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गरीबों को कोरोना नहीं रोज पेट भरने की चिंता सता रही

रोज कमारे और खाने को को ज्यादा चिंता

गरीबों को कोरोना नहीं रोज पेट भरने की चिंता सता रही
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरMon, 23 Mar 2020 09:52 PM
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मुसीबतरोज कमाने खाने वाले गरीब मजदूरों को नहीं मिल रहा कामखुद और परिवार के सदस्यों की चिंता से परेशान हैं मजदूरभागलपुर, वरीय संवाददाताबिहार में लॉकडाउन तो हो गया। इस लॉकडाउन से सबसे अधिक मुसीबत में गरीब मजदूर हैं। उनको रोज कमाने खाने की चिंता सता रही है। उनके जेब खाली हो गए हैं। उनमें कुछ तो उधार लेकर काम चला रहे हैं और जिनलोगों को उधार नहीं मिल रहा है वे भूखों मरने की बजाय बाहर सब्जी या अन्य सामान बेचकर कुछ रुपए कमाने निकल गए। सबसे बुरी हालत इन्हीं मजदूरों की है, जिन्हें न तो कही मजदूरी मिल रही है और न ही कोई और सहायता।काम पर आने के लिए मना कर दियाभीखनपुर में रहने वाली रीना ने कहा वह पांच घरों में काम करती थी लेकिन चार घर के लोगों ने मना कर दिया। कहा कि कुछ दिन वे लोग खुद काम कर लेंगे। अब इतने दिन का पैसा देंगे या नहीं समझ में नहीं आ रहा है। कहीं और काम भी तो नहीं मिल रहा है।एक ओर कोरोना और दूसरी ओर बेटी की शादीपरबत्ती की पुतुली देवी ने कहा कि वह रोज घास काटकर बेचती है। उसी से घर का भी काम चलता है और कुछ बचत भी करती है। दो बेटी है। बड़ी बेटी की शादी जून में है। काम नहीं करेगी तो शादी के लिए पैसे कैसे आएंगे। बोली कोरोना ही नहीं पेट भरने का भी सवाल है।बाजार में भी काम नहींलोहापट्टी में एक दुकान में काम मांगने आए धीरज ने कहा कि एक अपार्टमेंट के निर्माण के लिए काम कर रहे थे लेकिन अभी काम बंद हो गया। कुछ मजदूरी नहीं मिलेगा तो एक दो दिन में खाने-पीने की भी समस्या हो जाएगी।

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