सुंदरवती महिला कॉलेज (एसएम कॉलेज) में दाखिले के लिए जहां छात्राओं के बाची मारामारी रहती है, वहीं परिसर स्थित आठ सौ बेड वाले हॉस्टल में सन्नाटा पसरा रहता है। यहां पर सिर्फ 150 बेड ही एलॉट हो पाया है, जबकि कॉलेज में आठ हजार के करीब छात्राएं नामांकित हैं।
उधर, दूसरी तरफ आसपास के निजी हॉस्टलों में बेड भर चुके हैं। प्राचार्य की मानें तो हॉस्टल नहीं भरने की वजह यहां के सख्त नियम हैं। स्मार्ट मोबाइल रखने पर प्रतिबंध, हॉस्टल आने-जाने और अभिभावकों से मिलने का समय निश्चित रहता है।
इस सत्र में भागलपुर सहित आसपास के 10 जिलों की छात्राओं ने इंटरमीडिएट से लेकर स्नातक में दाखिला लिया है। इसमें से 10 प्रतिशत छात्राएं भी कॉलेज के हॉस्टल में रहने को तैयार नहीं हैं। शनिवार को एसएम कॉलेज की छात्रा सुरभि ने बताया कि कॉलेज के साथ-साथ निजी ट्यूशन भी करना होता है। ऐसे में समय पर हॉस्टल पहुंच पाना संभव नहीं है। इसके अलावा असुविधाएं काफी रहती हैं। कभी पानी तो कभी खाने की समस्या बनी रहती है। निजी हॉस्टलों में यह असुविधा नहीं होती है। कॉलेज प्रशासन की माने तो निजी हॉस्टल संचालक के दलालों की सक्रियता की वजह से कॉलेज के हॉस्टल का बेड भर नहीं पाता है। प्राचार्य ने बताया कि ऐसे दलालों की सक्रियता पर नजर रखी जा रही है। अगर कोई पकड़ में आता है तो तत्काल पुलिस को इसकी सूचना दी जाएगी। प्राचार्य प्रो.डॉ. अर्चना ठाकुर ने बताया कि हॉस्टल में एक छात्रा से सलाना 32 सौ और प्रतिमाह मेस चार्ज 16 सौ के करीब लिया जाता है। इसके बदले नाश्ता और खाने की व्यवस्था है। निजी हॉस्टल की तुलना में सुरक्षा से लेकर पढ़ाई की व्यवस्था बेहतर है।
तीन से पांच हजार लगता है निजी हॉस्टलों में : एसएम कॉलेज के आसपास 150 के करीब छोटे-बड़े हॉस्टल चल रहे हैं। इनमें तीन हजार से लेकर पांच हजार रुपये प्रति माह लिए जा रहे हैं। शनिवार को बात करने पर एक निजी हॉस्टल के संचालक ने बताया कि 16 सौ रुपये एक बेड का और दो हजार रुपये मेस का खर्च लगेगा। इस तरह से हर माह 36 सौ रुपये लगेगा।