जिउतिया व्रत में आज व्रती करेंगी निर्जला उपवास
गंगा घाटों पर उमड़ी व्रती महिलाओं की भीड़ परंपरा के अनुसार व्रतियों ने नहाय-खाय की

भागलपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। जिउतिया व्रत शनिवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। आज व्रती महिलाएं निर्जला व्रत रख अपने पुत्र की दीर्घायु, सलामती और सुख-समृद्धि की कामना करेंगी। जिउतिया व्रत को लेकर शनिवार को गंगा स्नान करने के लिए सुबह से ही व्रती महिलाओं की भीड़ रही। शहर के बरारी पुल घाट, सीढ़ी घाट, बूढ़ानाथ घाट सहित अन्य गंगा घाटों पर भीड़ देखने को मिली। गंगा में स्नान के बाद व्रती महिलाओं ने घाट पर ही पूजा-अर्चना की और एक-दूसरे को सिंदूर लगाई। परंपरा के अनुसार व्रत के पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा निभाई, जिसमें महिलाएं सात्विक भोजन ग्रहण की।
इसके उपरांत ओठगन की परंपरा निभाते हुए निर्जला उपवास रविवार को करेंगी। व्रती महिलाएं कई तरह के फल, खज्जी, ठेकुआ, मिठाई, खीरा, पान, सुपाड़ी, सिंदूर आदि पूजा सामग्री से डलिया भरकर पूजा-अर्चना करेंगी और सोमवार को पारण के साथ व्रत का समापन करेंगी। वहीं, गंगा स्नान के लिए पहुंची व्रती महिलाएं निशा देवी, गीता देवी, गुड़िया देवी, मीरा देवी, अंजली देवी ने बताया कि वे कई वर्षों से इस परंपरा को निभाती आ रही हैं। उन्होंने कहा कि जिउतिया व्रत झिंगली के पत्तों पर पूजा करने का विधान है। व्रती महिलाएं रविवार को डलिया भरने की परंपरा निभाएंगी, जिसमें फल, पकवान और मिठाई से भरकर पुत्र की दीर्घायु एवं सुख-समृद्धि की कामना करेंगी और निर्जला उपवास पर रहेंगी। बाजारों में डलिया व पूजा सामग्री की खूब हुई खरीदारी जिउतिया व्रत को लेकर शनिवार को शहर के बाजारों में व्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाओं ने डलिया, ठेकुआ, खज्जी, पान, सुपारी, सिंदूर और फलों की खरीदारी की। बाजार में डलिया 50 रुपये प्रति पीस, ठेकुआ और खज्जी 120 रुपये प्रति किलो तक बिके। वहीं खीरा 60 रुपये किलो, नारियल 50 रुपये प्रति पीस, अमरूद 60 रुपये किलो, सेब 100 से 140 रुपये किलो और केला 30 से 70 रुपये प्रति दर्जन की दर से बेचे गए। व्रती वहीं विक्रेताओं ने बताया कि पर्व को लेकर बिक्री सामान्य दिनों की अपेक्षा अधिक रहती है। कल व्रती सुबह 6:27 बजे के बाद करेंगी पारण जिउतिया व्रत को लेकर जगन्नाथ मंदिर के पंडित सौरभ कुमार मिश्रा ने बताया कि बनारसी पंचांग के अनुसार ओठगन का शुभ-मुहूर्त रविवार को सुबह 4:00 बजे से 5:50 बजे तक है, लेकिन इसे सूर्योदय से पहले ही करना चाहिए। वहीं अष्टमी तिथि रविवार सुबह 8:41 बजे से सोमवार सुबह 6:27 बजे तक रहेगी। इस लिए व्रती महिलाएं रविवार को उपवास में रहेंगी और सोमवार को सुबह 6:27 बजे के बाद पारण करेंगी। वहीं, बूढ़ानाथ मंदिर के पंडित निशाकर मिश्रा उर्फ चुन्नी बाबा ने बताया कि जिउतिया पर्व से जुड़ी तीन कथाएं प्रचलित हैं। इनमें पहली कथा चील और सियारिन की है, दूसरी जीमूतवाहन से संबंधित और तीसरी कथा महाभारत काल से जुड़ी है।
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