आरोप पत्र दाखिल नहीं करने पर केस खारिज
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आरोप पत्र दाखिल नहीं करने पर केस खारिज
छबpलापुर थाना से जुड़ा वर्ष 1999 का है मामला
बिहारशरीफ। विधि संवाददाता
किशोर न्याय परिषद में अपने अजब गजब फैसलों के लिए चर्चित रहे जज मानवेंद्र मिश्रा ने एसीजेएम पांच कोर्ट में योगदान करने के बाद से पुराने मामलों को खंगालना शुरू कर दिया है। इसी दौरान वर्ष 1999 आरोप पत्र के लिए लंबित चले आ रहे मामले में संज्ञान लिया। सुनवाई के बाद केस को खारिज करते हुए अभियुक्त को रिहा भी कर दिया। साथ ही आरक्षी अधीक्षक अशोक मिश्रा को निर्देश दिया कि अनुसंधान पूरी नहीं करने में लापरवाह थानाध्यक्ष के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए इसकी सूचना कोर्ट को दें।
यह पूरा मामला छबीलापुर थाना क्षेत्र से जुड़ा है। इसमें 29 अक्टूबर 1999 को तेजी एवं लापरवाही से ट्रैक्टर चलाकर जख्मी करने के संबंध में छबीलापुर निवासी रामप्रवेश कुमार यादव ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ट्रैक्टर को जप्त कर लिया। आरोपित गया जिला के खीजरसराय थाना क्षेत्र के सर्वदा गांव निवासी वीरेंद्र प्रसाद सिंह ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जमानत लिया एवं ट्रैक्टर को मुक्त कराया। लेकिन, पुलिस ने इसमें अनुसंधान को पूरे 23 वर्षों तक लंबित रखते हुए अब तक आरोप पत्र समर्पित नहीं किया। इसके लिए 28 जुलाई 2015 को तत्कालीन जज ने छबीलापुर थानाध्यक्ष के खिलाफ शोकॉज किया था। लेकिन, पुलिस ने इसका कोई जवाब नहीं दिया। दोबारा 29 जनवरी 2016 को तो तीसरी बार 29 नवंबर 2016 को शोकॉज माांगा था। पुलिस ने इस संबंध में न तो कोई शोकॉज दााखिल किया न ही आरोप पत्र समर्पित किया। इसके बाद जज मानवेंद्र मिश्र ने कार्यभार संभालते ही पुराने मामले को खंगाला। इसमें यह मामला उजागर हुआ। जज श्री मिश्र ने संबंधित थानाध्यक्ष द्वारा घोर लापरवाही बरतने का मामला मानते हुए संबंधित पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई करने के लिए एसपी को निर्देश दिया है।