बिहार चुनाव: बछवाड़ा में बाढ़ और विस्थापन बड़े मुद्दे, BJP विधायक सुरेंद्र कुमार के सामने बड़ी चुनौती;महागठबंधन भी तैयार
पिछले चुनाव में कांग्रेस के दिवंगत विधायक रामदेव राय के पुत्र शिवप्रकाश गरीबदास महागठबंधन से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। उन्हें 39237 मत मिले थे। इस बार महागठबंधन पुरानी चूक और कमी को दुरुस्त करने में जुटा है। भाजपा सड़क और पुल-पुलियों के जरिए विकास का भरोसा दे रही है।

गंगा, बाया और बलान नदी की बाढ़ और कटाव झेलने वाले बेगूसराय जिले के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र का चुनावी गणित जातीय-सामाजिक गोलबंदी की धारा से तय होता रहा है। यह क्षेत्र मुख्य रूप से भाकपा और कांग्रेस का सियासी अखाड़ा रहा है, जिस पर भाजपा ने पिछले चुनाव में कांटे की टक्कर के बाद भगवा झंडा फहराया। 2020 के विस चुनाव में महज 484 मतों के अंतर से यहां से जीते भाजपा के सुरेंद्र मेहता राज्य सरकार में खेल मंत्री हैं। बछवाड़ा में 1952 से 2020 तक हुए 16 चुनावों में सात बार कांग्रेस और चार बार भाकपा ने जीत दर्ज की। बाकी चुनावों में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी और राजद एक-एक बार जीता।
खास बात यह है कि सिर्फ दो चेहरे कांग्रेस से रामदेव राय व भाकपा से अवधेश राय ही सर्वाधिक बार जीते। इस सीट से जीतने वाले अधिकतर विधायक एक खास जाति के ही रहे हैं। बेगूसराय के विधायक रह चुके सुरेंद्र मेहता को भाजपा ने 2020 के चुनाव में उतारा था, जिन्होंने भाकपा के अवधेश राय को पराजित कर भाजपा का खाता खोला।इस चुनाव में भाजपा के सामने सीट बचाये रखने की चुनौती है, तो महागठबंधन फिर से अपनी खोई जमीन वापस पाने को सक्रिय है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस के दिवंगत विधायक रामदेव राय के पुत्र शिवप्रकाश गरीबदास महागठबंधन से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। उन्हें 39237 मत मिले थे। इस बार महागठबंधन पुरानी चूक और कमी को दुरुस्त करने में जुटा है। भाजपा सड़क और पुल-पुलियों के जरिए विकास का भरोसा दे रही है। उधर, सामजिक गोलबंदी और मजबूत करने महागठबंधन के घटक दल विधानसभा स्तरीय समन्वय समिति गठित कर बूथस्तर पर जनाधार बनाने में लगे हैं। जनसुराज के कार्यकर्ता भी गांव-गांव में पार्टी की सदस्यता अभियान चलाने के साथ घोषणाएं और वादे कर रहे हैं।
बूथस्तर पर पारिवारिक लाभ कार्ड भी बनाए जा रहे हैं। जनसुराज के प्रत्याशी उतारे जाने पर यहां त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बन सकती है। चुनाव से पहले बाढ़ से विस्थापन, क्षति तथा बछवाड़ा को अनुमंडल बनाने का मुद्दा उभरा है। गंगा और बाया की बाढ़ से हर साल चमथा दियारे की पांच पंचायतों की करीब 60 हजार आबादी पीड़ा झेलती है। बलान नदी भी कई गांवों में कहर बरपाती है।
पांच साल में दिखे बदलाव
● मालती-पिपरा पथ का दोहरीकरण
● बछवाड़ा-समसा सड़क का जीर्णोद्धार
● एनएच- 28 रानी पंचवटी चौक से कादराबाद तक सड़क निर्माण
● कादराबाद बलान नदी पर उच्च स्तरीय पुल निर्माण
● दो दर्जन से अधिक स्कूलों में बेंच-डेस्क व उपस्करों की व्यवस्था
मंसूरचक की मूर्ति कला की खास पहचान
मंसूरचक की मूर्ति कला की देश ही नहीं, अपितु विदेशों तक पहचान है। यहां के मूर्ति कलाकारों द्वारा निर्मित प्रतिमाएं श्रीलंका, नेपाल, वर्मा आदि देशों में स्थापित हैं। जम्मू-कश्मीर के डल झील के पास स्थापित बजरंगबली की मूर्ति मंसूरचक के कलाकारों द्वारा निर्मित है।
रामदेव राय 1972 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे। 1977 व 1980 के विस चुनाव में भी वह जीते। 1985 में भाकपा के अयोध्या प्रसाद महतो ने उन्हें पराजित कर दिया। वर्ष 2000 तक यह सीट लगातार भाकपा के कब्जे में रही। 2005 में कांग्रेस से टिकट न मिलने पर रामदेव राय बागी बनकर निर्दलीय उतरे और राजद प्रत्याशी उत्तम यादव को हरा दिया।
इस बार के मुद्दे
● चमथा को प्रखंड एवं बछवाड़ा को अनुमंडल बनवाने की मांग
● राष्ट्रीय उच्च पथ-28 को जोड़ने वाली सभी जर्जर सड़कों का निर्माण कार्य
बछवाड़ा विधायक सह खेल मंत्री सुरेंद्र कुमार मेहता ने कहा कि भरौल और रुदौली में पुल निर्माण योजना का शिलान्यास किया जा चुका है। बलान, बैंती, गंगा ढाब और गंडक नदी पर पुलों की भी स्वीकृति मिल चुकी है। विधायक फंड से 80 छोटी सड़कों का भी निर्माण कराया गया है। चमथा से चिरैयाटोक तक 10 किलोमीटर लंबी सड़क बनी। पांच साल में प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत बछवाड़ा-समसा एवं पंचवटी चौक से कादराबाद तक सड़क और पुल का निर्माण कराया गया है।
बछवाड़ा के पूर्व विधायक, अवधेश कुमार राय ने कहा कि वर्तमान विधायक मंत्री पद पर रहने के बावजूद इलाके में बड़ी परियोजना नहीं ला सके। गांवों को मुख्य सड़क से जोड़ने वाली सभी सड़कें जर्जर हैं। चमथा में पिछले साल आई बाढ़ से ध्वस्त सड़कों की मरम्मत नहीं हुई। डिग्री कॉलेज की भी स्थापना करने के वादा पूरा नहीं हुआ। रोजगार सृजन की व्यवस्था नहीं है। इलाके के मजदूर रोजगार की तलाश में पलायन करने को विवश हो रहे हैं। सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार चरम पर है।
वादे जो पूरे नहीं हुए
● चमथा को प्रखंड व बछवाड़ा को अनुमंडल बनाना, डिग्री कॉलेज की स्थापना
● मुख्य सड़क से गांवों को जोड़ने वाली छोटी सड़कों का निर्माण कार्य
● भगवानपुर प्रखंड के चौर में जल जमाव की समस्या से किसानों को निजात
● झमटिया घाट पर श्रावणी मेले को राजकीय मेला का दर्जा दिलवाना
साल - प्रत्याशी एवं पार्टी
1952 - मिट्ठन चौधरी (कांग्रेस)
1957 - राम बहादुर शर्मा (प्रसोपा)
1962 - गिरीश कुमारी (कांग्रेस)
1967 - राम बहादुर शर्मा (संसोपा)
1969 - भुवनेश्वर राय (कांग्रेस )
1972 - रामदेव राय (कांग्रेस )
1977 - रामदेव राय (कांग्रेस )
1980 - रामदेव राय (कांग्रेस)
1985 - अयोध्या प्रसाद महतो (सीपीआई)
1990 - अवधेश राय (सीपीआई)
1995 - अवधेश राय (सीपीआई)
2000 - उत्तम यादव ( राजद )
2005 - रामदेव राय ( निर्दलीय )
2010 - अवधेश राय ( सीपीआई )
2015 - रामदेव राय ( कांग्रेस )
2020 - सुरेंद्र कुमार मेहता (भाजपा)




