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नवगछिया: रोजे कमाई छियै तबे घरों के चूल्हा जले छै की खयबै हो बाबू

नवगछिया में रोजाना मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाने वाले मजदूरों को जब सोमवार सुबह नवगछिया सील होने की जानकारी मिली तो काफी मायूस हो गये। दरवाजे पर बैठे धरमू और सन्ता महतो ने कहा कि बाबू हमैं सनी रौजे...

नवगछिया: रोजे कमाई छियै तबे घरों के चूल्हा जले छै की खयबै हो बाबू
हिन्दुस्तान टीम,भागलपुरTue, 07 Apr 2020 01:47 AM
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नवगछिया में रोजाना मजदूरी कर अपनी आजीविका चलाने वाले मजदूरों को जब सोमवार सुबह नवगछिया सील होने की जानकारी मिली तो काफी मायूस हो गये। दरवाजे पर बैठे धरमू और सन्ता महतो ने कहा कि बाबू हमैं सनी रौजे कमाई छियै तभै घर में चूल्हा जलै छै हो बाबू, नवगछिया में ककरो नजर लगी गलै। राती घरों में चूल्हा केना जलते। भुखले रहै ले पड़ते हो बाबू। रोजाना दिनभर कमाकर उसी मजदूरी से घर चलनेवाले दिहाड़ी मजदूरों के सामने खाने की चिंता दिख रही थी।

मजदूर महेश ने कहा कि आजतक कभी नवगछिया में ऐसी स्थिति नहीं देखी थी। अब हम लोगों के घर का चूल्हा कैसे जलेगा। क्या खाएंगे बच्चे। कितने दिनों तक भूखे-प्यासे रहना होगा। वहीं रिक्शाचालक राजेश ने बताया कि हम चार आदमी हैं। दिन में रिक्शा चलाकर शाम में पैसा लाते हैं तो रात में भोजन बनता है। सुबह का भोजन तो बन गया। शाम में क्या खाएंगे और बच्चों को क्या खिलाएंगे। अब यही सोच रहे हैं। हमलोगों ने अपने वार्ड के मुखिया को बताया तो 10 तारीख से अनाज मिलने की बात कही है। लेकिन बाबू हमलोग तबतक कहां जाएं और किसको अपनी पीड़ा कहें कोई तो बता दे।

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