जो चोरी ही नहीं हुई उसी बाइक को चुराने के इल्जाम में 2 छात्रों को भेज दिया जेल, दारोगा ने किया गजब खेल
दोनों छात्रों के वकील मुकेश कुमार ने कोर्ट में पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सदर थाने की पुलिस ने अभिषेक और प्रिंस को गिरफ्तार करने के बाद उनसे पैसों की मांग की थी।
बिहार पुलिस एक बार फिर अपने कारनामे से चर्चा में है। इस बार यह इल्जाम लगा है कि पुलिस ने दो ऐसे लोगों को बाइक चोरी के आरोप में जेल भेज दिया जिन्होंने उस बाइक को चुराई ही नहीं थी। सदर पुलिस का नया कारनामा सामने आया है। दोस्त की बाइक मांग कर शहर आए दो छात्रों को उस बाइक की चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। दोनों युवक बरुराज थाना के हरनाही निवासी अभिषेक कुमार और तुर्की थाना के मादापुर निवासी प्रिंस कुमार एक माह तक जेल में बंद रहे। फिर सदर पुलिस के आईओ ने मामले की जांच के बाद केस डायरी में लिखा कि जब्त बाइक जेल भेजे गए दोनों युवक के दोस्त पंकज कुमार की है। पंकज ने स्वीकार किया है कि उसकी बाइक चोरी नहीं हुई है, बल्कि उसने अपने दोस्त अभिषेक और प्रिंस को चलाने के लिए दी थी।
इस तरह दोस्त की बाइक से शहर आए अभिषेक और प्रिंस को पुलिस ने उसी बाइक की चोरी के इल्जाम में एक माह तक जेल में बंद रखा। कोर्ट ने सभी तथ्य देखने के बाद दोनों को छात्रों को जमानत पर जेल से मुक्त करने का आदेश दिया है। दोनों छात्रों के वकील मुकेश कुमार ने कोर्ट में पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि सदर थाने की पुलिस ने अभिषेक और प्रिंस को गिरफ्तार करने के बाद उनसे पैसों की मांग की थी।
जब दोनों ने नाजायज ढंग से मांगे गए रुपये नहीं दिए तो उन्हें जेल भेज दिया और जब पुलिस की डिमांड पूरी हो गई तो केस डायरी में हकीकत बात लिखकर कोर्ट में पेश की गई। वकील ने कोर्ट को बताया है कि नए कानून (भारतीय न्याय संहिता) में स्पष्ट किया गया है कि हर तरह से जांच के बाद ही किसी को जेल भेजना है, लेकिन सदर थाने की पुलिस ने नए कानून के सभी प्रावधानों को ताक पर रखकर जो बाइक चोरी ही नहीं थी उसकी चोरी के आरोप में जेल भेज दिया है।
दारोगा ने क्या केस बनाया
सदर थाना के दारोगा राजेंद्र कुमार शर्मा ने केस बनाया था। उन्होंने केस में लिखा है, 'वह गश्त पर थे। अहले सुबह तीन बजे खबरा रोड में फरदो पुल के पास देखा कि दो बाइक खड़ी है और पांच युवक वहां पर मौजूद हैं। पुलिस को आता देख एक बाइक से तीन युवक भाग गए। जबकि गिरफ्तार किए गए अभिषेक व प्रिंस भी बाइक स्टार्ट कर भागना चाह रहे थे। उन दोनों को पकड़कर पूछताछ किया गया तो पता चला कि सभी युवक बाइक चोरी के गिरोह से जुड़े हैं और ये लोग तीन बजे सुबह में चोरी की बाइक का सौदा करने फरदो पुल पर जुटे थे। अभिषेक व प्रिंस के पास से मिली बाइक का उन दोनों को कोई कागजात नहीं दिखाया, जिससे यह प्रतीत होता है कि जब्त बाइक चोरी की है।'
दारोगा राजेंद्र कुमार शर्मा के इस बयान पर दर्ज केस की जांच सदर थाना के दारोगा प्रकाश पासवान ने की। आईओ ने केस डायरी के पारा 25, 33, 34 और 39 में बाइक मालिक पंकज कुमार और अन्य गवाहों के बयान से स्पष्ट किया है कि दारोगा राजेंद्र कुमार शर्मा के द्वारा जब्त की गई बाइक चोरी की नहीं है। बल्कि, पंकज ने अपने मित्र को चढ़ने के लिए दिया है।
क्या है प्रावधान
यदि किसी आरोप में किसी की गिरफ्तारी होगी तो गिरफ्तारी से पहले सीनियर अधिकारी पूरी तरह से आश्वस्त हो लेंगे कि आरोप सत्य हैं। जांच में आरोप सत्य पाए जाने के बाद ही किसी आरोपित को जेल भेजा जाएगा। जेल भेजने से पहले डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर तक के अधिकारी सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपित को जेल भेजने का आदेश देंगे। यदि आरोप संदेहास्पद है तो आरोपित को थाना से ही 41 का नोटिस देकर मुक्त करना है। लेकिन, अभिषेक व प्रिंस को जेल भेजने से पहले किसी तरह की छानबीन की जरूरत महसूस नहीं की गई। जिस बाइक को चोरी की बताई गई उसके मालिक से संपर्क तक नहीं किया गया।
परिवहन एक्ट के तहत यदि जांच के समय कोई अपनी गाड़ी का मान्य कागजात प्रस्तुत नहीं करता तो है उस पर जुर्माना होगा। जांच में गाड़ी मालिक को उपस्थित होकर जुर्माने की राशि जमा कराने के साथ सभी मान्य कागजात प्रस्तुत करने होंगे। परिवहन के इस नियम का भी सदर थाने की पुलिस ने पालन नहीं किया। सीधे अभिषेक व प्रिंस पर एक केस दर्ज कर जेल भेज दिया है।
SP क्या बोले…
इसपर सिटी एसपी अवधेश दीक्षित ने काह कि पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी। किन परिस्थितियों में बाइक चोरी के आरोप में दोनों युवक को जेल भेजा गया है और जांच में क्या तथ्य आए हैं? समीक्षा के आधार पर मामले में संबंधितों से जवाब तलब कर आगे की कार्रवाई की जायेगी।
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