बोले पूर्णिया : जाम, सड़क और नाले की बदहाली में फंसा हेल्थ हब
पूर्णिया का लाइन बाजार बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मेडिकल हब है, जहां रोजाना 50 हजार से अधिक मरीज आते हैं। चिकित्सा सुविधाएं बढ़ी हैं, लेकिन अव्यवस्था, जाम और गंदगी की समस्याएं गंभीर हैं। स्थानीय...

प्रस्तुति: भूषण पूर्णिया का लाइन बाजार बिहार का दूसरा सबसे बड़ा मेडिकल हब माना जाता है, जहां रोजाना 50 हजार से अधिक मरीज और उनके अटेंडेंट इलाज के लिए आते हैं। यहां से राज्य के बंगाल, नेपाल, सहरसा, सुपौल, अररिया, और भागलपुर समेत आस-पास के कई जिलों के मरीज सेवा लेते हैं। हाल ही में जीएमसीएचवी की शुरुआत के बाद यहां चिकित्सा सुविधाओं में और वृद्धि हुई है, जिससे भीड़ में और इजाफा हुआ है। हालांकि, बाजार के इस तेज विकास के मुकाबले सड़क व नाले का विकास नहीं हो पाया है, जिसके कारण बार-बार जाम और गंदगी की समस्या उत्पन्न होती है।
भीड़भाड़ के चलते यहां शारीरिक दूरी का पालन करना भी कठिन हो गया है, जिससे लोगों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्वास्थ्य नगरी के रूप में पहचान बनाने वाला पूर्णिया का लाइन बाजार आज गंभीर अव्यवस्थाओं का शिकार है। यह इलाका उत्तर बिहार का सबसे बड़ा मेडिकल हब माना जाता है जहां प्रतिदिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। बिहार में पटना के बाद केवल यहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों की मौजूदगी इसे खास बनाती है। नेपाल, पश्चिम बंगाल और आसपास के जिलों- सहरसा, सुपौल, अररिया, भागलपुर तक के मरीज यहां पहुंचते हैं। मेडिकल सेवाओं के साथ-साथ यहां व्यापारिक गतिविधियां भी बड़ी संख्या में चलती हैं। इसी कारण दिन के समय इस बाजार की आबादी कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जिस तेजी से लाइन बाजार का विस्तार हुआ, उसी गति से इसका आधारभूत ढांचा सुदृढ़ नहीं हो पाया। लाइन बाजार चौक से लेकर धर्मशाला चौक और शिव मंदिर चौक तक जाम की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। सड़क के दोनों किनारे दुकानों के सामने बेतरतीब ढंग से खड़ी बाइकों की कतार जाम का मुख्य कारण बनती है। वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था न होने से लोग मजबूरी में सड़क पर ही बाइक या चारपहिया खड़ा कर देते हैं। सड़क पहले से ही संकरी है, ऊपर से भीड़-भाड़ और अव्यवस्थित पार्किंग यातायात को और बिगाड़ देती है। नतीजतन, यदि किसी रोगी को लेकर बड़ी गाड़ी या एंबुलेंस भीतर प्रवेश कर जाए तो अन्य वाहनों को साइड देने में लंबा इंतजार करना पड़ता है। यह स्थिति मरीजों और उनके परिजनों के लिए गंभीर संकट खड़ी करती है। स्थानीय दुकानदारों की भी परेशानी बढ़ी हुई है। दुकानों के सामने खड़ी बाइकों के कारण उनके व्यवसाय पर असर पड़ता है। ग्राहकों को रुकने और खरीदारी करने में मुश्किल आती है। दुकानदारों का कहना है कि यह समस्या कई वर्षों से है, लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधि इसमें सुधार करने में सफल नहीं हो पा रहे। लाइन बाजार का दूसरा बड़ा संकट नाले की अव्यवस्था है। सड़क के दोनों ओर बने नालों का जुड़ाव बड़े नाले से नहीं किया गया, जिसके कारण गंदगी एक ही जगह जमा रहती है और उससे लगातार दुर्गंध उठती रहती है। गर्मी और बरसात के दिनों में यह समस्या विकराल रूप ले लेती है। नाले का ढक्कन हटा दिए जाने कारण कई जगह खुले गड्ढे बने हुए हैं, जिनमें राहगीर और बाइक सवार अक्सर गिर जाते हैं। दुर्घटनाओं में कई लोगों के हाथ-पांव टूटने की घटनाएं आम हो गई हैं। स्थानीय लोगों ने जन संवाद कार्यक्रम में कहा कि यह नाला उनके जी का जंजाल बन चुका है। दुकानदारों और निवासियों के मुताबिक गंदगी और दुर्गंध ने जीना मुश्किल कर दिया है। नगर निगम कई बार सफाई और चौड़ीकरण की बातें करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस पहल नहीं दिखती। पूर्णिया के लोग मानते हैं कि जिस तरह रजनी चौक से लेकर शिव मंदिर चौक तक गंगा-दार्जिलिंग रोड को चौड़ा किया गया है और बीच में डिवाइडर लगाया गया है, उसी तर्ज पर पूरे लाइन बाजार चौक तक चौड़ीकरण का काम होना चाहिए। ऐसा होने पर सड़क पर यातायात और पार्किंग की समस्या काफी हद तक सुलझ सकती है। स्थानीय दुकानदार कुंठा जाहिर करते हैं कि उन्हें अपने ही शहर में उपेक्षित महसूस होना पड़ रहा है। उनका कहना है कि लाइन बाजार की समस्याओं पर प्रशासनिक अमला और जनप्रतिनिधियों की नजरें बंद हैं। ऐसे में लोग स्वयं को यतीम समझने लगे हैं। पार्किंग के अभाव और अनियंत्रित भीड़ का एक बड़ा दुष्प्रभाव बाइक चोरी की घटनाओं में भी हो रहा है। आजादी के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा गया लाइन बाजार का इतिहास भी काफी दिलचस्प है। अंग्रेजों के जमाने में पूर्णिया सदर अस्पताल का परिसर अंग्रेजों की कोठी हुआ करता था। उस दौर का जिला अस्पताल आज के जिला स्कूल कैंपस में स्थित था। वहीं प्राचीन गंगा-दार्जिलिंग रोड इस इलाके की अहम पहचान है। इस सड़क का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह काढ़ा गोला के गंगा घाट से निकलकर सीधे दार्जिलिंग तक पहुंचती थी। आजादी के बाद इसे राष्ट्रीय राजमार्ग से जोड़ा गया और धीरे-धीरे इसके किनारे छोटी-बड़ी दुकानें और होटल खुल गए। पुराने लोग बताते हैं कि यहां पहले लाइन होटल और चाय-नाश्ते की दुकानें हुआ करती थीं। उन्हीं लाइन होटल से ही इस इलाके का नाम “लाइन बाजार” पड़ा होगा। समय के साथ यहां अस्पताल, डॉक्टर और क्लिनिक खुलते गए और यह इलाका स्वास्थ्य हब के तौर पर उभरा। बुनियादी समस्याओं के समाधान पर ध्यान नहीं अब यहां चिकित्सा सेवाओं के अलावा बड़े पैमाने पर व्यावसायिक केंद्र भी विकसित हो गए हैं। परिणामस्वरूप दिन में यहां की भीड़ इतनी बढ़ जाती है कि सड़कों पर पैर रखने की जगह नहीं बचती। लाइन बाजार का महत्व केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूर्णिया की आर्थिक गतिविधियों का भी प्रमुख केंद्र है। बावजूद इसके, यहां की बुनियादी समस्याओं के समाधान पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नगर निगम और प्रशासन बार-बार आश्वासन देते हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप से कोई ठोस पहल नहीं हो रही। यहां के लोगों की सीधी मांग है कि सड़क चौड़ीकरण, व्यवस्थित पार्किंग स्थल और नालों की सफाई एवं ढक्कन लगाने जैसे उपाय तुरंत लागू हों। तभी इस क्षेत्र की समस्याओं का स्थायी समाधान संभव है। जनता की आवाज पहले का लाइन बाजार और पहले का पूर्णिया अपना जैसा लगता था। अब बेगाना लगने लगा है। हर जगह भीड़ भाड़ और रोड किनारे बाइक लगाने का झगड़ा झंझट से मन कुंठित रहता है। -मो. जीशान एक जमाना था जब लाइन बाजार पूरा साफ सुथरा और रमणीक स्थल के रूप में था। इसी कारण यहां हम लोगों ने यहां व्यवसाय शुरू किया। -तनवीर मुस्तफा उर्फ मुन्ना लाइन बाजार का रोड काफी चौड़ा होना चाहिए ताकि जाम की समस्या ना हो और रोड के दोनों तरफ का नाला साफ-सुथरा होना जरूरी है। जिससे राहत मिले। -अकबर लोग जहां-तहां बाइक लगाकर चल जाते हैं। ऐसी स्थिति में बाइक खड़ी करने में लड़ाई झगड़ा भी हो जाता है, कभी चोरी भी हो जाती है। जिससे परेशान हैं। -वहीदुर रहमान रोड के दोनों तरफ अगर हाई मास्ट लाइट लग जाती तो रौनक बढ़ जाती। रोड पहले से ज्यादा चौड़ी हो जाती तो गरिमा बढ़ जाती और अगर नाला साफ हो जाता तो स्वर्ग बन जाता। -नावेद अख्तर गर्मी और सूखे के समय में काफी परेशानी होती है। क्योंकि पूर्णिया का एक्यूआई ऐसे ही खराब रहता है और लाइन बाजार के गंदगी में तो और ज्यादा परेशानी हो जाती है। -हाफिज मंजर साफ जगह चाहिए और बाइक खड़ी करने के लिए पार्किंग जोन भी होना चाहिए। जिस हिसाब से जनसंख्या बढ़ी है उस हिसाब से सुविधा नहीं बढ़ेगी तो सबको दिक्कत है। -शब्बीर आलम लाइन बाजार के नाला के लिए हम लोगों ने कई बार आंदोलन किया। इसके बाद हम लोग न्यायालय गए। न्यायालय के आदेश के बावजूद भी नाला नहीं बना। -मो. वसीम बरसात के समय नाला में पानी भर जाने के कारण भारी फजीहत होती है। हम लोग दुकान से रोड पर जाने के लिए नाला के ऊपर बांस का चचरी लगाकर चलते हैं। -मो. तनवीर आंदोलन के पश्चात जब वर्ष 2019 में न्यायालय ने नाला बनाने का आदेश नगर निगम को दिया तो लगा कि अब कुछ काम होगा लेकिन नगर निगम बिल्कुल सो गया है। -एहतराम हम लोगों को यह बात समझ में नहीं आती है कि जब नगर निगम होल्डिंग टैक्स वसूल करता है तो सुविधा क्यों नहीं देता? यहां से तो अच्छा देहात का बाजार लगता है। -सुशील कुमार जब तक गंगा दार्जिलिंग रोड का निर्माण व चौड़ीकरण एक समान नहीं होगा और दोनों तरफ साफ-सुथरा नाला नहीं बनाया जाएगा तब तक सुंदर लाइन बाजार की परिकल्पना बेकार है। -मुंतसिर सिर्फ धर्मशाला चौक से व मंदिर चौक तक ही जाम का बड़ा झमेला रहता है। इसके लिए प्रशासन को आगे आना चाहिए ताकि सिर्फ इतनी दूरी तक समस्या नहीं रहे। -जमील अंसारी बंटी अगर जिस तरह से दुकान से बाहर रोड पर निकलते हैं और बीच में नाला पड़ जाता है, कभी-कभी उसमें गिर भी जाते हैं और घायल हो जाते हैं। इसको देखने वाला कोई नहीं है। -मुंतसिर आलम लाइन बाजार में रोड पर जाम के लिए आम लोगों को भी सिविक सेंस का अभाव है, इस कारण भी जाम लगती है। सिर्फ प्रशासन के माथे पर ठीकरा फोड़ना अच्छी बात नहीं है। -दिलीप मिश्रा रोड पर जाम की समस्या का समाधान तभी संभव है जबकि रोड चौड़ी तो हो ही ऊपर से ओवरब्रिज बन जाए तो समस्या का स्थायी रूप से समाधान ही हो जाएगा। -शब्बीर आलम हक्का बोले िजम्मेदार त्योहार के मौसम में साफ-सफाई के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। किसी भी तरह की शिकायत बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी सफाई एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है और मुख्य सफाई निरीक्षक को सफाई व्यवस्था की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। -कुमार मंगलम, नगर आयुक्त, पूर्णिया साफ-सफाई के संबंध में नगर निगम को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने पर उचित कार्रवाई न की गई, तो निगम को पूर्ण जिम्मेदारी ठहराया जाएगा। जनता के हित के लिए आवश्यक होने पर मामला उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा। -विजय खेमका, विधायक, पूर्णिया सदर शिकायत 1. सड़क जाम रहने के कारण लोगों को आवागमन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 2. नाले की दुर्गंध से दुकानदार परेशान हैं। इससे उन्हें संक्रामक बीमारी का डर सता रहा है। 3. नाले की साफ-सफाई के नाम पर नगर निगम काफी उदासीन। 4. हर जगह एक सामान चौड़ी नहीं है गंगा-दार्जिलिंग रोड। 5. अत्यंत ही सघन व्यावसायिक केंद्र लाइन बाजार में नहीं लगा हाई मास्ट लाइट। सुझाव 1. हर हाल में लाइन बाजार के गंदे नाले की सफाई जरूरी। 2. एक सामान चौड़ी रहती गंगा दार्जिलिंग रोड तो बढ़ जाती लाइन बाजार की रौनक। 3. रात में रोशनी के लिए रोड के दोनों किनारे हाई मास्ट लाइट लगाना है जरूरी। 4. ब्यूटीफिकेशन के लिए रोड के बीचोंबीच डिवाइडर लगना भी जरूरी। 5. धर्मशाला चौक के पास बाइक के के लिए पार्किंग की व्यवस्था हो।
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