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जमीन का गोरखधंधा : भागलपुर में 25 हजार खेसरा का नंबर लॉक

लॉक नंबर को खोलने के नाम पर दलाल कर रहे काली कमाई रजिस्ट्री ऑफिस

जमीन का गोरखधंधा : भागलपुर में 25 हजार खेसरा का नंबर लॉक
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,भागलपुरTue, 12 Jul 2022 01:21 AM
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भागलपुर। वरीय संवाददाता

भागलपुर में कुछ जमीन माफिया और दलाल रजिस्ट्री ऑफिस में लॉक खेसरा को खोलने के नाम पर जमकर कमाई कर रहे हैं। काली कमाई में राजस्व से लेकर निबंधन कर्मचारियों की मिलीभगत रहती है। इसकी भनक संबंधित विभागों के अफसरों को भी नहीं मिल पाती है, लेकिन जमीन खरीदने के इच्छुक लोग लॉक हुए खेसरा को दोबारा खुलवाने के लिए निबंधन या सीओ कार्यालय की दौड़-धूप के बदले दलाल को ही मुंहमांगी रकम देकर काम चलाने को विवश हैं।

लोगों को परेशानी होती है लेकिन पैसा नहीं लिया जाता:

भागलपुर में करीब 25 हजार खेसरा का नंबर अभी रजिस्ट्री विभाग की साइट पर लॉक है। यह लॉक विभाग की रिपोर्ट के आधार पर किया जाता है। केंद्र या बिहार सरकार की जमीन को लेकर संबंधित सीओ की रिपोर्ट पर यह लॉक किया जाता है। प्रवर्तन निदेशालय या सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसी की रिपोर्ट पर भी यहां कुछ संपत्तियों का खेसरा लॉक किया गया है। हालांकि रजिस्ट्रार परेशानी की बात स्वीकारते हैं लेकिन कार्यालय कर्मियों से पैसे वसूली की बात से इंकार करते हैं।

जानबूझकर तकनीकी गड़बड़ी कंप्यूटर में की जाती है:

पीड़ित बताते हैं कि कंप्यूटर में जानबूझकर तकनीकी गड़बड़ी की जाती है। इससे लॉक सूची में किसी एक खाता का खेसरा डालते ही उस नंबर के सभी खेसरा लॉक हो रहे हैं। जैसे यदि 9 नंबर खाता का खेसरा नंबर 90 लॉक किया गया तो सभी खाता के 90 नंबर खेसरा लॉक हो जा रहे हैं। उसके बाद रोक सूची से खेसरा हटाने के लिए सौदेबाजी शुरू होती है।

अब सीओ सीधे निबंधन विभाग को देते हैं पत्र:

रिटायर्ड राजस्व कर्मी बताते हैं कि सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री पहले सीओ की रिपोर्ट पर अपर समाहर्ता प्रतिबंधित खेसरा की सूची बनाते थे। अब सीओ सीधे निबंधन विभाग को पत्र लिखकर खेसरा लॉक कराते हैं। रजिस्ट्री कार्यालय के कंप्यूटर में सूची फीड कर इसे लॉक की जाती है। खेसरा नंबर सूची लॉक होने के बाद खरीद-बिक्री में कंप्यूटर स्वीकार नहीं करता है। फिर पीड़ितों की दौड़-धूप शुरू हो जाती है। नियमत: अपर समाहर्ता की अध्यक्षता वाली टीम को समीक्षा कर लॉक से खेसरा मुक्त करने का आदेश देना है। लेकिन रजिस्ट्रार के पत्र के बाद सीओ सीधे इसकी रिपोर्ट करते हैं।

कोट

एडीएम, डीसीएलआर, सीओ, ईडी, सीबीआई या कोर्ट के निर्देश के बाद ही स्कोर में खेसरा लॉक किया जाता है। यह सही है कि एक खेसरा लॉक करते ही उससे जुड़े सभी खाता लॉक हो जाता है। ऐसे में अनलॉक कराने के लिए संबंधित पक्ष उन्हें आवेदन देते हैं। जिसकी जांच के बाद सीओ को अनलॉक करने की सहमति के लिए पत्र दिया जाता है। पीड़ित के आवेदन की जांच के बाद सीओ रजिस्ट्री विभाग को पत्र देते हैं और खेसरा अनलॉक हो जाता है। इसके एवज में कोई कर्मी यदि पैसे की मांग करता है तो इसकी बजाप्ता लिखित शिकायत होनी चाहिए। कर्मियों पर कार्रवाई होगी।

- डॉ. पंकज कुमार बसाक, रजिस्ट्रार।

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