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हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 27 Nov 2021 09:10 PM
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न जुटा पैसा तो नहीं भर सकी मैट्रिक का फार्म

न जुटा पैसा तो नहीं भर सकी मैट्रिक का फार्म

बेटी को पढ़ाकर गरीबी दूर करने की थी उम्मीद, वह भी हो गई खत्म

रहुई के मोड़ा तालाब गांव के रहने वाली है छात्रा गायत्री कुमारी

फोटो:

गायत्री-मोड़ा तालाब गांव के घर में छात्रा गायत्री कुमारी व उनकी माता उषा देवी।

बिहारशरीफ। हिन्दुस्तान संवाददाता

राज्य व केंद्र सरकारें लगातार 'बेटी पढ़ाओ बेटी बढ़ाओ' का नारा दे रही है। सरकार की इच्छा है कि बेटी भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर समाज में उच्च स्थान प्राप्त कर सके। लेकिन, अफसोस है कि ये बातें धरातल पर हर किसी के लिए संभव नहीं है। बिहारशरीफ हेड क्वार्टर महज कुछ दूरी पर बसे मोड़ा तालाब की एक छात्रा ने मैट्रिक का फॉर्म इसलिए नहीं भरा क्योंकि, उसके पास इसके लिए पैसा नहीं था। इसका कारण केवल यह है कि उसके ऊपर उच्च जाति के होने का लेवल लगा है।

इस संबंध में छात्रा गायत्री कुमारी के पिता सिया राम सिंह व माता उषा देवी ने बताया कि हम लोग बहुत ही गरीब परिवार के हैं। दो वक्त के खाने तक को अनाज नहीं जुटता है। सिया राम सिंह मजदूरी कर किसी प्रकार परिवार का भरण पोषण कर पाते हैं। इसके बावजूद भी किसी प्रकार की सुविधा इसलिए नहीं दी जाती, क्योंकि हम उच्च जाति से संबंध रखते हैं।

उन दोनों ने बताया कि हमारी बेटी मैट्रिक में है, और वर्ष 2022 में मैट्रिक का परीक्षा देती। लेकिन उसका फार्म पैसा नहीं रहने के कारण नहीं भरा जा सका। फार्म भरने के लिए पैसा जमा करने का बहुत प्रयास किया, लेकिन इंतजाम नहीं हो सका। इस कारण खामोशी से बैठे गयी। उन्होंने बताया कि यह कितने अफसोस की बात है कि केवल उच्च जाति का होने के कारण हमें सुविधाएं नहीं मिली। घर की हालत भी जर्जर है। किसी प्रकार गुजर बसर हो जा रहा है। अगर बेटी पढ़कर कुछ बन जाती तो भविष्य में बेहतर होने की संभावना थी। मगर अब तो बेटी भी मैट्रिक का परीक्षा देने से वंचित हो गयी। इस कारण सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।

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