बिहारशरीफ में नहीं मिली भूमि, राजगीर में होगी तलाश
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बिहारशरीफ संग्रहालय : बिहारशरीफ में नहीं मिली भूमि, राजगीर में होगी तलाश कला एवं संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक ने डीएम को भेजा पत्र राजगीर में 3 एकड़ भूमि तलाश कराने का किया अनुरोध पहले बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में खोजी जा रही थी भूमि बिहारशरीफ में 42 साल से किराये के भवन में चल रहा संग्रहालय फोटो : बिहारशरीफ म्यूजियम : बिहारशरीफ में किराए के भवन में संचालित संग्रहालय। बिहारशरीफ, हमारे संवाददाता/प्रशांत कुमार। बिहारशरीफ संग्रहालय को राजगीर में स्थापित करने की रणनीति बनायी जा रही है। युवा एवं कला संस्कृति विभाग के क्षेत्रीय उप निदेशक डॉ. विनय कुमार ने डीएम शशांक शुभंकर को पत्र भेजकर राजगीर में तीन एकड़ जमीन तलाशने का अनुरोध किया है। ताकि, भवन बनाकर संग्रहालय को उसमें शिफ्ट करायी जा सके। इससे पहले बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र में तीन एकड़ जमीन तलाशी जा रही थी। लेकिन, एक ही जगह तीन एकड़ भूमि उपलब्ध नहीं हो सकी। बिहारशरीफ सीओ प्रभात रंजन ने बताया कि जमीन की तलाश की गयी है। लेकिन, एक जगह जमीन उपलब्ध नहीं है। इसकी सूचना वरीय अधिकारियों को दे दी गयी है। युवा एवं कला संस्कृति विभाग द्वारा वषर 1982 से किराये के भवन में बिहारशरीफ संग्रहालय चलाए जा रहे हैं। पहले धनेश्वरघाट मोहल्ला के एक मकान में संचालित किया जा रहा था। वर्ष 2000 में इसे रेड क्रॉस भवन में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में भी यह संग्रहालय किराये के भवन में ही संचालित हो रहा है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि संग्रहालय का भवन निर्माण कराने के लिए कई साल से अधिकारियों से भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया है। लेकिन, भूमि उपलब्ध नहीं होने की वजह से संग्रहालय का अपना भवन नहीं बनाया जा सका। स्थायी भवन नहीं होने के कारण संग्रहालय का विकास नहीं हो रहा है। 10वीं सदी की दुर्लभ मूर्तियां : नालंदा जिला ऐतिहासिक स्थल है, यह दुनिया में जगजाहिर है। प्राचीन काल से ही ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केन्द्र रहा है। शिक्षा का मुख्य केन्द्र के साथ कई क्षेत्रों में ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस संग्रहालय में हर साल पांच हजार से अधिक लोग आकर प्राचीन संस्कृतियों के अवशेष की जानकारी लेते हैं। खासकर, पाषाण काल की मूर्तियां देखने आते हैं। इसमें नौवीं से 10वीं सदी की की दुर्लभ मूर्तियां और कई देशों के प्राचीन सिक्के संग्रहित हैं। कई कालखंड के सिक्के: संग्रहालय में मुस्लिम शासकों के चांदी और तांबे के सिक्के भी प्रदर्शित हैं, जो उस समय के आर्थिक और राजनीतिक इतिहास को दर्शाते हैं। बिहारशरीफ प्राचीन उदन्तपुरी काल में शिक्षा केन्द्र के साथ-साथ कला का केन्द्र भी रहा है। इसका प्रमाण गढ़पर से प्राप्त मूर्तियों से होता है। इनमें अधिकतर मूर्तियां बिहारशरीफ इलाके की खुदाई से मिली हैं। संग्रहालय में प्रदर्शित मूर्तियों में अवलोकितेश्वर, उमा-महेश्वर, सूर्य, हरिहर, सप्तमातृका, धर्म-चक्र प्रवर्तन मुद्रा में बुद्ध के साथ-साथ अरवी-फारसी लिपि में दो प्रस्तर शिलालेख हैं। दोंनो शिलालेख बिहारशरीफ के बारादरी व छोटी तकिया मोहल्ला से खुदाई में मिली है।
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