुंची। हालांकि, प्रसव को लेकर सभी व्यवस्था अस्पताल में उपलब्ध थी। शनिवार को यहां प्रसव से संबंधित आठ महिलाएं भर्ती थीं।

अकेले सदर अस्पताल की बात करें, तो यहां भी मार्च की तुलना में 50 फीसदी की कमी रही। मार्च माह में यहां 479 महिलाएं आयीं। इनमें से 99 का सीजेरियन तो अन्य का समान्य प्रसव हुआ। अप्रैल माह में यह घटकर क्रमश: 351 और 94 हो गयी। मई माह में धड़ाम से नीचे आ गया। इस माह में मात्र 241 प्रसव हुए। इनमें से 45 सीजेरियन प्रसव हुए।

संक्रमण का भय दिखाकर ले गए निजी क्लीनिक:

कोरोना संक्रमण का डर इस कदर हावी रहा कि लोग प्रसव के लिए अस्पताल की बजाय निजी क्लीनिक का रूख किया। इसे स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों ने भी कुछ हद तक हवा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। गर्भवती महिलाओं व परिजनों को संक्रमण का भय दिखाकर कई आशा व अन्य स्वास्थ्यकर्मी उन्हें प्रसव के लिए निजी अस्पताल पहुंचाया। जबकि, इस कोरोना संकट काल में अस्पतालों में प्रसव की पूरी सुविधा दी गयी। इसके कारण ही इन अस्पतालों में लॉकडाउन के बावजूद मई माह में एक हजार 427 महिलाओं का प्रसव हुआ।

आंकड़ों की नजर में स्थिति:

माह- प्रसव- सीजेरियन

मार्च- 3110- 103

अप्रैल- 2361- 185

मई- 1427- 45

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