पूर्णिमा पर गंगा स्नान व दीप दान का विशेष महत्व
श्री वृंदावन धाम से पधारे बाल व्यास पंडित ने कहा कि यूं तो साल में 12 पूर्णिमा होती है लेकिन इन सबमें में कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व ज्यादा है। बाल व्यास पंडित केशव प्रेरणा बाल परिवार...
श्री वृंदावन धाम से पधारे बाल व्यास पंडित ने कहा कि यूं तो साल में 12 पूर्णिमा होती है लेकिन इन सबमें में कार्तिक पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व ज्यादा है। बाल व्यास पंडित केशव प्रेरणा बाल परिवार द्वारा मंदरोजा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं को कार्तिक पूर्णिमा के महात्म्य के बारे में बता रहे थे।
उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान व दीप दान का विशेष महत्व है। बाल व्यास ने विदुर-विधु रानी एवं कृष्ण के प्रेम की व्याख्या करते हुए कहा कि प्रभु तो भाव के भूखे हैं। भगवान श्रीकृष्ण न तो जाति-धर्म और न ही स्वरूप देखते हैं। उन्हें जो भी भाव से बुलाता है वे बरबस दौड़े चले आते हैं।
इस अवसर पर बाल व्यास महाराज ने मोहन बिन प्रेम नहीं मिलते जिंदगी में..., गोविंद मेरो है गोपाल मेरो है... आदि भजन गाकर माहौल को भक्ति के रंग में रंग दिया। इस दौरान वृंदावन से आये कलाकार अंकित शर्मा छोटू व रविकांत चतुर्वेदी ने ध्रुव एवं विदुर विधु रानी की मनोहारी झांकी प्रस्तुत की।