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कोसुक घाट : पंचाने नदी में पानी है लबालब पर सफाई नदारद

संक्षेप: कोसुक घाट पर पंचाने नदी का पानी लबालब है, लेकिन सफाई का काम अब तक शुरू नहीं हुआ है। घाट के किनारों पर झाड़ियाँ और कूड़ा-कचरा फैला है। छठ महापर्व के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने वाली है, ऐसे में...

Wed, 15 Oct 2025 06:18 PMNewswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफ
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कोसुक घाट : पंचाने नदी में पानी है लबालब पर सफाई नदारद

पड़ताल : कोसुक घाट : पंचाने नदी में पानी है लबालब पर सफाई नदारद दोनों किनारों पर उगी हैं झाड़ियां, बिखरे पड़े हैं कूड़ा-कचरा गंदगी का लगा है अम्बार, अबतक नहीं शुरू हुई सफाई फोटो: कोसुक - कोसुक घाट के पास मछली पकड़ते युवा। बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। पंचाने नदी के तट पर स्थिति शहर के कोसुक घाट का काफी महात्म है। घाट को गोविंद नक्षत्र का दर्जा मिला हुआ है। मान्यता है कि राजगीर जाने के क्रम में भगवान श्रीकृष्ण और महावली भीम यहां स्नान किये गये थे। यही कारण है कि छठ महापर्व में यहां श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ती है।

इसबार घाट में पानी लबालब है। लेकिन, नगर निगम द्वारा अबतक सफाई शुरू नहीं की गयी है। कोसुक के मुन्ना मांझी, राणा बिगहा के जितेन्द्र शर्मा, पहड़पुरा के सुरज कुमार कहते हैं कि दोनों किनारों पर झाड़-फूस उगे हैं। गंदगी का अम्बार लगा है। पॉलीथिन और फोम के डब्बे बिखरे पड़े है। विसर्जित प्रतिमाओं के अवशेष और मिट्टी के बर्तन इधर-उधर बिखरे पड़े हैं। पक्की सीढ़ियां नहीं बनी हुई हैं। पानी के नीचे दलदली जमीन और गाद जमी है। इतना ही नहीं घाट के पास ही गिट्टी और बालू का ढेर जमा कर दिया गया है। लोक आस्था का महापर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर से नहाय -खाय के साथ होगी। ऐसे में समय रहते घाट की सफाई नहीं करायी गयी है तो छठ व्रतियों को अर्घ्य देने में परेशानी उठानी पड़ सकती है। इतना ही नहीं इसबार नदी में पानी अधिक है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से अच्छी तरह से बैरिकेडिंग करानी होगी। वरना अनहोनी हो सकती है। घाट के पास एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं: कोसुक घाट पर हर साल छठव्रती अर्घ्य देने आते हैं। बावजूद, यहां नगर प्रशासन द्वारा स्थायी तौर स्ट्रीट लाइटें नहीं लगायी गयी हैं। बिहारशरीफ-राजगीर मार्ग के किनारे इस घाट की उपेक्षा से आसपास के लोग नाराज हैं। उनका कहना है कि जब हर बार यहां छठ के मौके पर मेला लगता है तो प्रशासन को चाहिए की यहां रौशनी की भी उचित व्यवस्था हो। हालांकि, छठ के दौरान नगर निगम द्वारा अस्थायी तौर पर यहां लाइटें लगवाकर रौशनी का इंतजाम किया जाता है। अर्घ्य देने उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़ : दीपनगर, चोरबगीचा, कोसुक, राणा बिगहा, सिपाह, लखरावां, मनियावां, जोरारपुर, टांड़ापर, मीरनगर, श्यामनगर, पहाड़पुरा, बिहारशरीफ के रामचन्द्रपुर, कटरापर, सोहनकुआं, अम्बेर, गढ़पर समेत करीब 50 गांवों के लोग कोसुक घाट पर भगवान भाष्कर को अर्घ्य देने आते हैं। छठ के मौके पर यहां मेला सा दृश्य रहता है। जगह-जगह खेल-तमाशे, झूले, खाने-पीने की दुकानें लगायीं जाती हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर भी लगता है मेला: कोसुक नदी घाट पर कार्तिक पूर्णिमा के अहले सुबह स्नान के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। पूरे घाट के आसपास ग्रामीण मेला सा दृश्य नजर आता है। बुढ़े, युवा व बच्चों की टोलियां यहां पूर्णिमा के दिन चार बजे सुबह से ही जुटने लगते हैं। स्नान और दीप दान कर ईश्वर की आराधना करते हैं। करने होंगे ये काम : 1. घाट की सफाई करानी होगी और अस्थायी सीढ़ियां बनानी पड़ेंगी। 2. पानी के नीचे सतह पर जमी गाद को बाहर निकालना होगा। 3. चकाचक रौशनी के लिए लाइटें लगानी होंगी। 4. कपड़ा बदलने के लिए घाट के दोनों तरफ चेंजिंग रूम बनाने होंगे। 5. नदी में पानी अधिक है, सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग करानी होगी।