अतिक्रमण बनी वजह, 342 जलकरों की बंदोबस्ती लेने से मछलीपालकों ने किये हाथ खड़े
अतिक्रमण बनी वजह, 342 जलकरों की बंदोबस्ती लेने से मछलीपालकों ने किये हाथ खड़ेअतिक्रमण बनी वजह, 342 जलकरों की बंदोबस्ती लेने से मछलीपालकों ने किये हाथ खड़े
अतिक्रमण बनी वजह, 342 जलकरों की बंदोबस्ती लेने से मछलीपालकों ने किये हाथ खड़े सालान मत्स्य विभाग को 22 लाख रुपए राजस्व का उठाना पड़ रहा है नुकसान नोटिस और पत्राचार के बाद भी अतिक्रमण हटाने में अंचल कार्यालय नहीं ले रहा रुचि फोटो जलकर : अतिक्रमित तालाब बिहारशरीफ, कार्यालय प्रतिनिधि। भू-माफियों के आगे मत्स्य विभाग लाचार दिख रहा है। 342 जलकर पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में हैं। मत्स्यजीवी सहयोग समितियां और मछलीपालक ऐसे जलकरों की बंदोबस्ती लेने से हाथ खड़े कर लिये गये हैं। नतीजा, विभाग को सालाना करीब 22 लाख रुपए राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं जलकरों से अतिक्रमण न हटने के कारण मछली उत्पादन पर भी असर दिख रहा है। जिले में विभाग के 829 जलकर (आहर,पोखर व तालाब) हैं। इसका जलक्षेत्र करीब 2108.906 हेक्टेयर है। इनमें से 486 की बंदोबस्ती की गयी है। इससे सालाना करीब 69 लाख रुपए का राजस्व मिल रहा है। शेष जलकर कहीं खेत-खलिहान बन गये हैं तो कई घर-दुकान बना लिये गये हैं। विडंबना यह कि विभाग अतिक्रमण हटाने के लिए एक-दो नहीं, कई बार डीएम के माध्यम से सीओ को नोटिस भेज चुका है। लेकिन, कार्रवाई के नाम पर अंचल कार्यालयों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है। हद तो यह कि जिले के सरमेरा प्रखंड एकलौता है, जहां के सारे जलकरों पर आधा या आंशिक रूप से अतिक्रमण है। शहरी क्षेत्र के जलकरों के पानी मछलियों के अनुकूल नहीं: सबसे अधिक 86 जलकरों पर अतिक्रमण बिहारशरीफ प्रखंड क्षेत्र में किया गया है। कभी इन जलकरों में बड़े पैमाने पर मछलीपालन होता था। अब तालाब के नाम पर कहीं-कहीं कुछ गड्ढे बचे हैं। नालियों के पानी जमा होने से उसकी भी स्थिति नरक जैसी हो गयी है। पानी में अकाबर्निक तत्व के साथ अमोनिया की मात्रा अधिक रहने से मछलियां इनमें पनप नहीं पाती हैं। इतना ही गांवों में भी कई जलकर ऐसे हैं, जिसका इतस्तेमाल घरों से निकलने वाले पानी को जमा करने के रूप में हो रहा है। क्या कहते हैं अधिकारी: जिले के 342 जलकर पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में हैं। इस वजह से मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के सदस्य ऐसे तालाबों की बंदोबस्ती लेने से इनकार कर दिये गये हैं। जलकरों से अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार सीओ से पत्राचार किया गया है। लेकिन, अबतक एक भी जलकर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया है। राजस्व का नुकसान हो रहा है। शंभु प्रसाद, जिला मत्स्य पदाधिकारी, नालंदा
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