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रेल मंडल के दो रेल अस्पतालों में निगरानी की रेड, रेलवे के डीएमओ पर गिरी गाज

सहायक लोको पायलट के मेडिकल में पास करने के लिए संबंधित जांचकर्मी व अधिकारियों द्वारा पैसे मांगने के आरोप लगते ही निगरानी विभाग की टीम की छापेमारी रेल मंडल की दो रेल अस्पतालों में देर रात करीब रात 12...

रेल मंडल के दो रेल अस्पतालों में निगरानी की रेड, रेलवे के डीएमओ पर गिरी गाज
कटिहार। एक संवाददाताWed, 10 Jul 2019 03:29 PM
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सहायक लोको पायलट के मेडिकल में पास करने के लिए संबंधित जांचकर्मी व अधिकारियों द्वारा पैसे मांगने के आरोप लगते ही निगरानी विभाग की टीम की छापेमारी रेल मंडल की दो रेल अस्पतालों में देर रात करीब रात 12 बजे तक छापेमारी होती रही। 

एक डॉक्टर की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पायी है। कटिहार रेलमंडल के विभागीय स्तर पर मालीगांव से भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर संबंधित डीएमओ डॉ. आरके सिंह को निलंबित कर दिया गया है। सीनियर डीसीएम विवेकानंद द्विवेदी ने बताया कि एनजेपी एवं कटिहार रेल अस्पतालों में निगरानी विभाग की छापेमारी हुई है। छापेमारी से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर डॉ. आरके सिंह की अनियमितता सामने आने पर उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

रेल और स्वास्थ्य विभाग में मचा है हड़कंप
कटिहार स्थित रेलवे अस्पताल से संबंधित रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। रिपोर्ट प्राप्त होते ही संबंधित स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई तय है। जांच के बाद कई रेलवे स्वास्थ्यकर्मियों व डॉक्टरों को डीआरएम कार्यालय ले गये। पूछताछ के बाद सभी स्वास्थ्यकर्मियों को छोड़ दिया गया है। जांच में निगरानी विभाग को आधा दर्जन से अधिक स्वास्थ्यकर्मियों की संलिप्ता सामने आई है। रेलवे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है और तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है।

अभ्यर्थियों ने रेलवे बोर्ड व जोनल अधिकारियों से की थी शिकायत
कटिहार रेल मंडल क्षेत्र के रेलवे अस्पतालों में सहायक लोको पायलट का मेडिकल जांच चल रही है। जांच के क्रम में कुछ अभ्यर्थियों ने यह शिकायत रेलवे बोर्ड और जोनल स्तरीय अधिकारियों को यह शिकायत की थी कि मेडिकल जांच के क्रम में जांच सही तरीके से नहीं हो रहा है। जांच के लिए कभी कल तो कभी परसों आने के लिए कहा जा रहा है। आंख सही रहने पर भी उसे खराब बताया जा रहा है। कुछ अभ्यर्थियों द्वारा मेडिकल जांच के लिए पैसे की मांग करने का आरोप लगाया था। इस आरोप की सत्यता को जांचने के लिए निगरानी विभाग द्वारा डमी अभ्यर्थी को भेजा गया था। डमी अभ्यर्थी से जब जांच के लिए जांच के लिए पैसे की मांग की गई तो उन्होंने पैसे दे दिया और उसकी शिनाख्त कर ली।

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