श्रमिक एक्सप्रेस से पहुंचे प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द, कहा- बिहार में मिलेगा काम तो नहीं जाएंगे बाहर
यूपी के दादरी से 524 प्रवासी मजदूरों को लेकर 04126 श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन सोमवार को जमुई पहुंची। जमुई पहुंचे प्रवासी मजदूरों का दर्द छलका वहीं घर लौटने की खुशी भी चेहरे पर दिखाई दी। घर लौटे...
यूपी के दादरी से 524 प्रवासी मजदूरों को लेकर 04126 श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन सोमवार को जमुई पहुंची। जमुई पहुंचे प्रवासी मजदूरों का दर्द छलका वहीं घर लौटने की खुशी भी चेहरे पर दिखाई दी।
घर लौटे प्रवासियों ने कहा कि घर आने के बाद उन्हें सुकून मिल रहा है। पिछले 1 माह से वे घर आने के लिए बेचैन थे। स्टेशन पर उतरते ही उन्होंने राहत की सांस ली। प्रशासन को इसके लिए धन्यवाद दिया। मजदूरों ने कहा कि पिछले एक माह से उनकी स्थिति खराब हो चली थी। बार-बार सोच रहे थे कैसे घर तक पहुंच पाएंगे। स्टेशन पहुंचने के बाद कई मजदूरों का दर्द भी छलक कर सामने आया। उन्होंने कहा कि रोजगार की तलाश में बाहर जाते थे यदि उन्हें बिहार में ही काम मिल गया होता तो शायद कभी बाहर जाने के लिये नहीं सोचते।
लॉकडाउन के बाद पहला मौका जब जमुई स्टेशन पर ट्रेन रुकी
सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच दादरी से 524 मजदूरों का एक जत्था जमुई स्टेशन पर पहुंचा यह पहला मौका था कि जमुई स्टेशन पर ट्रेन रुकी और जमुई के वासी उतरे। लॉक डाउन के बाद जमुई स्टेशन पर पहली बार स्टेशन पर यात्री ट्रेन आने की सूचनाएं दी जा रही थीं। स्टेशन पर उतरते ही सभी यात्रियों की बारी-बारी से थर्मल स्क्रीनिंग की गई। उसके बाद उन्हें जमुई स्थित जांच केंद्र पर लाया गया जहां सारा रिकॉर्ड लेने के बाद उन्हें क्वॉरेंटाइन सेंटर पर भेज दिया गया। इस मौके पर डीएम धर्मेंद्र कुमार ने कहा सभी मजदूरों की जांच कराई जाएगी और सभी को तत्काल करंट टाइम सेंटर पर रखा जाएगा।
लखीसराय जिले के 163 प्रवासी मजदूर ट्रेन पर थे सवार
दादरी से जमुई आने वाली 04126 श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस 394 प्रवासी मजदूरों के जत्थे को लेकर सोमवार को किऊल स्टेशन पहुंची। किऊल जंक्शन पर उतरे प्रवासियों में सूबे के 11 जिले के लोग शामिल थे। स्टेशन पर करीब 30 मिनट तक ट्रेन रूकी रही। पहले दूसरे जिले के प्रवासियों को प्लेटफॉर्म के बाहर लगे बसों में बैठने का निर्देश दिया गया।
बसों पर नहीं दिखी सोशल डिस्टेंसिंग
प्रवासी मजदूरों में घर जाने की जल्दबाजी दिख रही थी। जिस बस में 50 से 60 लोगों के बैठने की क्षमता थी, उसपर सौ के करीब प्रवासी मजदूर बैठे दिखे। बसों पर सोशल डिस्टेंसिंग की बात तो दूर, यहां तो धड़ल्ले से सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन होता दिखा। प्रवासी झुंड बनाकर बसों में चढ़ रहे थे।
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