विवि ने राजभवन से मांगा निर्देश, जवाब के बाद अनशन पर विचार
सवा आठ घंटे तक कब्जे में रहने के बाद प्रतिकुलपति डॉ. रामयतन प्रसाद सहित डीएसडब्लू और प्रॉक्टर को रात नौ बजे छोड़ दिया गया। उन्हें इस शर्त पर मुक्त किया गया कि वे लोग राजभवन पत्र लिखकर नियुक्ति से...
सवा आठ घंटे तक कब्जे में रहने के बाद प्रतिकुलपति डॉ. रामयतन प्रसाद सहित डीएसडब्लू और प्रॉक्टर को रात नौ बजे छोड़ दिया गया। उन्हें इस शर्त पर मुक्त किया गया कि वे लोग राजभवन पत्र लिखकर नियुक्ति से संबंधित निर्देश मांगेंगे।
राजभवन को पत्र भेजने के बाद माने अनशनकारी
मुक्त होने के बाद सभी लोग अनशनकारियों के पास पहुंचकर बातचीत की। बातचीत में यह तय हुआ कि राजभवन भेजे जाने वाले पत्र में सभी बातों का उल्लेख किया जाएगा। अधिकारियों ने अनशनकारियों से अनशन तोड़ने कहा, लेकिन अनशनकारियों ने कहा कि जब राजभवन से इस पत्र का कोई जवाब आएगा, तभी अनशन तोड़ा जाएगा। इसके बाद रजिस्ट्रार के प्रभार में कार्य कर रहे प्रॉक्टर डॉ. विलक्षण रविदास ने राजभवन को पत्र भेजा।
पत्र में लिखा गया है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए साक्षात्कार 26 फरवरी से शुरू किया गया था। पांच विषयों का साक्षात्कार हो भी चुका था, लेकिन राजभवन के एक पत्र के आधार पर नियुक्ति की यह प्रक्रिया रोक दी गई। जिसमें नए विश्वविद्यालय की स्थापना के कारण ट्रांसफर व पोस्टिंग पर रोक लगाने की बात लिखी गई थी। इसके बाद से 23 मार्च से ये अभ्यर्थी अनशन पर हैं। उनकी मांग है कि दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। सीनेट के 10 फैकल्टी ने भी इनकी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करने के लिए मांग की है। इस संबंध में 27 मार्च को ही राजभवन के ओएसडी (विश्वविद्यालय) अहमद महमूद से फोन पर बात हुई थी। बातचीत में उन्होंने कहा था कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई गई है।
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सांसद ने जाना अनशनकारियों का हाल
मंगलवार शाम को भागलपुर के सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल भी पहुंचे। उन्होंने अनशनकारियों का हालचाल जाना। सांसद ने उनलोगों से कहा कि यह पूरी तरह से मनमानी है। बुधवार को ब्रिजेश मेहरोत्रा से बात करेंगे और कहेंगे कि नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की जाए। जिन अधिकारियों ने राजभवन के इस पत्र की गलत व्याख्या कर नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई है, उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे।
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