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नालंदा में स्कूल में खाते हैं खाना, तालाब में बर्तन धोते हैं बच्चे

सरकारें स्वच्छता को बढ़ावा दे रही है। दूसरी तरफ स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे तालाब के गंदे पानी में बर्तन धो रहे हैं। एमडीएम का खाना खाने के बाद स्कूल के बच्चे तालाब में जाकर थाली धोते हैं । इससे बच्चे...

नालंदा में स्कूल में खाते हैं खाना, तालाब में बर्तन धोते हैं बच्चे
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफMon, 11 Dec 2017 08:22 PM
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सरकारें स्वच्छता को बढ़ावा दे रही है। दूसरी तरफ स्कूल के छोटे-छोटे बच्चे तालाब के गंदे पानी में बर्तन धो रहे हैं। एमडीएम का खाना खाने के बाद स्कूल के बच्चे तालाब में जाकर थाली धोते हैं । इससे बच्चे कितने स्वस्थ होंगे यह कोई भी बता सकता है। यह हाल है नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के मोकिमपुर प्राथमिक विद्यालय का। तालाब के पानी में बर्तन धो रहे छोटे-छोटे बच्चे आदिमयुग का नजार दिखा रहे थे। स्कूल का चापाकल पिछले दो साल से खराब पड़ा है। शिक्षा विभाग के पास इसकी मरम्मत के लिए बजट ही नहीं है। मरम्मत के लिए उसे पीएचईडी से गुहार लगानी पड़ती है। इधर ग्रामीण इस बात से आशंकित है कि उनके नौनिहाल किसी हादसे का शिकार नहीं हो जाये।

सोमवार को स्कूल के बच्चे मिड डे मील खाने के बाद तालाब की ओर दौड़े। बच्चे-बच्चियां तालाब में ही थाली धो रहे थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि दो साल से स्कूल में चापाकल खराब है। सर, को कहते हैं पर कुछ होता नहीं है। इधर ग्रामीणों की माने तो पंचायत समिति की बेठक में मुखिया मृत्युंजय कुमार ने चापाकल खराब रहने की शिकायत की थी। उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

यह हाल सिर्फ एक स्कूल का नहीं है। बल्कि प्रखंड के कई ऐसे स्कूल हैं जहां बुनियादी सुविधा तक नहीं है। एक तरफ बच्चों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाया जा रहा है, दूसरी तरफ बच्चों को बीमारियों की ओर धकेला जा रहा है।

उधर, प्रभारी प्रधानाध्यपक विकास कुमार ने बताया कि दो साल से चापाकल खराब है। बीइओ कार्यालय में कई बार शिकायत की गयी है। पीएचईडी को भी लिखा गया है। पर उसकी मरम्मत नहीं हुई।

क्या कहतीं अधिकारी -

बीईओ बिंदु कुमारी ने कहा कि कई स्कूलों से चापाकल खराब रहने की शिकायत मिली है। विभाग के पास इनकी मरम्मत के लिए फंड नहीं आता है। पीएचईडी को इनकी मरम्मती के लिए पत्र लिखा गया है।

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