शाहकुंड की पहाड़ी और शाहजंगी मजार भी बनेगा पर्यटन स्थल
बाबा गिरवरनाथ पहाड़ी से जगरिया तक पहाड़ी शृंखला का होगा सर्वे बिहार राज्य पर्यटन...

भागलपुर, वरीय संवाददाता। भागलपुर जिले की पहचान बनी शाहकुंड की पहाड़ी और शाहजंगी की मजार जल्द ही बिहार के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल होगी। पर्यटन विभाग ने दोनों स्थलों को टूरिस्ट प्लेस बनाने के लिए सर्वे कराने की जिम्मेदारी बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम (बीएसटीडीसी) को दी है। निगम के कंसल्टेंट आर्किटेक्ट अगले हफ्ते दोनों जगह जाएंगे और सर्वे कर पीपीआर (प्रीमिलियरली प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर विभाग को सौंपेंगे। इन दोनों ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थल बनाने की मांग अरसे से हो रही थी। कई बार जिला प्रशासन ने भी दोनों स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की मांग राज्य सरकार से की थी। बीएसटीडीसी के कंसल्टेंट नीरज कुमार ने बताया कि पिछले हफ्ते भागलपुर में बटेश्वर स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने गया था। वहां देरी हो गई थी, इसलिए पटना लौट आया। जल्द ही भागलपुर जाकर शाहकुंड की पहाड़ी और शाहजंगी की मजार के क्षेत्र का सर्वे करूंगा। फिर पीपीआर बीएसटीडीसी को देंगे। पीपीआर पर मुहर लगते ही डीपीआर आदि बनाई जाएगी। दोनों जगहों का सर्वे करने का भी जिम्मा दिया गया है।
शाहकुंड की पहाड़ी पर रोपवे बनाया जा सकेगा
कंसल्टेंट ने बताया कि बाबा गिरवरनाथ पहाड़ी से जगरिया तक पहाड़ी शृंखला का सर्वे होगा। पहाड़ी की चोटी पर विशाल कुआं, किला, पौराणिक मूर्तियों के अवशेष हैं, जो पर्यटकों को आकृष्ट करेंगे। ऐतिहासिक गिरवरनाथ पहाड़ी पुरातात्विक विभाग के संरक्षण में है। बाबा गिरवरनाथ पहाड़ी से लेकर मां वागीश्वरी पहाड़ी व जगरिया पहाड़ी की एक पहाड़ी शृंखला बनी है, जो बहुत ही मनोरम है। इन शृंखलाओं में मां वागीश्वरी मंदिर, दुर्गा मंदिर, जगरिया के चोटी पर शिव मंदिर है। दिसंबर 2020 के नाले खुदाई में एवं इसके पूर्व में भी कई पुरानी मूर्तियां निकली हैं, जिसे पुरातात्विक विभाग ने संरक्षित कर रखा है। पहाड़ी पर रोपवे आदि बनाकर इलाके की आबोहवा से पर्यटक को रूबरू कराया जाएगा।
बेशकीमती धरोहर है पीर शाहजंगी का मकबरा
13वीं सदी में अफगानिस्तान में रिसालदार पद पर रहे सूफी संत प्रचारक शाहजंगी के नाम पर मजार है। यह 11 गुंबद वाला है, जो संभवत: देश में दूसरी जगह नहीं है। फ्रांसिस बुकानन की गजेटियर और एम. फ्रांसिस की ईस्टर्न इंडिया जैसी प्रमाणिक पुस्तकों में पीर शाहजंगी के मजार का जिक्र है। इसमें बताया गया कि यह भागलपुर ही नहीं, बल्कि पूर्व बिहार के आवाम के लिए बेशकीमती धरोहर है। रिसालदार पद से मुक्त होने के बाद उन्होंने सूफी सिलसिला में दीक्षित होकर भागलपुर में अपना खानकाह बनाया। काबा से पत्थर लाकर इसका निर्माण कराया गया है। पीर शाहजंगी की मजार, तालाब, कर्बला का मैदान, ईदगाह यह सब करीब एक सौ बीघा में फैला है।
पर्यटन स्थल बनने से क्या फायदा
1. सरकारी खर्च पर इस ऐतिहासिक स्थलों का रखरखाव होगा।
2. सरकार के पर्यटकीय नक्शे पर होने से सैलानी यहां आएंगे।
3. सैलानियों के आते ही आसपास के इलाकों का बाजार बढ़ेगा।
4. पर्यटन बाजार मिलने से भागलपुर की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी।
5. शाहकुंड पहाड़ पर रोपवे और शाहजंगी तालाब में नौकायन से सैलानियों की संख्या अन्य जगहों के वनिस्पत ज्यादा होगी।
