लोकसभा चुनाव फ्लैशबैक: कोसी और सीमांचल में 63 वर्षों में 19 महिलाएं बनी प्रत्याशी
कोसी-सीमांचल में 63 वर्षों में 16 लोकसभा चुनाव के दौरान अबतक 19 महिलाओं ने चुनाव में किस्मत आजमायी है। इन महिलाओं में केवल तीन पर ही राष्ट्रीय पार्टी ने दांव लगाया जिसमें दो ने संसद तक का सफर तय...
कोसी-सीमांचल में 63 वर्षों में 16 लोकसभा चुनाव के दौरान अबतक 19 महिलाओं ने चुनाव में किस्मत आजमायी है। इन महिलाओं में केवल तीन पर ही राष्ट्रीय पार्टी ने दांव लगाया जिसमें दो ने संसद तक का सफर तय करने में कामयाबी भी हासिल की। ज्यादातर महिलाओं ने अपनी दमखम पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव दंगल में उपस्थिति दर्ज करायी।
किसी महिला ने अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं की
मगर किशनगंज के सीट से आज तक किसी महिला ने अपनी उम्मीदवारी पेश नहीं की है। सबसे पहले साल 1977 में पूर्णिया लोकसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर माधुरी सिंह ने चुनौती दी। उन्हें उस साल भारतीय लोकदल के उम्मीदवार लखनलाल कपूर ने शिकस्त देकर दूसरे नंबर पर पहुंचा दिया। मगर इसके बाद उन्होंने इसी सीट से लगातार 1980 एवं 1984 में जीत हासिल कर संसद पहुंची। एक बार 1989 के चुनाव में इस सीट पर मो. तस्लीमुउद्दीन के कब्जा जमाने से उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। हालांकि इसी साल यहां से एक और महिला उम्मीदवार निर्मला देवी ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमायी थी।
चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं
वहीं साल 1991 में कटिहार की सीट से निर्दलीय प्रत्याशी शारदा देवी और 1996 में निर्मलारानी दास चुनाव मैदान में कूदी। लेकिन चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकीं। इसके बाद 1998 में अररिया लोकसभा सीट से आरजेडी की टिकट पर गीता देवी ने मजबूत दावेदारी पेश की मगर उस चुनाव में बीजेपी के रामजी दास से चुनाव हारकर दूसरे नंबर पर रहीं।
कोसी-सीमांचल से एकमात्र पूर्णिया की सीट पर महिला उम्मीदवार
इसके बाद 1999 के चुनाव में कोसी-सीमांचल से एकमात्र पूर्णिया की सीट पर आशा देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरीं। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भी सिर्फ पूर्णिया लोकसभा सीट पर दो महिलाओं ने दावेदारी पेश की। इसमें से एक माधवी सरकार थीं जिन्हें सीपीआईएमएल ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा। वहीं नीलम देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव के मैदान में खड़ी थी। उस चुनाव में बीजेपी की टिकट से उदय सिंह विजयी घोषित हुए थे।
रंजीत रंजन ने जदयू के दिनेश चंद्र यादव को शिकस्त दी
दूसरी तरफ सहरसा लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी की उम्मीदवार रंजीत रंजन ने जदयू के दिनेश चंद्र यादव को शिकस्त देकर संसद तक का सफर किया। इसके बाद 2009 के चुनाव में कोसी-सीमांचल की चार लोकसभा सीटों से नौ महिला प्रत्याशी चुनावी समर का हिस्सा बनी और अपनी मजबूत दावेदारी पेश की। उस चुनाव में पूर्णिया सीट से सीपीआईएमएल की ओर से माधवी सरकार ने चुनाव लड़ा तो निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शांति प्रिया और कौशल्या देवी ने अपनी मौजूदगी का एहसास कराया।
2014 के चुनाव में सुपौल सीट से कांगेस के हाथ रही चुनावी बाजी
इसी तरह सुपौल से कांगेस की टिकट पर रंजीत रंजन और इडियन जस्टिस पार्टी की ओर से मंजू देवी ने चुनाव मैदान में डटकर मुकाबला किया। वहीं कटिहार में एबीजेएस की ओर से मीना देवी और निर्दलीय फूलो देवी ने चुनाव लड़ा। उधर अररिया में सीपीआईएमएल की कमली देवी और निर्दलीय साधना देवी ने भी चुनाव मैदान में अन्य प्रत्याशियों को टक्कर दी। सोलहवीं यानी साल 2014 के चुनाव में सुपौल सीट से कांगेस की ओर से रंजीता रंजन ने चुनाव की बाजी जीतकर जदयू के दिनेश्वर कामती को दूसरे नंबर पर पहुंचाया। इसी साल अररिया से सरबतजरे अंसारी, कटिहार से फूलमनी हेम्ब्रम और मधेपूरा से मीना देवी ने चुनावी मैदान में दस्तक दी।
दो महिलाएं संसद तक का सफर तय कर पाईं
उम्मीदवार सीट वर्ष पार्टी
माधुरी सिंह पूर्णिया 1977,80,84,89 कांगेस
निर्मला देवी पूर्णिया 1989 निर्दलीय
शारदा देवी कटिहार 1991 निर्दलीय
निर्मलारानी दास कटिहार 1996 निर्दलीय
गीता देवी अररिया 1998 आरजेडी
नीलम देवी पूर्णिया 2004 निर्दलीय
माधवी सरकार पूर्णिया 2004,09 सीपीआई एमएल
रंजीता रंजन सहरसा 2004 एलजेएनएसपी
रंजीता रंजन सुपौल 2009, 14 कांगेस
कौशल्या देवी पूर्णिया 2009 निर्दलीय
मंजू देवी सुपौल 2009 आईजेपी
मुन्नी देवी कटिहार 2009 एबीजेएस
फूलो देवी कटिहार 2009 निर्दलीय
कमली देवी अररिया 2009 सीपीआई
एमएलए
शारदा देवी अररिया 2009 निर्दलीय
सरबतजरे अंसारी अररिया 2014 निर्दलीय
फूलमनी हेम्ब्रम कटिहार 2014 निर्दलीय
मीना देवी मधेपुरा 2014 निर्दलीय