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मधेपुरा: राजस्व महाभियान में नजर आ रहे कुसहा त्रासदी के जख्मे पाए

मधेपुरा: राजस्व महाभियान में नजर आ रहे कुसहा त्रासदी के जख्मे पाए

संक्षेप: ग्वालपाड़ा में डिजिटाइजेशन के दौरान हुई गड़बड़ियों से भूस्वामियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 2008 की कुसहा त्रासदी में कागजात नष्ट हो गए थे और अब उन्हें जमीन के केवाला, खतियान और लगान रसीद...

Sun, 31 Aug 2025 06:30 PMNewswrap हिन्दुस्तान, भागलपुर
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ग्वालपाड़ा, निज प्रतिनिधि। डिजिटाइजेशन के दौरान की गई गड़बड़ी से भूस्वामियों को निजात दिलाने के लिए फिलहाल पूरे सूबे में राजस्व महाभियान जारी है। जमाबंदी में गड़बड़ी को दूर करने के लिए लोग चक्कर लगा रहे हैं। शिविर में लोगों से निर्धारित प्रपत्र के साथ जमीन का केवाला या खतियान और लगान रसीद की मांग की जा रही है। लेकिन विडंबना यह है कि लोग चाह कर भी जरूरी कागजात पेश नहीं कर पा रहे हैं। लोगों का कहना है कि वर्ष 2008 में कुसहा त्रासदी के दौरान कागजात नष्ट हो गया। त्रासदी से उबरने के बाद किसी तरह केवाला और खतियान की प्रति हासिल कर लिया।

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लेकिन लगान रसीद का नकल उपलब्ध नहीं हो पाया। अब गड़बड़ी को दूर करने के लिए उनसे केवाला या खतियान के साथ ही लगान रसीद की भी मांग की जा रही है। ऐसे में लोगों को यह डर सताने लगा है कि अगर लगान रसीद की अनिवार्यता समाप्त नहीं की गई तो उन्हें जमीन से हाथ धोना पड़ सकता है। लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे इन मुश्किलों से निजात पाया जाय। अगर कागजात के अभाव में गड़बड़ी में सुधार होने की कोई उम्मीद नजर नहीं आए तो भूस्वामियों को चिंता होना लाजमी ही है। गौरतलब है कि वर्ष 2008 में कुसहा के समीप कोसी नदी का पूर्वी बांध टूट गया था। बांध टूटने के बाद लाखों क्यूसेक पानी घनी आबादी में फैल गया था। इससे जलप्रलय की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। प्रखंड क्षेत्र में प्रलय से जानमाल का भारी नुकसान हुआ था। लोग जान बचाने के लिए घर - बार छोड़ कर महीनों तक ऊंचे स्थानों पर शरण लेने के लिए मजबूर हो गए थे। जलस्तर घटने के बाद लौट कर घर आने पर घर का केवल ढांचा शेष बचा था। टेमाभेला वार्ड 3 के रामचंद्र यादव, टेमाभेला वार्ड 9 भटोतर टोला के रमेश ऋषिदेव, विषवाड़ी पंचायत के झंझरी वार्ड 10 के रामलखन यादव, संतोष आशुतोष सहित कई भूस्वामियों ने बताया कि सरकारी मुलाजिमों द्वारा डिजिटाइजेशन में गड़बड़ी की गई है, खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। लोगों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन को लगान रसीद की अनिवार्यता में ढील दी जानी चाहिए। इस संबंध में चर्चा करने पर सीओ देवकृष्ण कामत ने बताया कि अभियान के दौरान इस बात का विशेष खयाल रखा जा रहा है कि भूस्वामियों को कोई परेशानी नहीं हो। हालांकि लगान रसीद की अनिवार्यता के संबंध में वे कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए।