Medical Waste Disposal Plant in Ward 27 Causes Health Issues for Local Residents बोले भागलपुर: मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट के धुएं से लोगों को परेशानी, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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बोले भागलपुर: मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट के धुएं से लोगों को परेशानी

वार्ड 27 में मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट से निकलने वाले धुएं के कारण स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों ने अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई...

Yogendra Rai हिन्दुस्तान, भागलपुरSat, 9 Aug 2025 05:51 PM
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बोले भागलपुर: मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट के धुएं से लोगों को परेशानी

नगर निगम के वार्ड 27 में मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट है। इसमें कई जिलों के मेडिकल कचरा का निस्तारण होता है। मेडिकल कचरा का निस्तारण तो हो रहा है, लेकिन इसके धुएं से आसपास की आबादी परेशान है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हवा बहने पर घर में रहना मुश्किल हो जाता है। मोहल्ले के लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। स्थानीय लोगों ने बताया कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को कई बार आवेदन देकर इस समस्या का समाधान करने का आग्रह किया गया है। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। मेडिकल कचरा का निस्तारण होना चाहिए। संयंत्र ऐसी जगह बने जहां लोगों को परेशानी नहीं हो।

वार्ड 27 घनी आबादी वाला क्षेत्र है। यहां कुप्पाघाट के अलावा जेएलएनएमसीएच भी है। शहर के पुराने मोहल्लों में यह शामिल है। इस वार्ड की आबादी करीब 15 हजार है। मोहल्ले में अधिकांश लोग मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते हैं। मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट के आसपास आबादी है। मेडिकल कचरा के निस्तारण के दौरान प्लांट से निकलने वाला धुआं हवा के रुख के अनुसार बहता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि धुआं से बचने के लिए रात में कमरा बंद करने के बाद वेंटीलेटर से दुर्गंध आने लगती है। इससे लोगों की सांस फूलने लगती है। वार्ड 27 के अलावा आसपास के अन्य वार्डों के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। प्रशासन को स्थानीय लोगों की समस्याओं को दूर करना चाहिए।

वार्ड 27 के वार्ड पार्षद निकेश कुमार ने बताया कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट को यहां से हटाना चाहिए। प्लांट का धुआं फैलने से सांस, हार्ट, टीबी आदि बीमारी होने का डर लगा रहता है। लोग बीमार भी पड़ रहे हैं। रात में लोग ठीक से सो नहीं पाते हैं। लोगों का सुख-चैन सब गायब हो गया है। प्लांट के कचरा से निकले पानी पीने से मवेशियों को भी नुकसान हो रहा है। पिछले साल स्थानीय लोगों ने सांसद को आवेदन देकर इसकी शिकायत की थी। इसको लेकर सांसद ने डीएम को भी पत्र भेजा था। उन्होंने बताया कि मायागंज में ग्रामीण कार्य विभाग कार्यालय से कुप्पाघाट तक का नाला अर्द्धनिर्मित है। नाला के पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं होने से परेशानी हो रही है। हथिया नाला में गंदा पानी जाने की व्यवस्था नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही है। ओवरफ्लो होने के चलते मायागंज कुप्पाघाट सड़क पर गंदा पानी जमा हो जाता है। कुप्पाघाट जाने वाले लोगों को परेशानी होती है। इसके आसपास कई धार्मिक स्थल हैं। गंदा पानी सड़क पर जमा होने से आपस में विवाद भी होता है। नाला का प्राक्कलन बन चुका है। तकनीकी स्वीकृति भी मिल चुकी है। आवंटन के अभाव में नाला का निर्माण नहीं हो रहा है। इसके चलते लोगों को काफी परेशानी हो रही है। मायागंज रोड से पंडित टोला तक बड़ा नाला बन रहा है। लेकिन अभी तक नाला बनकर तैयार नहीं हो सका है। काम को तत्काल पूरा करने की जरूरत है। नाला में आदमी और जानवर गिरकर घायल हो जाते हैं।

प्रवीण कुमार ने बताया कि कुप्पाघाट जाने वाली सड़क अतिक्रमण के चलते सिकुड़ गयी है। 20 फीट की सड़क सिकुड़कर 10 फीट चौड़ी हो गयी है। पर्व-त्योहार में कुप्पाघाट में लोगों की भीड़ होती है। सड़क सिकुड़ने के चलते अक्सर जाम लग रहा है। प्रशासन को अतिक्रमण हटाकर सड़क चौड़ी करनी चाहिए। मायागंज की गलियों में भी अतिक्रमण के चलते आवागमन में परेशानी होती है।

अभिषेक आनंद ने बताया कि शहर का बड़ा मोहल्ला होने के बावजूद सुविधाएं नहीं है। मायागंज और आसपास के मोहल्ले में हाईस्कूल नहीं है। हाईस्कूल नहीं होने से बच्चों को चार किमी. की दूरी तय करनी पड़ती है। लड़कियों को स्कूल जाने में काफी परेशानी होती है। आने-जाने में वाहनों का किराया भी अधिक लगता है। मायागंज में एक हाईस्कूल खुलना चाहिए। ताकि अधिक से अधिक बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें। उषा शर्मा ने बताया कि प्लांट के धुएं के चलते लोग रात में चैन से नहीं सो पाते हैं। जिस दिन प्लांट बंद रहता है या बारिश हो जाती है तो लोगों को राहत मिलती है। धुआं के चलते सांस लेने में दिक्कत होती है। जानवर भी बीमार पड़ता है। कई बार विभिन्न स्तर पर स्थानीय लोगों ने शिकायत की है। इस मोहल्ले में वह घर बनाकर फंस गयी हैं। जिला प्रशासन तत्काल इस पर रोक लगाए। वंदना देवी ने बताया कि पार्षद सहित अन्य लोगों से लगातार शिकायत की जा रही है। लेकिन मोहल्ले के लोगों को राहत नहीं मिल रही है। बीमार पड़ने पर इलाज कराने में पैसा खर्च होता है। सरिता देवी ने बताया कि उनके पति को हार्ट अटैक हो गया था। डॉक्टरों ने इलाज के दौरान फेफड़ा में गंदगी पायी थी। जबकि पति कोई नशा नहीं करते हैं। घर प्लांट के बगल में है। शुरू से स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं। धुआं के चलते नींद ठीक से नहीं आती है।

मो. इरशाद ने बताया कि जिधर की हवा रहती है। उस क्षेत्र में रहने वाले लोगों को परेशानी होती है। शरीर की ताजगी खत्म हो जाती है। मोहल्ले के लोगों को पानी सही से नहीं मिलता है। 10-20 मिनट पानी मिलता है। प्याऊ का सड़क किनारे नल लगा हुआ है। पानी ढोकर लाना पड़ता है। हर घर नल का जल योजना के तहत सभी घरों में पर्याप्त पानी की आपूर्ति होनी चाहिए। प्रो. अबुल कलाम आजाद ने बताया कि मायागंज पुराना और बड़ा मोहल्ला है। यहां बच्चों को पढ़ने के लिए एक हाईस्कूल होना चाहिए। लड़कियों को दूर जाने में काफी परेशानी होती है। मायागंज में सड़क किनारे रात में लोग वाहन चार्ज करने के लिए लगाकर छोड़ देते हैं। इसके चलते मरीज को वाहन से अस्पताल ले जाने में परेशानी होती है। प्रशासन को ऐसा करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।

इनकी भी सुनिए

घनी आबादी वाले इलाके में मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट नहीं लगाया जाना चाहिए। इसमें मेडिकल कचरा के साथ ऐसी चीजें जलाई जाती हैं जिसके दुर्गंध और प्रदूषण से लोग गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं।

-निकेश कुमार

घर के पास में मेडिकल कचरा निस्तारण का प्लांट है। जिसके कारण यहां रहने वाली बड़ी आबादी को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है। कई वर्षों से जीना मुहाल हो गया है।

-मो. रिजवान

जहरीली हवा के कारण हार्ट की बीमारी होने का डर बना रहता है। सांस की बीमारी के कारण वॉल्व बदलवाना पड़ गया है। काफी परेशानी होती है। आबादी से दूर मेडिकल वेस्ट जलाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

-प्रदीप कुमार

कई जिले का मेडिकल कचरा भागलपुर के प्लांट में जलाया जाता है। इससे सांस की बीमारी से लोग परेशान हैं। इस समस्या का समाधान होना चाहिए। ताकि इलाके की बड़ी आबादी को जानलेवा प्रदूषण से मुक्ति मिले।

-अभिषेक आनंद

प्लस टू विद्यालय नहीं होने से इलाके के छात्र -छात्राओं को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। ऑटो-टोटो किराया में काफी पैसे लग जाते हैं। इससे गरीब परिवारों को काफी परेशानी होती है।

-अबुल कलाम आजाद

ई-रिक्शा चार्जिंग के लिए सड़क पर लगाया जाता है। जिसके कारण आवागमन में दिक्कत होती है। अतिक्रमण के कारण रात के समय में इमरजेंसी पड़ने पर अस्पताल जाने में परेशानी होती है।

-मो. इरशाद

रात के समय में मेडिकल वेस्ट जलाया जाता है। दिनभर काम करने के बाद लोग रात को आराम करते हैं, लेकिन मेडिकल कचरा के दुर्गंध से खुली हवा में सांस लेना मुश्किल होता है।

उषा शर्मा

सांस के माध्यम से जहरीली गैस शरीर में प्रवेश करती है। जिससे कई लोगों को गंभीर बीमारी से जूझना पड़ रहा है। सांसद, विधायक और डीएम को आवेदन दिया, लेकिन समाधान नहीं हुआ।

-प्रवीण कुमार

मायागंज की घनी आबादी वाले इलाके से मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट को ऐसी जगह शिफ्ट कराया जाय, जहां आसपास के लोगों के स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव नहीं पड़े। मानव, पशुओं और पर्यावरण को क्षति हो रही है।

-चंदन कुमार

गर्मी के दिन में चाहकर भी घर की छत पर बैठना या सोना संभव नहीं है। खुली हवा के लिए खिड़की खोलकर नहीं रख सकते हैं। दूषित गैस से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

-प्रिंस कुमार

कचरा प्लांट से निकलने वाला पानी पास की खाली जमीन पर बहता है। इस दूषित पानी को पीने से कई पशु बीमार पड़ रहे हैं। मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट पर्यावरण और स्वास्थ्य से खिलवाड़ है।

-सुधा देवी

कूडा फेंकने के लिए डस्टबिन की व्यवस्था होनी चाहिए। सफाईकर्मी झाड़ू लगाने नहीं आते हैं। नाला सफाई और कूड़ा उठाव की व्यवस्था सुनिश्चित हो। पोल पर लगी लाइट ठीक नहीं की जाती।

-सरिता कुमारी

कुप्पाघाट के गंगा घाट की ओर जाने वाली कच्ची सड़क के कारण गड्ढे में पानी जमा हो जाता है। जिससे गंगा स्नान या अन्य कार्य के लिए जाने में असुविधा होती है। पक्की सड़क का निर्माण हो।

-ललिता देवी

बरारी वाटर वर्क्स से आने वाला पानी शुद्ध नहीं होता है। पानी खरीदकर पीना पड़ता है। शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कराई जाए। हर घर नल का जल लोगों को मिलना चाहिए।

-वंदना देवी

महर्षि मेंहीं आश्रम मार्ग में सड़क और नाला पर घर बना लिया गया है। प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाया जाए। ताकि सड़क की चौड़ाई बढ़े और श्रद्धालुओं तथा बड़े वाहनों का आवागमन आसानी से हो सके।

-पूनम देवी

शहर में सुन्दरवन है, जहां पक्षियों का संरक्षण होता है। वन संरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट पिछले कई वर्षों से शहर में चल रहा है। इसे शहर से हटाया जाय।

-राखी देवी

शिकायत

1. मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट में बिहार के कई जिलों के मेडिकल कचरा जलाया जाता है। इसके कारण कुप्पाघाट और आसपास के लोगों को परेशानी होती है।

2. मेडिकल कचरा प्लांट से निकलने वाला पानी पीने से मवेशी बीमार पड़ जाते हैं। दूषित हवा की दुर्गंध से सांस लेने में तकलीफ होती है।

3. किसी घर में पानी आता है तो कहीं नहीं आता है। पानी ढोकर लाने में दिक्कत होती है। बरारी के पुरानी पाइप का पानी साफ नहीं रहता है।

4. घर के नजदीक में अस्पताल है, लेकिन मेडिकल वेस्ट के निस्तारण प्लांट से निकलने वाले धुएं से बीमारी फैल रही है। इसको रोकने की व्यवस्था होनी चाहिए।

5. रात के समय में मेडिकल वेस्ट जलाया जाता है। जिससे आसपास के इलाके की हवा दूषित हो जाती है। घर की खिड़की दरवाजा खोलकर नहीं रख सकते।

सुझाव

1. मायागंज स्थित घनी आबादी वाले क्षेत्र से मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट को हटाकर आबादी से दूर शिफ्ट किया जाय। ताकि लोगों को स्वच्छ हवा मिले।

2. बुडको द्वारा बिछाई गई पाइपलाइन से सभी घरों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित हो। बरारी से आने वाले सप्लाई वाटर से दुर्गंध एवं गंदगी का समाधान हो।

3. मेडिकल कचरा निस्तारण प्लांट को आबादी वाले इलाके से दूर स्थापित करने से शहरी क्षेत्र के लोगों को सांस, कैंसर और हृदय रोग की समस्या में कमी आएगी।

4. महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सरकार कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर प्रशिक्षण की व्यवस्था करे। ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।

5 .कुप्पाघाट इलाके के गंगा घाट रोड समेत इलाके के सभी जर्जर सड़कों का निर्माण कार्य सुनिश्चित कराया जाय। खराब पड़ी स्ट्रीट लाइट ठीक करायी जाए।

प्रस्तुति: वीरेन्द्र कुमार, रविशंकर, फोटोग्राफ: कान्तेश

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