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हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 22 Jan 2022 09:41 PM
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खबर का असर :

एमडीएम योजना : जल्द ही चावल वितरण से अलग होंगे बीईओ व बीआरपी

28 को होनी थी संवेदक की बहाली, अब फरवरी में प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद

डीईओ व एमडीएम डीपीओ ने कहा-बहाली की तैयारी पूरी

वर्षों से टेंडर के पेच में फंसाकर हर माह पहुंचाया जा रहा था लाभ

फोटो :

एमडीएम : एमडीएम का भोजन करते बच्चे। (फाइल फोटो)

बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान संवाददाता

प्रधानमंत्री पोषण योजना (एमडीएम) के तहत स्कूलों में बीआरपी द्वारा पहुंचाए जा रहे खाद्यान्न का मामला अब तूल पकड़ने लगा है। विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों ने बयान देना शुरू कर दिया है। शनिवार को डीईओ केशव प्रसाद व मध्याह्न भोजन के डीपीओ हेमचन्द ने बताया कि संवेदक की बहाली प्रक्रियाधीन है। 28 जनवरी को ही संवेदक की बहाली होनी थी। लेकिन, अब इसमें समय लग सकता है। उम्मीद है कि फरवरी में प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। दोनों अधिकारियों ने बताया कि बहाली की तैयारी पूरी कर ली गई है। संवेदक की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद चावल वितरण से बीईओ व बीआरपी बाहर हो जाएंगे। सूत्रों के अनुसार वर्षों से टेंडर के पेच में फंसाकर हर माह हजारों का लाभ पहुंचाया जा रहा है।

कहीं साजिश तो नहीं:

इस मामले में अब विभागीय लोग ही सवाल उठाने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि जिस नियम से पिछली बार एमडीएम संवेदक का चयन हुआ। उस नियम को इस बार उसी विभाग के अधिकारियों ने गलत करार दे दिया था। जबकि, पिछली बार उसी नियम को सही करार दिया गया था। विभाग ने वरीय अधिकारियों को गुमराह किया था कि एकल टेंडर को मान्य करार दिया था। उस वक्त विभाग ने माना था कि इसमें अलग-अलग निविदा डाला जाता है। कई प्रखंडों में तो वर्षों पहले से बीईओ व बीआरपी ही ठेकेदार बनकर विभाग चला रहे है।

बड़ा सवाल:

सूत्रों का कहना है कि टेंडर के लिए मार्गदर्शन हो सकता है तो फिर बीआरपी के लिए क्यों नहीं। नियम का हवाला देकर एमडीएम टेंडर को फंसा दिया गया है। विभाग के अधिकारियों की राय से चयन समिति के अधिकारियों ने असहमति जताई तो विभागीय अधिकारियों ने गुमराह कर दिया। उसके बाद फिर संवेदक चयन के लिए एमडीएम निदेशालय से मार्गदर्शन मांगने का हवाला दिया गया। लेकिन, सवाल उठता है कि नियम तो सभी के लिए होता है। फिर यह नियम अलग-अलग क्यों। जब संविदा चयन में नियम के हवाला देकर मार्गदश्रन मांगा गया था तो नियम है कि बीआरपी भी अधिकतम दो माह ही बच्चों का खाद्याान्न वितरण करेंगे। जबकि बीआरपी कई माह से अनाज वितरण कर रहे हैंद्ध

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