सात साल पहले बना पीजी लैंग्वेज लैब, 30 दिन भी नहीं हुई कक्षा
पीजी अंग्रेजी विभाग के छात्रों के लिए सात साल पहले अंग्रेजी सीखने के लिए लैंग्वेज लैब बनाया गया। मगर टेक्निशियन नहीं होने की वजह इसका लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पाया। 100 सीट के पीजी अंग्रेजी...
स्नातकोत्तर (पीजी) अंग्रेजी विभाग के छात्रों के लिए सात साल पहले लैंग्वेज लैब बनाई गई, मगर तकनीशियन नहीं होने की वजह इसका लाभ छात्र-छात्राओं को नहीं मिल पाया। 100 सीट के पीजी अंग्रेजी विभाग के छात्रों में बोलने की क्षमता विकसित करने के उद्देश्य से इस पर 12 लाख के करीब राशि खर्च की गयी थी, मगर इसमें बैठकर छात्रों ने 30 दिन भी कक्षा नहीं की। लैब में हमेशा ताला लगा रहता है। विभागाध्यक्ष प्रो. यूके मिश्रा कहते हैं कि इसमें जो सॉफ्टवेयर दिया गया था, उसका स्तर मैट्रिक और इंटर के छात्रों के लायक ही था। इसके अलावा तकनीशियन की बहाली नहीं होने से चाहकर भी छात्रों को कक्षाएं नहीं कराई जा सकी। अंग्रेजी विभाग में 2013-14 में यूजीसी की राशि से लैंग्वेज लैब बनी थी। उस समय 20 कंप्यूटर लगाए गए। मगर इस लैब को चलाने का हुनर किसी में नहीं था। विभाग ने विश्वविद्यालय को इसमें टेक्नीशियन की बहाली की मांग की, मगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। शुरुआती दौर में कुछ शिक्षकों ने छात्रों को पढ़ाने की कोशिश भी की, मगर तकनीकी रूप से ट्रेंड नहीं होने से उन्हें सफलता नहीं मिली। इसके बाद इसे बंद करा दिया गया। इस बीच नैक की टीम जब जांच के लिए पहुंची तो उस समय लैब में एसी भी लगाया गया। उस समय उम्मीद जगी कि अब लैंग्वेज लैब शुरू हो जाएगी। मगर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। कुलपति प्रो. एके राय ने कहा कि वह विभागाध्यक्ष से बात करेंगे। जो भी बाधा है उसे दूर कराकर छात्रों के लिए लैब चालू कराई जाएगी। टीएनबी में चल रही लेंग्वेज लैब टीएनबी कॉलेज के अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. मिथिलेश सिन्हा ने कहा कि टीएनबी में बनी लैंग्वेज लैब हर दिन चलती है। उन्होंने कहा कि इसका मकसद छात्रों के बीच लिखना, पढ़ना, बोलना और सुनने की क्षमता को विकास करना है। इसमें दूसरे कॉलेज के छात्र व प्रतियोगिता की तैयारी करने वाले छात्र भी आकर सीख रहे हैं।