टीएमबीयू का कारनामा, मान्यता व्यावसायिक कोर्स की और दे रहे ऑनर्स की डिग्री
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को यूजीसी से स्नातक स्तरीय कोर्स 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' चलाने की मान्यता तो मिल गई लेकिन छात्रों को सिर्फ 'फिश एंड फिशरीज' बीएससी ऑनर्स कोर्स की...
तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को यूजीसी से स्नातक स्तरीय कोर्स 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' चलाने की मान्यता तो मिल गई लेकिन छात्रों को सिर्फ 'फिश एंड फिशरीज' बीएससी ऑनर्स कोर्स की डिग्री दी जा रही है। इससे छात्रों को नौकरी मिलने में भी परेशानी हो रही है।
क्या है मामला
यूजीसी ने 2002 में टीएमबीयू में 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' के नाम से वोकेशनल कोर्स चलाने की मान्यता दी थी। जानकारी हो कि यूजीसी ने जब इस वोकेशनल कोर्स के रूप में चलाने की मान्यता दी थी उस समय 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' कोर्स शुरू करने के लिए ही सहायता राशि के रूप में करीब सात लाख रुपए भी दिए थे लेकिन विवि के एकेडमिक काउंसिल ने उस समय गलती से इसे बीएससी ऑनर्स कोर्स की मान्यता दे दी और उसी अनुसार सिलेबस भी बना दिया। इसके बाद से जीबी कॉलेज नवगछिया में यह 'फिश एंड फिशरीज' ऑनर्स पेपर के रूप में पढ़ाया जाने लगा। साथ में अन्य सब्सिडियरी पेपर भी पढ़ाया जाने लगा। खास बात यह है कि वर्षों तक इस कोर्स को राजभवन से मान्यता नहीं मिली थी। 11 अप्रैल 2018 को इसे मान्यता मिली।
ऐसे हुआ मामला उजागर
पिछले दिनों एक पूर्व छात्र को नौकरी मिलने में परेशानी हुई और उससे कहा गया कि उसे वोकेशनल कोर्स की डिग्री नहीं है। उसे तो बीएससी की डिग्री है। उसमें पेपर का नाम भी 'फिश एंड फिशरीज' है, 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' नहीं है। इसके बाद से अन्य छात्रों ने 'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' वोकेशनल कोर्स के रूप में डिग्री मांग रहे हैं। छात्रों ने जब प्रभारी कुलपति डॉ. एलसी साहा को शिकायत की तो उन्होंने मामले की जांच करने को कहा है कि आखिर गलती कहां से हुई है।
'इंडस्ट्रीयल फिश एंड फिशरीज' नाम से मिलेगा फायदा
इस कोर्स को यूजीसी ने जिस वोकेशनल कोर्स के रूप में मान्यता दी थी। उस रूप में चलाया जाएगा तो यह स्पष्ट होगा कि छात्रों ने इसे एप्लाइड कोर्स के रूप में पढ़ा है। सिर्फ थ्योरी के रूप में नहीं। इससे कंपनियां उन्हें आसानी से नौकरी देंगी।
टीएमबीयू के प्रभारी कुलपति प्रो. एलसी साहा ने बताया कि पता किया जाएगा कि सिलेबस किस तरह का है और एकेडमिक काउंसिल ने उसे किस रूप में मान्यता दी है। उसके अनुसार ही सर्टिफिकेट में नाम दिया जाएगा। जो भी त्रुटि होगी एकेडमिक काउंसिल के अनुसार सुधार करा लिया जाएगा।