कटिहार | एक संवाददाता
कोरोना काल में एक ओर जहां पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं होने से पिछले दस महीनों से सीमांचल के यात्री परेशान हैं, जो यात्री एक्सप्रेस टे्रनों से यात्रा करने के लिए कटिहार जंक्शन पर आते हैं। उन्हें रेलवे द्वारा पूर्व से दिए गए हाईटेक सुविधा नहीं मिल रही है।
रेल मंत्रालय का दावा का यहां पर हवा-हवाई होता दिख रहा है। एक ओर पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के अधिकारी दावा करते हैं कि इस रेल के सभी स्टेशनों पर हाईटेक सुविधाओं रेल यात्रियों को दी जा रही है कटिहार जंक्शन पर पिछले कई माह से कोच इंडिकेटर और ट्रेन के समय सारणी का इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड खराब है। इस कारण से यात्रियों को यात्रा के शुरू करते समय काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। यात्रियों को छोड़ने आये लोगों में ममता पाल, सुबोध कुमार, अशोक कुमार सिंह, अमर कुमार, प्रिया घोष, सुलेखा आदि ने कहा कि यात्रियों की सुविधा के लिए कटिहार रेलवे जंक्शन के बाहर और एक नंबर प्लेटफार्म संख्या के प्रवेश द्वार और पूछताछ काउंटर के पास लाखों रुपये की लागत से एक बड़ा इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले बोर्ड लगाया गया है। उक्त बोर्ड में केवल वेलकम टू कटिहार जंक्शन या कटिहार जंक्शन पर आपका स्वागत है या फिर रेलवे आपका स्वागत करती है आदि लिखा हुआ मिलता है। आने व जाने वाली ट्रेनों का नाम व समय खोजने पर भी नहीं मिलता है।
उन्होंने कहा कि सबसे अधिक परेशानी कोच इंडिकेटर के खराब रहने से होता है। उन्होंने आरक्षित यात्रियों का आरक्षण किस कोच में है और वह कोच प्लेटफार्म पर कहां पर आकर रूकेगी। इसकी जानकारी देने के लिए कोच इंडिकेटर लगाया हुआ है लेकिन उनमें से सभी खराब है। इससे यात्रियों को ट्रेन आने पर अपनी कोच को खोजने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। अपनी कोच को खोजने के लिए भागम-भाग की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे कई यात्री गिर जाते हैं और हादसा के शिकार हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि ट्रेन का ठहराव का समय मात्र दस से पंद्रह मिनट रहता है । ट्रेन में चढ़ने के क्रम में अफरा-तफरी का माहौल रहता है। कभी-कभी यात्री गिर कर हादसा का शिकार होते रहते हैं। खास कर मरीज या वृद्ध लोगों को जब यात्रा करना होता है तो उन्हें अपना कोच खोजते समय काफी परेशानी होती है। सीनियर सिटीजन अकेले हों तो उनका ट्रेन छुट जाती है। रिर्जवेशन इंफोरमेशन बोर्ड भी खराब होने के बाद हटा दिया गया है।
इससे यात्रियों को पता नहीं चल पाता है कि आगमी एक माह में किस ट्रेन में कितना सीट खाली है या रिजर्वेशन की क्या स्थिति है। डिजिटल रिजर्वेशन चार्ट डिस्प्ले बोर्ड भी खराब है। यह कभी ठीक रहता है तो कभी खराब हो जाता है। जिसके पास मोबाइल है वह तो अपना काम चला लेते हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।