मधुश्रावणी व्रत का हुआ समापन
मधुश्रावणी व्रत का समापन गुरुवार को हो गया। व्रती शुक्रवार को नमक खाकर व्रत...
मधुश्रावणी व्रत का समापन गुरुवार को हो गया। व्रती शुक्रवार को नमक खाकर व्रत तोड़ेंगी। इस दौरान 14 दिनों तक कथकही से मैना पंचमी, विषहरी, बिहुला, मनसा, मंगला गौरी एवं सती की कथा सुनी गयी।
लालकोठी की वत्सला लॉकडाउन के कारण अपने घर नहीं जा सकीं और ससुराल में ही मधुश्रावणी का व्रत कीं। उन्होंने बताया कि नानी अरूणा झा ने इस दौरान कथा कही। इस दौरान पति अभिराज, ससुर राजेश कुमार मिश्रा, सास अर्चना मिश्रा, देवर अभिजीत राज, मामा-मामी का काफी सहयोग मिला। उन्होंने बताया कि शादी के बाद पहले सावन में पति की लंबी आयु के लिए नवविवाहिताएं व्रत करती हैं।
दूसरी ओर महाराज घाट, बड़ी खंजरपुर की नवविवाहिता अंकिता वत्स ने बताया कि 30 जनवरी को उनकी शादी सलेमपुर, कुरसेला के अमित कुमार झा से हुई थी। उन्हें कथकही दादी अरूणा मिश्रा ने कथा सुनाई। अंतिम दिन 14 सुहागिनों के बीच डालिया, खाजा, व श्रृंगार के सामान बांटे गये। इस दौरान टेमी दागने की परंपरा से गुजरना पड़ा। संकटमोचन दरबार के पंडित चंद्रशेखर झा ने बताया कि मधुश्रावणी व्रत महिलाओं को प्रकृति के साथ जुड़ने की सीख देता है। मिथिला संस्कृति में हर घर में यह पूजा पावन तरीके से की जाती है।
