यादें शेष: वर्षों तक भागलपुर की राजनीतिक धुरी बने रहे थे जगन्नाथ मिश्र
भागलपुर की राजनीतिक धरा पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र की छाया हमेशा दिखती रही। भागवत झा आजाद और शिवचन्द्र झा जैसे दो दिग्गज नेताओं के भागलपुर में होते हुए भी उन्होंने कार्यकर्ताओं में गहरी...
भागलपुर की राजनीतिक धरा पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र की छाया हमेशा दिखती रही। भागवत झा आजाद और शिवचन्द्र झा जैसे दो दिग्गज नेताओं के भागलपुर में होते हुए भी उन्होंने कार्यकर्ताओं में गहरी पैठ बनाई। लंबे समय तक भागलपुर की राजनीतिक में धुरी बने रहे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह उनके खासमखास थे तो पूर्व विधायक तालिब अंसारी भी उनसे बेहद करीब से जुड़े रहे थे। तालिब अंसारी को उन्होंने ही टिकट दिलाया और 1980 में जीतने के बाद बिहार बुनकर समिति का डिप्टी चेयरमैन बनाया। सदानंद सिंह भागलपुर में जगन्नाथ मिश्र की परछाई माने जाते थे। सदानंद सिंह भी चुनाव जीते तो एक बार उनके कैबिनेट मंत्री रहते सिंचाई एवं बिजली विभाग के राज्यमंत्री रहे तो दूसरी बार उनके मुख्यमंत्री काल में भी मंत्री रहे। पुराने कार्यकर्ता कहते हैं कि चूंकि जगन्नाथ मिश्र ने कॉलेज की पढ़ाई भागलपुर में ही की थी। इसलिए भागलपुर की हर गलियों से वाकिफ थे और सैकड़ों कार्यकर्ताओं को चेहरे और नाम से जानते थे। यही कारण है कि उनकी ख्याति भागलपुर में कभी कम नहीं हुई।
मर्माहत हूं, मैंने अपना बड़ा भाई खो दिया: सदानंद
कहलगांव के विधायक सदानंद सिंह ने डॉ. जगन्नाथ मिश्र के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया। उन्होंने कहा कि 1972 से अबतक डॉ. जगन्नाथ मिश्र के साथ जुड़ा रहा। बड़े और छोटे भाई का संबंध था। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अविस्मरणीय काम किया। उनकी यादाश्त ऐसी थी अविभाजित बिहार में लगभग हर जिले में दर्जनों कार्यकर्ताओं को नाम एवं चेहरे से जानते थे। शिक्षकों का वेतन बढ़ाया तो कांस्टीच्यूएंट कॉलेज का गठन किया। उर्दू को द्वितीय भाषा का दर्जा दिया।
अनाथ महसूस कर रहा हूं: तालिब
पूर्व विधायक तालिब अंसारी जगन्नाथ मिश्र के निधन की खबर सुनकर गम में डूबे हैं। बोले-चार माह पूर्व फोन पर बात हुई थी। डॉक्टर साहब बड़ी जोर से बिगड़ गए। बोले-इतने दिन दिन पर बात करोगे? अपनी लाचारी बतायी तो बीमार स्थिति में भी कहा आओ मिलने। उनके गुजर जाने से आज मन भारी है। खुद को अनाथ महसूस कर रहा हूं। जब वे मुख्यमंत्री थे और जब नहीं थे, तब भी किसी काम के लिए निराश नहीं किया।
सुल्तानगंज का सीढ़ी घाट बनवाया
सुल्तानगंज के कांग्रेस नेता विनय शर्मा बताते हैं कि जगन्नाथ मिश्र कई बार कांवर यात्रा किये थे। ध्वजा गली घाट के अतिरिक्त जो सीढ़ी घाट बना है, वह उनकी ही देन है। कांवरिया मार्ग में कुछ धर्मशालाएं भी उन्होंने बनवायीं। सुल्तानगंज में उनका व्यक्तिगत पारिवारिक संबंध भी रहा। इस वजह से भी उनका आना-जाना बना रहा।
हमेशा याद किए जाते रहेंगे डॉ. मिश्र: अजीत
भागलपुर के विधायक अजीत शर्मा ने डॉ. जगन्नाथ मिश्र के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डॉ. मिश्र एक जनप्रिय नेता थे और बिहार के विकास में उनका अभूतपूर्व योगदान हमेशा याद किया जाता रहेगा। जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष डॉ. अभय आनंद, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष कोमल सृष्टि, महानगर अध्यक्ष संजय सिन्हा, नगर अध्यक्ष सोइन अंसारी, ओम प्रकाश उपाध्याय आदि ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।