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दागदार दामन बचाने में जुटी भागलपुर पुलिस, अपहृत अभिमन्यु को ही भेज दिया जेल

जमुई से अपहृत अभिमन्यु को हथकड़ी लगाने के मामले में भागलपुर पुलिस ने अपना बचाव कर लिया है। जेल भेजे गए उमेश कुमार के बयान पर सुल्तानगंज थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज की गई। इसी मामले में सुल्तानगंज...

दागदार दामन बचाने में जुटी भागलपुर पुलिस, अपहृत अभिमन्यु को ही भेज दिया जेल
भागलपुर सुल्तानगंज | हिंदुस्तान टीमThu, 17 Oct 2019 02:15 PM
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जमुई से अपहृत अभिमन्यु को हथकड़ी लगाने के मामले में भागलपुर पुलिस ने अपना बचाव कर लिया है। जेल भेजे गए उमेश कुमार के बयान पर सुल्तानगंज थाने में ठगी की रिपोर्ट दर्ज की गई। इसी मामले में सुल्तानगंज पुलिस ने बुधवार शाम अभिमन्यु को पेशी के बाद जेल भेज दिया।


एसएसपी आशीष भारती ने कहा कि ठगी मामले में अपहृत को गिरफ्तार किया गया था। अब जांच का विषय है कि गिरफ्तारी के पहले उमेश ने पुलिस को ठगी की सूचना क्यों नहीं दी थी। रिपोर्ट में कहा है कि शिवम कुमार ने 17 मार्च को नौ गाड़ी के इंश्योरेंस के लिए शशि तांती के स्टाफ अभिमन्यु को 5400 रुपये दिए थे।  राशि जमा नहीं करने पर पॉलिसी फेल कर गया। उसने राशि लौटाने की बात कही थी। शशि  ने भागलपुर रुपये लेने के लिए बुलाया था। शशि एसएम कॉलेज रोड स्थित अपार्टमेंट के फ्लैट ले गए। वहां पर मौजूद अभिमन्यु से रुपये की मांग की गई तो शशि के साथ मिलकर मारपीट की गई। गले से चेन, आठ हजार नकद छीन लिया। कमरे में बंद कर दिया गया। जोगसर थाने की पुलिस आई और कमरे से बाहर निकालकर थाने ले आई।

सवाल है कि शिवम ने गाड़ी के इंश्योरेंस के रुपये अभिमन्यु को दिया तो उमेश ने गिरफ्तारी के बाद किस आधार पर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस अपने दागदार दामन को बचाने के लिए हर हथकंडे को अपना रही है। 

मामले में कौन कर रहा था एसएसपी को गुमराह : पुलिस और अपहरणकर्ता के बीच गठजोड़ में किस अधिकारी ने एसएसपी को गुमराह किया था। दरअसल, अपार्टमेंट में छापेमारी करने गए जोगसर थाना के एएसआई बमबम चौधरी एसएसपी का नाम लेकर जमीन मालिक को धमकाने लगे और हाथ पकड़कर गिरफ्तार कर जेल भेजने की धमकी दी। इसकी शिकायत डीआईजी से की गई थी। डीआईजी ने एसएसपी को जांच को कहा था, लेकिन एसएसपी ने दलील दी कि जमीन मालिक ने छापेमारी के दौरान विरोध किया था। जमीन मालिक सीसीटीवी में पुलिस को सहयोग करते दिख रहे हैं। सिटी एसपी ने बरारी थानेदार से इस मामले में जानकारी ली थी। बुधवार को एसएसपी से पूछा गया कि किसने आपको गलत सूचना देकर गुमराह किया तो एसएसपी इस सवाल को हंसते हुए टाल गए, लेकिन वरीय अधिकारी को गुमराह करना विभाग के लिए गंभीर बात है।


अपहरण मामले में पुलिसकर्मियों पर क्यों न हो एफआईआर
जमुई से अभिमन्यु के अपहरण में जोगसर के प्रभारी थानेदार समेत तीन पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध होने पर एसएसपी ने निलंबित कर दिया, लेकिन यह पूरा मामला आपराधिक कृत का है। पुलिसकर्मियों पर अपहरण के षड्यंत्र में शामिल होने के सबूत मिले हैं। इसके पहले कई मामले में पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा गया है। 
अधिवक्ता ओमप्रकाश तिवारी ने कहा कि दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित करना या विभागीय कार्यवाही चलाना आंतरिक मामला है, लेकिन अपहरण मामले में जोगसर पुलिस द्वारा आपराधिक कार्रवाई की गई है। एसएसपी के कार्रवाई से साफ है कि दोषी पुलिसकर्मी अपहरण के षडयंत्र में शामिल थे। जोगसर प्रभारी थानेदार बबलू पंडित, दारोगा शिवशंकर दुबे और एएसआई दिलीप कुमार के खिलाफ 120 बी के तहत आपराधिक मामला बनता है। पुलिसकर्मियों को भी आरोपी बनाकर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। पुलिस अधिकारी को दो तरह की कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

इसके पहले 19 जुलाई को मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में सीतामढ़ी के कुख्यात विकास झा को भगाने के मामले में हवलदार, जेल सिपाही और दो होमगार्ड जवान के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। बरारी थाना के जब्त ट्रक चालकों से रुपये वसूली के मामले में जमादार एके सिन्हा, प्राइवेट चालक मो. पिंटू और दलाल मुकेश कुमार पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया गया था। इसके पहले पटना से बीएसएनएल के टावर ठेकेदार अरविंद चौधरी के अपहरण मामले में तत्कालीन आईजी के बॉडीगार्ड को जेल भेज दिया गया था। 

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