Medical Blunder Woman Operated on Non-existent Gallbladder in Bihar Hospital अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में बताया गॉल ब्लैडर में स्टोन, ऑपरेशन में गॉल ब्लैडर ही नहीं मिला, Bhagalpur Hindi News - Hindustan
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अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में बताया गॉल ब्लैडर में स्टोन, ऑपरेशन में गॉल ब्लैडर ही नहीं मिला

मायागंज अस्पताल के ओपीडी के भूतल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में बताया गया गाल

Newswrap हिन्दुस्तान, भागलपुरSun, 29 Dec 2024 01:22 AM
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अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में बताया गॉल ब्लैडर में स्टोन, ऑपरेशन में गॉल ब्लैडर ही नहीं मिला

भागलपुर, वरीय संवाददाता पूर्वी बिहार और कोसी-सीमांचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शुमार जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) में गलत रिपोर्ट पर अनावश्यक ही डॉक्टरों को एक महिला मरीज का पेट फाड़ना पड़ गया। दरअसल, ओपीडी के भूतल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर की गॉल ब्लैडर में स्टोन होने की रिपोर्ट को सच मान मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार की अगुवाई में डॉक्टरों ने पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द से बेजार महिला की सर्जरी कर डाली। डॉक्टरों ने जब पथरी निकालने के लिए गॉल ब्लैडर को ढूंढ़ना शुरू किया तो पता चला कि महिला को गॉल ब्लैडर ही नहीं है, पथरी तो दूर की बात है। हालांकि इस बाबत मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने कहा कि महिला को गॉल ब्लैडर था और पथरी उसके सीबीडी में पाया गया। जबकि जांच रिपोर्ट में गॉल ब्लैडर में पथरी पाया गया। वहीं हिन्दुस्तान के पास महिला के हो रहे ऑपरेशन से जुड़ा 6:50 मिनट का एक ऐसा विडियो है, जिसमें डॉक्टर बात करते हुए पाये गये कि महिला के गॉल ब्लैडर ही नहीं है। इसके बाद नाराज यूनिट इंचार्ज डॉ. राकेश कुमार को ऑपरेशन थिएटर में अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके सिन्हा को बुलाया और उन्हें बताया कि किस तरह एक गलत जांच रिपोर्ट के कारण महिला का अनावश्यक रूप से पेट फाड़ना पड़ गया।

18 दिसंबर को हुई थी भर्ती, 20 को हुआ था महिला का ऑपरेशन

अमंडडा थानाक्षेत्र के अदलपुर निवासी विजय प्रसाद सिंह की 55 वर्षीय पत्नी कांती देवी को बीते तीन माह से पेट के दाहिने अपर एब्डोमेन में दर्द की शिकायत थी। उसका ओपीडी के भूतल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर पर अल्ट्रासाउंड जांच करायी गयी तो रिपोर्ट में कोलेलिथियसिस इन जीबी (गॉल ब्लैडर में पथरी) बताया। इसी रिपोर्ट के बाद उसे 18 दिसंबर को सुबह 11:45 बजे डॉ. राकेश कुमार की यूनिट में सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया। जरूरी जांच के बाद उसे 20 दिसंबर को डॉ. राकेश कुमार की अगुवाई में डॉक्टरों की टीम ने कांती देवी का ऑपरेशन किया। महिला का जब पेट फाड़ा गया और डॉक्टरों ने पथरी निकालने के लिए जब गॉल ब्लैडर को ढूंढ़ना शुरू किया तो पता चला कि महिला को गॉल ब्लैडर ही नहीं है। इसके बाद महिला के खोले गये पेट के हिस्से पर टांका लगाते हुए सर्जरी बंद कर दी।

जारी अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में गॉल ब्लैडर में स्टोन बताया गया था, जबकि गॉल ब्लैडर के बजाय सीबीडी में स्टोन मिला। ऐसे में हमें एक्स्ट्रा ऑपरेशन करना पड़ा।”: डॉ. राकेश कुमार, प्राचार्य, जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज भागलपुर

“शनिवार को गलत अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट जारी करने वाली एजेंसी के खिलाफ स्पष्टीकरण का नोटिस जारी कर दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि अगर रेडियोलॉजिस्ट योग्य नहीं है तो उसे हटाकर किसी दूसरे योग्य रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती करें। अन्यथा अब गलत रिपोर्ट जारी हुई तो जांच का काम ही छीन लिया जाएगा।

डॉ. के के सिन्हा, अधीक्षक, मायागंज अस्पताल भागलपुर

सेंटर के संचालक बोले

इस मामले की जानकारी मिली है। अभी तक ऑफिस से पत्र नहीं मिला है। अधीक्षक ने जानकारी जरूर दी है। पत्र मिलने के बाद महिला का अल्ट्रासाउंड करने वाले डाक्टर को शोकॉज किया जाएगा।

सुजीत डे, संचालक, अल्ट्रासाउंड सेंटर।

इससे पहले भी अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर जारी कर चुका गलत रिपोर्ट

केस नंबर एक: घोघा की कोमल कुमारी का ओपीडी के भूतल पर अल्ट्रासाउंड जांच हुई तो सेंटर के डॉक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट में एनएडी यानी ‘नो एब्नॉर्मिलिटी डिटेक्टेड लिखकर भेज दिया। लेकिन डॉक्टर ने रिपोर्ट पर आशंका जाहिर करते हुए अस्पताल के ओपीडी के प्रथम तल पर संचालित दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जांच कराई तो उसकी अल्ट्रासाउंड जांच रिपोर्ट में ‘फ्री फ्लूड कलेक्शन सीन इन पीओडी यानी कोमल के पॉश ऑफ डगलस में फ्री फ्ल्यूड यानी रक्तश्राव का एकत्रीकरण दिख रहा है, बताया गया। इसके बाद कोमल का इलाज शुरू हो सका।

केस नंबर दो: लोदीपुर की 21 वर्षीय तुलसी कुमारी को मूत्र करते वक्त जलन व खून की कुछ बूंदें आने की शिकायत के साथ छह सितंबर को डॉ. ओबेद अली को मेडिसिन ओपीडी में दिखाया। डॉक्टर की सलाह पर ओपीडी के भूतल पर हुई अल्ट्रासाउंड जांच की रिपोर्ट में ‘नो एब्नॉर्मिलिटी डिटेक्टेड करार दिया। डॉक्टर को इस रिपोर्ट पर आशंका हुई और उन्होंने ओपीडी के पहले तल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर पर जांच करायी तो उसके गॉल ब्लैडर में हल्का कचरा (स्टोन) का होना पाया गया। इसके बाद उसका इलाज शुरू हुआ।

केस नंबर तीन: शाहकुंड प्रखंड के खैरा गांव की बीबी इशरत ने 23 सितंबर को स्त्री रोग एवं प्रसव ओपीडी में महिला डॉक्टर से इलाज कराई थी। डॉक्टर की सलाह पर उसका ओपीडी बिल्डिंग के भूतल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर पर जांच कराई तो रिपोर्ट में बीबी इशरत को गर्भवती (पॉजिटिव फीटस) बताया। रिपोर्ट देख महिला डॉक्टर को आशंका हुई तो उन्होंने ओपीडी बिल्डिंग के पहले तल पर संचालित अल्ट्रासाउंड जांच सेंटर जांच कराई। तो जांच रिपोर्ट में उसके गॉल ब्लैडर में 18 एमएम का पथरी मिला। इसके बाद बीबी इशरत का अस्पताल के पैथोलॉजी सेंटर में प्रेग्नेंसी जांच भी हुई, जहां वह प्रेग्नेंसी निगेटिव मिली। बीबी इशरत ने इसकी लिखित शिकायत अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके सिन्हा से करते हुए गलत रिपोर्ट देने वाले सेंटर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

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