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मच्छर से टक्कर: आपसी समन्वय से ही जीतेंगे डेंगू-मलेरिया से जंग

मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी (एमबी डिजीज) को ले शुक्रवार को हिन्दुस्तान कार्यालय में संवाद कार्यक्रम हुआ। इसमें शहर के समाजसेवी, प्रबुद्ध नागरिक, महिलाएं, जनप्रतिनिधि, चिकित्सक, नगर निगम व...

मच्छर से टक्कर: आपसी समन्वय से ही जीतेंगे डेंगू-मलेरिया से जंग
भागलपुर, कार्यालय संवाददाताSat, 24 Aug 2019 05:05 PM
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मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी (एमबी डिजीज) को ले शुक्रवार को हिन्दुस्तान कार्यालय में संवाद कार्यक्रम हुआ। इसमें शहर के समाजसेवी, प्रबुद्ध नागरिक, महिलाएं, जनप्रतिनिधि, चिकित्सक, नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों ने हिन्दुस्तान के अभियान 'मच्छर को टक्कर' की सराहना की।
 
साथ ही इसमें नगर निगम से नाला सफाई, जलजमाव व फॉगिंग अभियान को तेज करने की बात कही गयी तो स्वास्थ्य विभाग से अपेक्षा की गयी कि पीएचसी, एपीएचसी स्तर पर मच्छरजनित बीमारियों की जांच-इलाज की मुकम्मल व्यवस्था रहे। चिकित्सकों ने बीमारियों की पहचान एवं इसके बचाव पर जोर दिया तो नगर निगम के जिम्मेदारों ने भी आश्वासन दिया कि फॉगिंग, छिड़काव व सफाई के जरिये मच्छरजनित बीमारियों को दूर किया जायेगा। कुल मिलाकर बात निकली कि अगर सरकारी मशीनरी अच्छी नीति व नीयत के साथ जनता, सामाजिक संगठन, जनप्रतिनिधि के साथ समन्वय स्थापित कर लें तो मच्छर जनित जानलेवा बीमारियों के खिलाफ जंग आसानी से जीत लेंगे।

संवाद से निकली प्रमुख बातें
- देश में हर साल सात लाख लोगों की मौत मच्छरजनित बीमारियों से होती है। 
- ड्रेनेज को साफ किये बिना जलजमाव जैसी समस्या से निपटना नामुमकिन।
- दशहरा तक शहर में दिखने लगेगा सफाई व फॉगिंग का असर
- बीमार होने पर किसी का इंतजार नहीं करें, सीधे अस्पताल पहुंचे 
- मुख्य मार्ग के अलावा अंदर मुहल्लों में 15वें दिन फॉगिंग करायी जाये 
- हर वार्ड में एक-एक फॉगिंग मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित हो
- मच्छरदानी का इस्तेमाल बीमारियों से बचाव के लिए सबसे बेहतरीन 
- डेंगू-मलेरिया के मच्छर दिन में काटते हैं और चार फीट से ऊपर नहीं उड़ पाते
- नालियों से कचरा निकालने के बाद तत्काल उठाव हो, छोड़ा नहीं जाये 
- जहां सफाई ज्यादा, वहां मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारियां नहीं होंगी
-  ग्रामीण सरकारी अस्पतालों में भी उपलब्ध हो डेंगू-मलेरिया का जांच-इलाज

अभया नारी सशक्तीकरण सोसाइटी की सचिव जूही जास्मिन ने कहा कि नालों के पेट कचरे से भरे हुए हैं। वार्ड नंबर 28 समेत शहर के अधिकांश वार्डों के मुहल्लों में फॉगिंग नहीं की जा रही है। खुले नाले मच्छरों के पनपने का पूरा अवसर दे रहे हैं। फॉगिंग में केमिकल के बजाय सिर्फ केरोसिन के तेल की महक आती है।
 
सोसाइटी की सदस्य संगीता कुमारी का कहना था कि जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर, जलजमाव एक तरफ जहां मच्छरजनित बीमारियों को न्योता दे रहे हैं तो दूसरी तरफ निगम द्वारा फागिंग नहीं कराये जाने से डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया जैसी घातक बीमारियों की चपेट में लोग आ सकते हैं।

फिजिशियन डॉ. विनय कुमार झा ने कहा कि नगर निगम के साथ-साथ यह हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि हमारे आसपास गंदगी नहीं फैले। ड्रेनेज की नियमित सफाई होनी चाहिए। मच्छरों से बचाव करके हम ब्रेन मलेरिया, फाइलेरिया, चिकनगुनिया, डेंगू-मलेरिया से बचाव कर सकते हैं। 

लायंस क्लब ऑफ भागलपुर सिल्क सिटी के संजय कुमार ने कहा कि नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग के बूते हम मच्छरजनित बीमारियों से नहीं निपट सकते हैं। इसके लिए समाजसेवी संगठनों को लोगों को जागरूक करना होगा। तभी बचाव संभव है। 
लायंस क्लब ऑफ भागलपुर सिल्क सिटी के उज्जैन कुमार मालू ने कहा कि फॉगिंग पर नगर निगम ध्यान दें और मच्छरों के बचाव के लिए अभियान हमें अपने घर से शुरू करना होगा। 

फिजिशियन डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि आसपास स्वच्छता का वातावरण बनाने, नियमित फॉगिंग व छिड़काव और बेहतर जांच-इलाज की व्यवस्था के जरिये हम मच्छरजनित बीमारियों पर काबू पा सकते हैं। 

सामाजिक कार्यकर्ता प्रज्ञा पारामिता ने कहा कि परहेज के जरिये हम मच्छरजनित बीमारियों का उन्मूलन कर सकते हैं। संवाद को प्रीति पांडेय, मानवाधिकार कार्यकर्ता सूरज शर्मा, कलवार समाज से जुड़े मुन्ना, जयप्रकाश भगत, समाजसेवी मनीष मिश्रा, मनीष कुमार दास, मो. मंजर आलम साह, वार्ड पार्षद अरशदी बेगम, बबीता देवी, मायागंज अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. असीम कुमार दास व उप नगर आयुक्त सत्येंद्र प्रसाद वर्मा मच्छरजनित बीमारियों से बचाव के लिए मिलजुलकर आपसी समन्वय, जनजागरूकता अभियान व नियमित फॉगिंग कराये जाने पर जोर दिया। 
 

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