बिहार में बनेगा कपड़ा और चमड़ा उद्योग का हब, तमिलनाडु में त्रिपुर मॉडल का अध्ययन करने गई टीम
बिहार में कपड़ा और चमड़ा उद्योग का हब बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। बिहार से विशेषज्ञों की टीम ने तमिलनाडु जाकर त्रिपुर मॉडल का अध्ययन किया।
बिहार को कपड़ा और चमड़ा उद्योग के हब के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए बिहार उद्योग विभाग की एक टीम ने तमिलनाडु जाकर त्रिपुर मॉडल का अध्ययन किया। उद्योग विभाग के निदेशक आलोक रंजन घोष की अगुआई वाली टीम ने त्रिपुर और अन्य शहरों के प्रमुख कपड़ा उत्पादकों और विशेषज्ञों से संवाद किया। कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में हो रहे विभिन्न विकास और तकनीक के उपयोग को जाना। इन विशेषज्ञों के साथ बातचीत के जरिए टीम ने कपड़ा उद्योग में इस्तेमाल किए जा रहे उन्नत प्रौद्योगिकियों और प्रक्रियाओं को जाना, जिससे त्रिपुर को वैश्विक पहचान मिली है।
यात्रा के बाद उद्योग निदेशक ने बताया कि त्रिपुर मॉडल लागू करने की संभावनाएं तलाशी गईं। विभाग का लक्ष्य बुनियादी ढांचे, नीतिगत समर्थन और विभिन्न प्रकार के प्रोत्साहन योजनाओं के जरिए राज्य में वस्त्र उद्योग के लिए एक अनुकूल वातावरण तैयार करना और इस क्षेत्र में राज्य को एक नई पहचान दिलाना है। इससे राज्य में रोजगार के भी अनेकों अवसर पैदा होंगे।
इसके अलावा टीम ने जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (जेडएलडी) संयंत्र के संचालन का अध्ययन करने के लिए तमिलनाडु के रानीपेट का भी दौरा किया। रैनिटेक कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के अधिकारियों ने टेनरी अपशिष्ट जल को फिर से उपयोग के योग्य बनाने और इसके 85 फीसदी भाग का पुन: उपयोग करने की अपनी क्षमता पर प्रकाश डाला।
वहीं, उद्योग विभाग और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने चमड़ा निर्यात परिषद चेन्नई के कार्यकारी निदेशक सेल्वम से मुलाकात की। टीम ने वस्त्र निर्माता कंपनी आरके इंडस्ट्रिज का भी दौरा किया। इस टीम को बिहटा में 72 हजार वर्गफुट प्लग एंड प्ले शेड आवंटित किया गया है।