बोले कटिहार : फुटपाथ कब्जे से सड़कें सिकुड़ीं, और बढ़ा जाम
कटिहार की गलियों में जाम और पार्किंग की समस्या ने नागरिकों की जिंदगी पर भारी पड़ दिया है। मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं, जबकि दुकानदारों की बिक्री में गिरावट आई है। प्रशासन की योजनाएं केवल...

-प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज कटिहार की गलियां, जो कभी रौनक और रफ्तार से भरी रहती थीं, आज जाम की गिरफ्त में कैद हैं। हर मोड़ पर गाड़ियों की लंबी कतारें हैं, धैर्य और सांसें दोनों टूटती नजर आती हैं। एंबुलेंस का सायरन भी शोर में दब जाता है और मरीज जिंदगी-मौत के बीच अटके रहते हैं। व्यापारी रोजाना घटती बिक्री से मायूस हैं, जबकि आम लोग घंटों की परेशानी झेलकर थक चुके हैं। बच्चों से बुजुर्ग तक, हर किसी के दिन का बड़ा हिस्सा इसी जाम में गुम हो जाता है। शहर की रफ्तार थमी हुई है और यह थमाव लोगों की उम्मीदों पर भी भारी पड़ रहा है।
आवाजें उठ रही हैं, सवाल गूंज रहा है- कब कटिहार को इस जाम के कहर से राहत मिलेगी, कब इन सड़कों पर फिर से वह पुरानी रौनक लौटेगी? कटिहार, जो कभी अपनी फुर्ती, रौनक और चहल-पहल के लिए जाना जाता था, आज जाम और पार्किंग संकट के कारण बेहाल दिखाई देता है। शहर की धड़कनें मानो जाम की बेड़ियों में बंध चुकी हैं। सड़कें, जो पहले तेजी और जीवन्तता का प्रतीक थीं, अब ठहराव और अव्यवस्था की गवाही देती हैं। सुबह से शाम तक मुख्य मार्गों पर गाड़ियों का हुजूम उमड़ता है और नागरिकों की दिनचर्या जाम की गिरफ्त में कैद हो जाती है। कटिहार के शहीद चौक से महमूद चौक तक महज तीन किलोमीटर का सफर तय करने में एक घंटे से अधिक समय लगना आम हो गया है। मंगलबाजार, बड़ी बाजार, न्यू मार्केट और मिर्चाईबाड़ी की गलियां रोज इस त्रासदी की गवाह बनती हैं। गाड़ियों की लंबी कतारें समय को जैसे थाम लेती हैं और लोगों की बेचैनी को बढ़ा देती हैं। सबसे अधिक मार उन मरीजों पर पड़ती है, जिनके लिए हर मिनट जीवन और मौत का सवाल होता है। सदर अस्पताल रोड पर एंबुलेंस घंटों तक जाम में पड़ी रह जाती है। सायरन की तेज आवाज भी वाहनों के शोर में गुम होकर रह जाती है। ऐसे में परिजनों की बेचैनी और प्रशासन की असहायता दोनों साफ झलकती है। बाजारों की रौनक भी जाम के बोझ तले दब गई है। दुकानदार बताते हैं कि ग्राहक आते जरूर हैं, लेकिन वाहन खड़ा करने की जगह न मिलने के कारण लौट जाते हैं। इससे बिक्री पर गहरा असर पड़ा है। मंगलबाजार और बड़ी बाजार के दुकानदार कहते हैं कि दुकानों के सामने नो पार्किंग ज़ोन है, लेकिन विकल्प न होने से ग्राहक मजबूर होकर गाड़ियां वहीं खड़ी करते हैं। जब पुलिस चालान काटती है तो विवाद और बढ़ जाता है। दुकानदार और ग्राहक दोनों को जाम और पार्किंग की गुत्थी का शिकार होना पड़ रहा है। कमल किशोर, एक कपड़ा व्यापारी, बताते हैं: “ग्राहक आते हैं, सामान देखते हैं, लेकिन वाहनों की पार्किंग की समस्या देखते ही लौट जाते हैं। बिक्री लगातार गिर रही है। प्रशासन योजनाओं की घोषणा तो करता है, लेकिन ज़मीनी सच्चाई वैसी की वैसी है।”जाम का सबसे बड़ा कारण पार्किंग की कमी और फुटपाथों पर कब्जा है। शहर के प्रमुख बाजारों में फुटपाथ दुकानदारों से पटा रहता है, जिससे पैदल चलने की जगह समाप्त हो चुकी है। मजबूरी में लोग सड़क किनारे वाहन खड़े कर देते हैं, जिससे सड़क संकरी हो जाती है। इसी तरह ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा जहां-तहां खड़े होकर यात्रियों को बैठाते-उतारते हैं। इसके कारण बाजार क्षेत्र और मुख्य मार्गों पर लगातार जाम की स्थिति बनी रहती है। बाइक खड़ी करने की जगह नहीं मिली बरमसिया के प्रो. तारकेश्वर यादव अपनी समस्या बताते हैं- “मैं कपड़े खरीदने आया था, लेकिन बाइक खड़ी करने की जगह नहीं मिली। आखिरकार गलत जगह बाइक खड़ी करनी पड़ी और चालान भी कट गया।” यह समस्या केवल कुछ लोगों की नहीं, बल्कि शहर के हर नागरिक की है। नगर निगम और जिला प्रशासन कई बार अवैध पार्किंग और कब्जे को हटाने की घोषणाएं कर चुके हैं। योजनाएं बनी हैं, लेकिन धरातल पर बदलाव नहीं दिखा। नगर आयुक्त संतोष कुमार का कहना है कि प्रशासन लगातार काम कर रहा है। फुटपाथ मुक्त करने और स्थायी पार्किंग व्यवस्था लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि शहरवासी मानते हैं कि केवल योजनाओं से कुछ नहीं होगा। जाम की समस्या कॉलोनियों तक पहुंची डॉ. आरएन विश्वास बताते हैं- “हम मरीज को अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन सड़क पर ही घंटों फंसे रह गए। हर मिनट ऐसा लग रहा था जैसे जिंदगी और मौत के बीच खड़े हैं।” इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। शहरवासी अब केवल ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई या चालान से संतुष्ट नहीं हैं। वे ठोस समाधान चाहते हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि बाजारों के पास स्थायी पार्किंग स्थल बनाए जाएं, मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था हो और ई-रिक्शा व ऑटो के लिए निश्चित स्टैंड तय किए जाएं। तभी इस समस्या से राहत मिल सकती है। गुरुदेव प्रसाद कहते हैं- “हमने बार-बार प्रशासन से मांग की, लेकिन फाइलें आगे नहीं बढ़ीं। जब तक ठोस नीति नहीं बनेगी, हालात बिगड़ते रहेंगे।” जाम और पार्किंग की यह समस्या कॉलोनियों और मोहल्लों तक पहुंच चुकी है। डॉ. आरएन विश्वास बताते हैं- “हम मरीज को अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन सड़क पर ही घंटों फंसे रह गए। हर मिनट ऐसा लग रहा था जैसे जिंदगी और मौत के बीच खड़े हैं।” इस तरह की घटनाएं आम हो गई हैं। शहरवासी अब केवल ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई या चालान से संतुष्ट नहीं हैं। वे ठोस समाधान चाहते हैं। लोग मांग कर रहे हैं कि बाजारों के पास स्थायी पार्किंग स्थल बनाए जाएं, मल्टीलेवल पार्किंग की व्यवस्था हो और ई-रिक्शा व ऑटो के लिए निश्चित स्टैंड तय किए जाएं। तभी इस समस्या से राहत मिल सकती है। गुरुदेव प्रसाद कहते हैं- “हमने बार-बार प्रशासन से मांग की, लेकिन फाइलें आगे नहीं बढ़ीं। जब तक ठोस नीति नहीं बनेगी, हालात बिगड़ते रहेंगे।” जाम और पार्किंग की यह समस्या कॉलोनियों और मोहल्लों तक पहुंच चुकी है। वादों का असर कब देखने को मिलेगा वीरेंद्र मंडल कहते हैं- “हम घर से निकलते हैं तो सड़क पर हर कदम एक चुनौती बन जाता है।”कटिहार के बाजार अब केवल दुकानों का नहीं, बल्कि उम्मीदों और निराशाओं का भी आईना बन चुके हैं। दुकानदार ग्राहक खोते जा रहे हैं, आम लोग राहत की उम्मीद खोते दिख रहे हैं और मरीज जाम में जूझते रहते हैं। यह समस्या केवल यातायात तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह आर्थिक जीवन, सामाजिक संरचना और सामान्य नागरिक जीवन को भी प्रभावित कर रही है। प्रशासन बार-बार यह दावा करता है कि स्थिति बदल रही है। नगर आयुक्त संतोष कुमार कहते हैं कि मल्टीलेवल पार्किंग, रिक्शा-ऑटो स्टैंड और फुटपाथ मुक्त करने की योजना पर काम हो रहा है। प्रश्न यह है कि इन वादों का असर आम लोगों की जिंदगी में कब देखने को मिलेगा। सुनें हमारी बात एंबुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाती, दुकानदार ग्राहकों को खो रहे हैं और आम लोग रोजमर्रा की परेशानियों में उलझे हैं। प्रशासन को ठोस व्यवस्था लानी होगी। -अंजनी कुमार शहर की सड़कें अब किसी चुनौती से कम नहीं हैं। बाजारों में पार्किंग न होने से ग्राहक लौट जाते हैं और दुकानदार बेचैन हैं। कॉलोनियों में भी गाड़ियों का अंबार है। -मोहन शर्मा फुटपाथ कब्जे और अव्यवस्था ने सड़कें पूरी तरह जकड़ दी हैं। आम लोग परेशान हैं, दुकानदार व्यापार खो रहे हैं, और मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। -विनोद कुमार सड़क जाम ने मरीजों के लिए स्थिति गंभीर बना दी है। अस्पताल तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं। दुकानदारों का कारोबार ठप है और आम लोग परेशान हैं। -डॉ. अजय कुमार देव प्रशासन को मल्टीलेवल पार्किंग, फुटपाथ मुक्त करना और रिक्शा-ऑटो स्टैंड जैसी ठोस व्यवस्था लागू करनी चाहिए। तभी नागरिकों की राहत संभव है। -कमल किशोर शहर में गाड़ियों की बढ़ती भीड़ लोगों की आवाज दबा रही है। अस्पताल पहुंचने में समय लग रहा है, दुकानदारों की बिक्री प्रभावित हो रही है। -वीरेंद्र मंडल शहर अब जाम और पार्किंग संकट का शिकार हो चुका है। बाजार और मुख्य मार्ग जाम से भरे हैं। मरीज और व्यापारी दोनों परेशान हैं। प्रशासन की चुप्पी हताश कर रही है। -आचार्य सत्यनारायण सड़कों पर गाड़ियों की अराजकता ने शहर की रफ्तार रोक दी है। आम लोग और दुकानदार परेशान हैं, मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। -डॉ. एसके भारती कटिहार में पार्किंग और जाम की समस्या आम नागरिकों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है। दुकानदार ग्राहक खो रहे हैं, मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे। -सच्चिदानंद मंडल मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते, दुकानदार व्यापार खो रहे हैं। कॉलोनियों और गलियों में पार्किंग की कमी लोगों की मुश्किलें और बढ़ा रही है। -शमिल रंजन फुटपाथ और गलियों पर कब्जा स्थिति को और खराब कर रहा है। प्रशासन को मल्टीलेवल पार्किंग और स्थायी रिक्शा-ऑटो स्टैंड की व्यवस्था तुरंत लागू करनी चाहिए। -गुरुदेव शहर की ट्रैफिक व्यवस्था अब नागरिकों के लिए चुनौती बन गई है। बाजार और मुख्य मार्ग जाम से भरे हैं। मरीज, दुकानदार और आम लोग सभी परेशान हैं। -केशव राज कटिहार में जाम और पार्किंग संकट ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित कर दी है। दुकानदार ग्राहक खो रहे हैं, मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे। -गीतेश देव सड़कों पर गाड़ियों की भीड़ और पार्किंग की कमी ने कटिहार को थमाया हुआ शहर बना दिया है। मरीज, दुकानदार और आम लोग सभी परेशान हैं। -रवि रश्मि प्रशासन को मल्टीलेवल पार्किंग और रिक्शा-ऑटो स्टैंड जैसी स्थायी व्यवस्था लागू करनी चाहिए। अब तत्काल कदम उठाने का समय है। -अरविंद कुमार शहर की ट्रैफिक स्थिति अब गंभीर हो गई है। जाम और पार्किंग संकट ने आम लोगों और दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते। -अभय शंकर बोले िजम्मेदार जाम और पार्किंग की समस्या हल करने के लिए प्रशासन गंभीर कदम उठा रहा है। मल्टीलेवल पार्किंग, रिक्शा एवं ऑटो स्टैंड, साथ ही फुटपाथ मुक्त करने की योजना पर काम तेजी से चल रहा है। आम नागरिकों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जल्द ही ठोस सुधारों की रूपरेखा प्रस्तुत की जाएगी। नागरिकों की सुरक्षा, व्यापारिक सुगमता और यातायात की सहजता प्राथमिकता रहेगी। -संतोष कुमार, नगर आयुक्त, कटिहार शिकायत 1. शहर की मुख्य सड़कों पर पार्किंग की कमी के कारण जाम और अव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। 2. अस्पतालों तक एंबुलेंस का समय पर पहुंच न पाना मरीजों के लिए खतरा बन गया है। 3. दुकानदारों और ग्राहकों को गाड़ी खड़ी करने की जगह न मिलने से व्यापार प्रभावित हो रहा है। 4. प्रशासन की योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं। सुझाव 1. मल्टीलेवल पार्किंग बनाकर सड़क पर जाम कम किया जाए। 2. सार्वजनिक पार्क और खुली जगहों में वाहन खड़ा करने के लिए स्थायी पार्किंग स्थल बनाए जाएं। 3. फुटपाथों व गलियों में दुकानदारों के कब्जे को नियंत्रित किया जाए। 4. ऑटो और ई-रिक्शा के लिए अलग स्टैंड निर्धारित किए जाएं। स्मार्ट ट्रैफिक लाइट और निगरानी कैमरे लगाने की जरूरत।
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