किसान की जरूरत के अनुसार मशीन बना रहा आईआईटीयन
बैटरी चालित अभी तक कई तरह के मशीन बना चुके हैं अजीत इनके कुछ मशीन
बैटरी चालित अभी तक कई तरह के मशीन बना चुके हैं अजीत
इनके कुछ मशीन पेटेंट भी हो चुके हैं
11 से 40 हजार तक के हैं इनके मशीन
स्प्रेयर, फसल काटने के यंत्र सहित कई तरह के यंत्र बना चुके हैं अजीत
कुछ ही दिनों में इसके लागत हो जाते हैं वसूल
सभी यंत्र बैटरी चालित होने के कारण प्रदूषण मुक्त हैं
डीजल, पेट्रोल नहीं लगने से इस पर खर्च भी आता है कम
आईआईटी खड़गपुर के छात्र रह चुके हैं अजीत
कहलगांव में यह बीटेक पत्नी के साथ है कर रहे हैं काम
स्प्रेयर, ब्रश कटर,
एआई आधारित खेत रखवाली एवं आवारा पशु एवं चोरों से रखवाली करने वाला यंत्र भी बनाया जो अबतक रखवाली में सबसे आधुनिक यंत्र हैं
भागलपुर ' वरीय संवाददाता
कई वर्षों तक टाटा मोटर्स एवं अन्य मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद आईआईटियन अजित कुमार किसानों की आवश्यकता के अनुसार कई बैटरी चलित नवीन उपकरण का अविष्कार किया जिससे किसानों को बहुत सारी सुविधाएँ मिल रही है। लेबर खर्च के साथ खेती की लागत में बहुत बचत हो रही है। इसके अलावा इंसेक्टिसाइड-पेस्टिसाइड पर खर्च में बचत तो हो रही है और ये उपकरण किसानों की आय बढाने में बहुत ही मददगार साबित हो रहे हैं | उनके साथ उनकी पत्नी अलका रंजन सिंह भी काम करती हैं जो कंप्यूटर साइंस से बीटेक हैं। इसके लिये उन्होंने कहलगांव में ने अपना स्टार्टअप खोल दिया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में चलने वाले 'सबौर एग्रीकल्चर इन्क्यूवेटर' के माध्यम से उन्होंने स्टार्टअप शुरू करने में मदद ली है।
उन्होंने 2019 से यहां इस तरह के काम की शुरुआत की और कहलगांव में 2020 में स्टेपिफाई लैब्स के नाम से एक एग्रीटेक स्टार्टअप शुरू किया और यहीं पर कृषि के लिए नये तरह के उपकरणों को डिजायन किया बल्कि उनका उत्पादन भी यहीं करते हैं। उन्होंने 2021 से इन यंत्रों का उत्पादन शुरू किया। उनके इन उपकरणों को अभी देश के 22 राज्यों सहित नेपाल के किसान भी कर रहे हैं।
पेटेंट भी करा चुके हैं अपने यंत्र
अजीत ने अपने कुल तीन उत्पदों को पेटेंट कराया है। जिसमें स्प्रेयर को उसके गुण के कारण पेटेंट कराया गया है। इसके अलावा खेत रखवाली यंत्र को पेटेंट कराया गया है। यह आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करता है। यह यंत्र खेती को जानवरों के साथ-साथ चोरों से भी रखवाली करता है। इस मशीन को समस्तीपुर के पूसा स्थित डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विवि ने अजीत से खरीदा है और इसपर शोध कर रहा है। बड़ा ब्रश कटर पेटेंट है जो दिन भर भी चलने पर गर्म नहीं होता है। इसके अलावा दो छोटे ब्रश कटर इंडस्ट्रीयल डिजायन रजिस्टर्ड है। बोलचाल में इसे डिजायन पेटेंट भी कहते हैं। इन दोनों यंत्रों को उनके डिजायन के लिये पेटेंट किया गया है।
11 से 40 हजार में हैं ये यंत्र
अभी तक अजीत ने कुल नौ तरह के मशीन को डिजायन किया है। ये सभी मशीन 11 से 40 हजार रुपये के बीच की कीमत में हैं। अजीत ने बताया कि इन मशीनों का कुछ दिन के इस्तेमाल में ही लागत वसूल हो जाता है।
प्रदूषण मुक्त रखने वाले हैं ये यंत्र
इनके सभी यंत्र प्रदूषण मुक्त वारावरण के कॉन्सेप्ट पर आधारित है। उनके सभी यंत्र बैट्री चालित हैं जो बिजली या सोलर पैनल से चार्ज हो जाते हैं। अजीत ने बताया कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुये सभी यंत्रों को बैट्री चालित बनाया गया है। किसी भी में पेट्रोल, डीजल आदि इंधन की जरूरत नहीं है। जिससे प्रदूषण नहीं होता है और वातावरण सुरक्षित रहता है। खास बात है कि इसके कारण किसानों को इसके इस्तेमाल से लागत कम हो जाती है।
दस लोगों को मिला रोजगार
उन्होंने बताया कि उनके मशीन निर्माण फैक्ट्री में दस लोगों को रोजगार मिला है। वह कई और मशीनों को डिजायन कर रहे जिसमें उनकी पत्नी भी काम कर रही हैं।
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