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अचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य महकमा

अचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य महकमाअचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य महकमाअचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य...

अचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य महकमा
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 27 Nov 2021 09:10 PM
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अचरज : एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये, ढूढ़ रहा स्वास्थ्य महकमा

4 दिन बाद भी रोग छुपाकर खून देने वाले का पता लगाने में फेल साबित हो रहे अधिकारी व कर्मी

रक्तदाता पति 10 साल से नियमित रूप से सदर अस्पताल से ले रहा दवा, बावजूद नहीं ढूंढ़ पा रहा पता

एचआईवी खून लेने वाली प्रसूता तक पहुंची मेडिकल टीम, 90 दिनों तक महिला रहेंगी मेडिकल टीम की देखरेख में

फोटो:

ब्लड बैंक: सदर अस्पताल स्थित बलड बैंक।

बिहारशरीफ। निज संवाददाता

कोरोना किट घोटाला, वेतन की अवैध निकासी व अन्य गंभीर मामलों के लिए चर्चित रहा है जिला स्वास्थ्य विभाग। लेकिन, इस बार मरीजों की जान से खेलने के उजागर हुए मामले ने विभागीय अधिकारियों व कर्मियों के साथ ही जिला प्रशासन की भी नींद उड़ा दी है। इस मामले की तह तक की तहकीकात शुरू कर दी गयी है। इसमें अचरज की बात सामने यह आयी है कि एचआईवी बांटने वाले दंपती कहां गये। उन्हें स्वास्थ्य महकमा बेशब्री से ढूंढ़ रहा है। अपना रोग छुपाकर खून देने वाले का पता लगाने में चार दिन बाद भी विभाग के अधिकारी व कर्मी फेल साबित हो रहे हैं।

जबकि, सदर अस्पताल की रजिस्टर बताती है कि एचआईवी खून देने वाला व्यक्ति 10 साल से नियमित रूप से सदर अस्पताल से दवाइयां ले रहा है। ऐसे में मरीज का पूरा पता लिया जाता है। बावजूद उसे ढूंढ़ने में अधिकारियों व कमरियों को मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर, एचआईवी खून लेने वाली प्रसूता तक मेडिकल टीम पहुंच चुकी है। उसका ब्लड सैम्पल लेकर एचआईवी जांच के लिए पटना भेज दिया गया है। यह प्राथमिक जांच होगी। 90 दिन बाद फिर से ब्लड सैम्पल लेकर जांच के बाद ही कहा जा सकेगा कि वह महिला एचआईवी पॉजिटिव हुई अथवा निगेटिव। इस कारण, 90 दिनों तक उस महिला को तीन सदस्यीय मेडिकल टीम की देखरेख में रखा जाएगा।

पूरा ब्योरा किया जाता है दर्ज:

एड्स कंट्रोल सोसाइटी की काउंसलर रीता कुमारी ने बताया कि प्रसव के बाद किसी भी महिला की जांच की जाती है। जांच के दौरान यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो उन्हें सुरक्षित तरीके से रहने को कहा जाता है। साथ ही, नियमित दवाइयां दी जाती हैं। विभाग द्वारा इनकी नियमित मॉनिटरिंग भी होती है। दंपती को एड्स संक्रमण के बारे में बचाव के उपाय भी बताए जाते हैं। इस दौरान दंपती का पूरा विवरण लेकर रिपोर्ट में दर्ज की जाती है। बावजूद, महिला ने भी प्रसव के दौरान अपने आपको को एचआईवी पॉजिटिव होने की बात स्वास्थ्यकर्मियों से छुपाई।

सीएस ने जांच के लिए बनायी तीन सदस्यीय टीम:

सीएस डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि इस मामले को लेकर विभाग काफी गंभीर है। आखिर किस स्तर पर गड़बड़ी हुई। इसकी निष्पक्ष जांच करायी जा रही है। इसके लिए तीन सदस्यीय टीम बनायी गयी है। लैब टेक्निशियन संतोष कुमार द्वारा भी स्पष्टीकरण दिया गया है। टीम के सदस्य अन्य कई पहलुओं पर भी जांच कर रहे हैं। जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ताकि, अगली बार से इस तरह की लापरवाही न हो।

क्या था मामला:

3 नवंबर को सदर अस्पताल में प्रसव कराने आयी महिला को रक्त की आवश्यकता थी। उसके पति से खून लेकर ब्लड बैंक ने उसके बदलेएक यूनिट खून दिया। जबकि, पति और पत्नी दोनों ही एचआईवी पॉजिटिव थे। इसकी दवा भी ले रहे हैं। दोनों ने इस बात को छुपाए रखा। प्रसव के बाद जब वह दवा लेने पहुंची, तो इस बाद का खुलासा हुआ। तब तक पॉजिटिव पुरुष से लिया गया खून दूसरी प्रसूता को चढ़ाया जा चुका था।

संक्रमित होने की आशंका:

आईएमए के पूर्व सचिव व जनरल फिजिसियन डॉ. मिथिलेश प्रसाद ने बताया कि रक्तदाता 10 साल से एचआईवी की दवा ले रहा था। ऐसे में वायरल लोड कम होने से संक्रमण फैलने की आशंका कम है। लेकिन, रक्त लेने वाली महिला को अभी 90 दिनों तक हर तरह की सावधानी बरतनी होगी। 90 दिन के बाद उसके रक्त की जांच के बाद ही सही रिपोर्ट आ सकती है। तब तक उसके घर के सदस्यों को भी एचआईवी से संबंधित सभी सावधानियों का पालन करना होगा। रक्त ली गयी महिला के प्रतिरक्षण प्रणाली (इम्यून सिस्टम) व वायरल लोड पर आगे की स्थिति काफी हद तक निर्भर करती है।

आईएमए के पूर्व सचिव डॉ. सुनील कुमार ने बताया कि रक्तदाताओं को इस संबंध में किसी तरह की बात नहीं छुपानी चाहिए थी। सही जानकारी छुपाने से ही ऐसी स्थिति बनी है। छह या सात साल से अधिक समय से दवा लेते रहने से एचआईवी का वायरल लोड काफी नगण्य हो जाता है।

खृन लेने वाली महिला बरते सतर्कता:

तीन माह तक शारीरिक संबंध न बनाए। घर में भी कटने या रक्त बहने की स्थिति में वह रक्त किसी अन्य के सीधे संपर्क में न आए। महिला पूरी तरह से स्वास्थ्य पर ध्यान दे। ताकि, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे। प्रसूता होने के कारण उसके लिए पौष्टिक आहार व सही देखभाल अवश्यक है। भोजन में दूध, मछली, साग-सब्जी, फल व अन्य पौष्टिक आहार लेती रहें। नवजात बच्चे का भी पूरा ख्याल रखा जाये।

दोनों के संक्रमित रहने पर मुफ्त ब्लड की व्यवस्था:

पति-पत्नी दोनों एचआईवी पॉजिटिव हैं, तो उन्हें ब्लड बैंक से मुफ्त में रक्त देने का प्रावधान है। इसके लिए बस उन्हें चल रहे इलाज का ब्योरा देना होता है। इस मामले में दंपती अगर संक्रमित होने की बात नहीं छुपाते, तो बिना रक्त दिए ही उन्हें खून मिल जाता।

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