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70 में से 27 चाहिए जिताऊ सीटें, बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच खींचतान? किन सीटों पर INC की नजर

70 में से 27 चाहिए जिताऊ सीटें, बिहार में राजद-कांग्रेस के बीच खींचतान? किन सीटों पर INC की नजर

संक्षेप: Bihar Elections 2025: 2020 में, राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 75 पर जीत हासिल की थी और 17 सीटों पर 5,000 से कम वोटों से दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस के मानदंडों के अनुसार, राजद के लिए ये 92 सीटें अच्छी हैं।

Tue, 16 Sep 2025 08:22 AMPramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली
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Bihar Elections 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अब करीब दो महीने ही रह गए हैं। ऐसे में सभी गठबंधनों के बीच सीटों के बंटवारे पर चर्चा जोर पकड़ रही है। विपक्षी महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर बातचीत जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षाएं और मांगें सामने आ रही हैं। राजद की अगुवाई वाले इस महागठबंधन में दूसरे सबसे बड़े दल कांग्रेस ने पिछले हफ्ते जिताऊ सीट की मांग कर सीट बंटवारे को न सिर्फ पेचीदा बना दिया है बल्कि यह कौतूहल भी पैदा कर दिया है कि आखिर कौन सी सीटें जिताऊ हैं और कौन सी हारने वाली?

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सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने 243 सदस्यों वाली विधानसभा में 70 सीटों की मांग की है लेकिन इनमें से 27 वैसी सीटों की डिमांड की है, जो जिताऊ हैं। यानी जहां पार्टी उम्मीदवाकर की जीत की संभावना ज्यादा है। कांग्रेस के मुताबिक, अच्छी या जिताऊ सीटें वे हैं, जहाँ पार्टी ने पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 के विधानसभा चुनावों में या तो जीत दर्ज की थी या बहुत कम मार्जिन से चुनाव हारी थी।

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किन सीटों पर कांग्रेस की नजर?

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कांग्रेस के एक नेता ने कहा, “हमारा दावा उन सभी 19 सीटों पर होगा जो कांग्रेस ने 2020 के चुनावों में जीती थीं और उन सीटों पर भी जहाँ पार्टी के उम्मीदवार लगभग 5,000 वोटों के अंतर से हारे थे। मौजूदा माहौल में, जब राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा ने पूरे बिहार में इंडिया ब्लॉक कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है, हमें यकीन है कि हम सहयोगियों के सहयोग से ऐसी सीटें जीत सकते हैं।”

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बता दें कि 2020 के चुनावों में, कांग्रेस ने कुल 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 19 पर ही जीत हासिल की थी। 2015 के विधानसभा चुनावों में, पार्टी ने 41 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार भी, कांग्रेस 70 सीटों के लिए दबाव बना रही है, खासकर राहुल गांधी की हालिया यात्रा के मद्देनजर। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस की 27 जिताऊ और अच्छी सीटों में वे सीटें शामिल हैं, जिन पर 2020 में जीत दर्ज की जा चुकी है। ऐसी सीटों की संख्या 19 है। इसके अलावा 8 ऐसी सीटें हैं, जहां पार्टी को लगभग 5,000 वोटों से हार मिली थी। लिहाजा, पार्टी चाहती है कि 2025 में भी कांग्रेस को ये 27 सीटें मिलनी चाहिए।

राजद के लिए कितनी सीटें अच्छी और जिताऊ?

2020 में, राजद ने 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 75 पर जीत हासिल की थी और 17 सीटों पर 5,000 से कम वोटों से दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस के मानदंडों के अनुसार, राजद के लिए ये 92 सीटें अच्छी हैं। इसके अलावा महागठबंधन के दूसरे सहयोगी दल CPI (ML) लिबरेशन ने 19 में से 12 सीटें जीती थीं, जबकि दो पर 5000 वोटों के कम मार्जिन से हारी थी। उसके लिए 14 अच्छी सीटें हैं। CPI (M) और CPI ने भी 2020 के चुनावों में दो-दो सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि एक-एक सीट पर 5000 से कम वोटों के अंतर से हारी थी। उन दोनों के लिए भी तीन-तीन अच्छी सीटें हैं।

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बता दें कि कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने कहा है कि हर राज्य में अच्छी और बुरी सीटें होती हैं। अल्लावरु पहले ही तहचुके हैं कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि एक पार्टी को सभी अच्छी सीटें मिलें और दूसरी को बुरी सीटें। सीटों के बंटवारे में अच्छी और बुरी सीटों के बीच संतुलन होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि सीटों का बंटवारा इस तरह नहीं होना चाहिए कि कांग्रेस को केवल वही सीटें मिलें जहाँ राजद और अन्य सहयोगी पिछले चुनावों में नहीं जीत पाए थे। साथ ही, ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि एक ही पार्टी को वे सभी सीटें मिल जाएँ जहाँ सामाजिक समीकरण महागठबंधन के पक्ष में हों।

Pramod Praveen

लेखक के बारे में

Pramod Praveen
भूगोल में पीएचडी और पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर उपाधि धारक। ईटीवी से बतौर प्रशिक्षु पत्रकार पत्रकारिता करियर की शुरुआत। कई हिंदी न्यूज़ चैनलों (इंडिया न्यूज, फोकस टीवी, साधना न्यूज) की लॉन्चिंग टीम का सदस्य और बतौर प्रोड्यूसर, सीनियर प्रोड्यूसर के रूप में काम करने के बाद डिजिटल पत्रकारिता में एक दशक से लंबे समय का कार्यानुभव। जनसत्ता, एनडीटीवी के बाद संप्रति हिन्दुस्तान लाइव में कार्यरत। समसामयिक घटनाओं और राजनीतिक जगत के अंदर की खबरों पर चिंतन-मंथन और लेखन समेत कुल डेढ़ दशक की पत्रकारिता में बहुआयामी भूमिका। कई संस्थानों में सियासी किस्सों का स्तंभकार और संपादन। और पढ़ें
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