
बिहार इलेक्शनः 6 चुनावों से इन 13 विधानसभा सीटों पर 3 दलों का कब्जा; BJP सबसे ऊपर
संक्षेप: चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2000 से 2020 तक के विधानसभा चुनाव में जिन 13 सीटों पर लगातार दलों का कब्जा है, उनमें भाजपा के पास सबसे अधिक नौ सीटें हैं।
Bihar Election: किसी विधानसभा सीट पर लगातार किसी एक दल की जीत बड़ी चुनौती होती है। बिहार में ऐसी सीटों की संख्या कम है, जिस पर चुनाव में कोई एक दल (पक्ष या विपक्ष) लगातार जीत रहे हों। पिछले छह चुनावों की तुलना करें तो राज्य में सिर्फ 13 ऐसी सीटें हैं, जिन पर अब तक तीन दल ही जीत रहे हैं, जबकि 26 सीटें ऐसी हैं, जिन पर लगातार पांच चुनाव से इन्हीं तीन दलों का कब्जा है। लगातार सीटों को अपने पाले में करने में भाजपा शीर्ष पर है।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2000 से 2020 तक के विधानसभा चुनाव में जिन 13 सीटों पर लगातार दलों का कब्जा है, उनमें भाजपा के पास सबसे अधिक नौ सीटें हैं। दो-दो सीटें जदयू और राजद के पास है। भाजपा के पास रामनगर, चनपटिया, रक्सौल, बनमनखी, पूर्णिया, हाजीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब और गया टाउन है। सुपौल और आलमनगर पर जदयू तथा दरभंगा ग्रामीण और बेलागंज पर राजद का लगातार कब्जा है। हालांकि लोकसभा चुनाव के बाद पिछले साल हुए उपचुनाव में बेलागंज राजद के हाथ से खिसक गया।
बिहार विभाजन के बाद फरवरी 2005 में पहली बार चुनाव हुआ। हालांकि किसी दल को बहुमत नहीं मिलने से तब सरकार का गठन नहीं हो सका था। तब से लेकर अब तक हुए चुनावों में 24 सीटें ऐसी हैं जिन पर दलों का लगातार कब्जा बरकरार है। इनमें भाजपा आगे है। भाजपा 11 सीटों पर पिछले पांच चुनावों से जीत हासिल कर रही है, जबकि जदयू 10 और राजद तीन सीट पर लगातार पांच चुनावों से जीत हासिल कर रहा है। सरकार नहीं बनने के कारण अक्टूबर, 2005 में हुए चुनाव से लेकर अब तक 33 सीटें ऐसी हैं, जिस पर पार्टियों का कब्जा बरकरार है। इनमें भी सबसे अधिक भाजपा के खाते में 15 सीटें हैं। जदयू 14 और राजद चार सीटों को लगातार चार चुनावों से जीत रहा है।
इन सीटों पर राजद ने नहीं लड़ा कभी चुनाव
इन सीटों में रामनगर, नरकटियागंज, लौरिया, नौतन, चनपटिया, बेतिया, सिकटा, रक्सौल, गोविंदगंज, रीगा, बेनीपट्टी, फुलपरास, फारबिसगंज, अररिया, सिकटी, बहादुरगंज, अमौर, कस्बा, बनमनखी, पूर्णिया, कदवा, बलरामपुर, मनिहारी, कोढ़ा, महाराजगंज, मांझी, विभूतिपुर, मटिहानी, बेगूसराय, खगड़िया, बेलदौर, भागलपुर, सुल्तानगंज, बरबीघा, अस्थावां, राजगीर, नालंदा, हरनौत, बाढ़, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, बिक्रम, अगियांव, तरारी, बक्सर, डुमरांव, राजपुर, घोसी, हिसुआ, वारिसलीगंज, सिकंदरा, झाझा आदि शामिल हैं।
हैट्रिक लगाने में भाजपा सबसे आगे
वर्ष 2010 के चुनाव में एनडीए को दो-तिहाई बहुमत हासिल हुआ था। उसके बाद से अब तक तीन चुनाव हो चुके हैं। जीत की हैट्रिक लगाने में एनडीए का पलड़ा भारी है। 57 सीटों पर पिछले तीन चुनावों से दलों ने हैट्रिक लगाई है। इनमें भाजपा सबसे अधिक 24 सीटों पर हैट्रिक लगा चुकी है। जदयू ने 23 तो राजद 10 सीटों पर लगातार पिछले तीन चुनावों से जीत हासिल कर रहा है। 2015 में राज्य में नया समीकरण बना। एक-दूसरे के धुर विरोधी जदयू-राजद साथ मिलकर चुनाव लड़े। लेकिन 2020 में एक बार फिर पुराना समीकरण ही बन गया और जदयू-भाजपा मिलकर चुनावी मैदान में उतरे। चुनाव परिणाम पर इसका साफ असर दिखा। 2015 और 2020 की तुलना करें तो 115 सीटें ऐसी हैं जिन पर दलों ने दूसरी बार कब्जा जमाए। इसमें राजद ने बाजी मारी है। राजद के हिस्से में 38 सीटें ऐसी हैं जिन पर वह लगातार दो चुनावों में जीत हासिल की। भाजपा 36 सीटों पर तो जदयू 28 सीटों पर लगातार दो चुनावों में जीत का परचम लहराया है। कांग्रेस आठ तो भाकपा माले को पांच सीटों पर लगातार दो चुनावों में जीत मिली है।
56 सीटों पर अब तक नहीं जीत सका है राजद
जनता दल से अलग होकर 1997 में बना राजद अब तक छह विधानसभा का चुनाव लड़ चुका है। इनमें तीन चुनाव ऐसा रहा है जब वह राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी। स्थापना काल के बाद हुए पहले चुनाव 2000 में राजद 124 सीटों पर जीत हासिल कर अव्वल रहा। 2015 के चुनाव में पार्टी को 80 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2020 के चुनाव में भी पार्टी ने सबसे अधिक 75 सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन राज्य की ऐसी 56 सीटें हैं जिस पर पार्टी को अब तक जीत हासिल नहीं हो सकी है। हालांकि गठबंधन में चुनाव लड़ने के कारण राजद इनमें से कुछ सीटों पर कभी चुनाव नहीं लड़ा है।





