अपर इंडिया एक्सप्रेस पर कब पड़ेगा महोत्सव का अमृत
आजादी के विरासत को सहेज रहा रेलवे, पर अपर इंडिया को बिसार दिया पहले रद्द

भागलपुर, वरीय संवाददाता। आजादी के अमृत महोत्सव पर रेलवे आजादी के विरासत को सहेज रहा है। कई जगहों पर स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित ट्रेन सेवा शुरू की जा रही है। यह अच्छी पहल है, लेकिन अफसोस कि रेलवे ने भागलपुर रेलखंड पर आजादी के पहले से चलने वाली और कोलकाता से दिल्ली को जोड़ने वाली पहली ट्रेन अपर इंडिया को बिसार दिया है। कोरोना काल के पहले से इस ट्रेन को रद्द किया गया और फिर टाइम टेबल से ही बाहर कर दिया। इस ट्रेन की सेवा बंद हो गई है। अब जब आजादी के अमृत महोत्सव के मद्देनजर पुराने रेलखंडों पर ट्रेनें चलायी जा रही हैं तो उम्मीद की जा रही है कि इस महोत्सव का अमृत अपर इंडिया ट्रेन पर भी पड़ेगा।
साहिबगंज-भागलपुर रेलखंड का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में 1860 के दशक में हुआ था। इस रेलखंड पर 13119/20 अपर इंडिया पहली ट्रेन थी जो कोलकाता से दिल्ली पहुंची थी, लेकिन रेलवे ने इस ट्रेन को धरोहर बनाने की बजाय उपेक्षित बना दिया। समय की इतनी पाबंद थी कि भाप ईंजन से चलने वाली इस ट्रेन की सिटी के साथ लोग अपनी घड़ियां मिलाया करते थे। जानकारों के अनुसार इसका परिचालन 19वीं सदी में ही शुरू हो गया था। अपर इंडिया एक्सप्रेस उस समय थर्टीन अप और फोरटीन डाउन कहलाती थी। अपर इंडिया सियालदह से दिल्ली तक चलती थी। दिनों दिन इस ट्रेन की महत्ता को कम कर दी गई। 1999 में इसे दिल्ली की बजाया मुगलसराय तक ही रोक दिया गया। फिर बनारस तक जाने लगी। कई फोरम पर इसका विरोध हुआ तब भी दो दिन के लिए ही दिल्ली तक चलायी गई। अब तो इस ट्रेन की सेवा ही बंद हो गई।
134 साल बाद लगी थी इस ट्रेन में एसी बोगी
रेलवे में इतनी आधुनिकता आयी। दूसरे रेलखंडों पर राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी फुल एसी ट्रेनें चली, लेकिन अपर इंडिया एक्सप्रेस में 134 साल बाद एक एसी कोच लगी। बंद होने से पहले भी इसमें पेंट्रीकार की सुविधा नहीं थी। 5 बोगी के साथ चलने वाली इस ट्रेन में 15 बोगी जरूर लगे, लेकिन अधिकांश जेनरल बोगी ही रहे।
यह पहली ट्रेन थी जो कोलकाता से दिल्ली पहुंची थी:
इतिहास के जानकार और रेलवे के इतिहास पर किताब लिखने वाले शिवशंकर सिंह पारिजात कहते हैं कि अपर इंडिया पहली ट्रेन थी जो कोलकाता से दिल्ली पहुंची थी। इस रेलखंड के निर्माण के बाद सियालदह से दिल्ली के लिए ट्रेन चलाई गई थी। पुराने लोग बताते हैं कि उस समय इसमें तीन क्लास थे। सेकेंड क्लास में अंग्रेज सफर करते थे, इंटर क्लास में जमींदार और वीआईपी जबकि आम जनता के लिए थर्ड क्लास बोगी होती थी।
कोट
अपर इंडिया एक्सप्रेस कोविड से पहले ड्रॉप हुई है। इसे फिर से चलाने के बारे में अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। कोविड के दौरान जिन ट्रेनों की सेवा बंद की गई थी, उसे रिस्टोर किया गया है।
एकलव्य चक्रवर्ती, सीपीआरओ पूर्व रेलवे।