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मुहर्रम की नौवीं तारीख पर निकाला जुलूस, या अली-या हुसैन की सदाओं से शहर गूंजा

मुहर्रम की नौवीं तारीख पर गुरुवार को सुन्नी समुदाय के लोगों ने शहर के करीब डेढ़ दर्जन अखाड़ों से जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल पैकरों ने इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए तलवार, लाठी...

मुहर्रम की नौवीं तारीख पर निकाला जुलूस, या अली-या हुसैन की सदाओं से शहर गूंजा
भागलपुर कार्यालय संवाददाताFri, 21 Sep 2018 12:30 AM
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मुहर्रम की नौवीं तारीख पर गुरुवार को सुन्नी समुदाय के लोगों ने शहर के करीब डेढ़ दर्जन अखाड़ों से जुलूस निकाला। जुलूस में शामिल पैकरों ने इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए तलवार, लाठी व भाला के जरिये करतब दिखाया।

जुलूस में शामिल लोगों द्वारा लगाये गये या अली-या हुसैन की सदाओं से माहौल गूंज रहा था। जुमेरात की अलसुबह से ही शहर के गणीचक, मोजाहिदपुर, हबीबपुर, पंखा टोली, खंजरपुर, मायागंज, मौलानाचक, मुस्तफापुर, तातारपुर, जब्बारचक, सराय (कमानगढ़), सराय (राइन टोला) बारीचक व असानंदपुर से जुलूस निकला। इस दौरान अखाड़ों पर फहर रहे तिरंगे देश के प्रति अपने अगाध प्रेम को दर्शा रहे थे।

 जुलूस को देखने वालों की भीड़ कोतवाली चौक, तातारपुर चौक व लाल खां दरगाह चौक पर उमड़ी हुई थी। सबसे बेहतरीन जुलूस चमेलीचक का रहा। इसमें शामिल लोगों के सिर पर सज रही पगड़ी जुलूस को और बेहतरीन बना रही थी। जुलूस में शामिल लोगों की या अली या हुसैन की सदा लोगों को इमाम हुसैन व उनके साथियों की कर्बला में दी गयी शहादत की याद दिला उन्हें इस बात का एहसास करा रही थी वे उस इमाम हुसैन के अगुवाई हैं जिन्होंने सच व हक के लिए अपनों व अपनी जान की भी फिक्र नहीं की।

 जुलूस निकाले जाने के दौर में सबसे आखिरी जुलूस मीरग्यासचक चंपानगर अखाड़े का था। जो जुमेरात की शाम करीब पौने पांच बजे किलाघाट इमामबाड़े पर पहुंचा। इसके आगे-आगे रेकाबगंज अखाड़े द्वारा निकाला गया जुलूस चल रहा था।

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