बढ़ते वायु प्रदूषण से युवाओं को लग रहा दिल का रोग
शहर में बढ़ रहा वायु प्रदूषण व गाड़ियों से निकलने वाला काला जहर युवाओं को दिल का रोग दे रहा है। बीते एक दशक में वायु प्रदूषण (वायु गुणवत्ता सूचकांक) में तीन गुनी जबकि शहर में वाहनों की संख्या में 10...
शहर में बढ़ रहा वायु प्रदूषण व गाड़ियों से निकलने वाला काला जहर युवाओं को दिल का रोग दे रहा है। बीते एक दशक में वायु प्रदूषण (वायु गुणवत्ता सूचकांक) में तीन गुनी जबकि शहर में वाहनों की संख्या में 10 गुनी तक वृद्धि हो चुकी है।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. बीरेंद्र कुमार बताते हैं कि वायु प्रदूषण व वाहनों से निकल रहे धुएं, धूम्रपान करने या धूम्रपान से निकलने वाले धुएं के शरीर में जाने से फेफड़ों को नुकसान पहुंचने के साथ ही हृदय पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। हवा में मौजूद सूक्ष्म कण हृदय की कार्यप्रणाली पर बुरा असर डालता है। साथ ही हृदय का तेज या कम धड़कना, खून की नली के डैमेज होने व कम उम्र में हार्ट अटैक, हृदय की मांसपेशियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
तेजी से बढ़े कोरोनरी हार्ट डिजीज के मामले
डॉ. बीरेंद्र कुमार बताते हैं कि बीते एक दशक में रुमेटिक हार्ट डिजीज (जोड़ों के कारण होने वाला हृदय रोग) के मामले कम हुए हैं तो कंजेनाइटल हार्ट डिजीज (जन्मजात हृदय रोग) के मामले स्थिर हैं लेकिन इस दौरान कोरोनरी हार्ट डिजीज (हृदय की धमनी से संबंधित रोग) के मामले दो से तीन गुना बढ़े हैं। चिंता की बात यह भी है कि कोरोनरी हार्ट डिजीज के बीमारों में करीब 30 प्रतिशत ऐसे लोग होते हैं जिनकी उम्र 30 से 40 साल के बीच होती है।
हृदय रोग के पांच प्रमुख कारण
- बढ़ता वायु प्रदूषण व वाहनों से निकलता धुआं
- हाई बीपी, शुगर की बीमारी व अत्यधिक वसायुक्त पदार्थों का सेवन
- आरामतलबी की जिंदगी
- व्यायाम से दूर होते युवा
- तनावपूर्ण जिंदगी
- धूम्रपान व मोटापा
ये करेंगे तो नहीं सताएगा दिल का रोग
- आलस्यपूर्ण जीवन शैली को त्यागें
- तनाव को खुद पर हावी न होने दें
- खाने में हरी सब्जियां, फल की मात्रा बढ़ाएं
- नियमित व्यायाम की आदत डालें
- 30 साल के बाद हर तीन माह पर बीपी, शुगर व लिपिड प्रोफाइल की जांच कराएं