इमरजेंसी का शिशु वार्ड पीजी विभाग में ले गए अध्यक्ष
मायागंज अस्पताल इमरजेंसी में पड़े रेडिएंट वार्मर और बेड पर धूल जमा जिम्मेदार बोले,...
भागलपुर, कार्यालय संवाददाता
आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने शुक्रवार के अंक में पेज नंबर चार पर इमरजेंसी तो खुला पर शिशु वार्ड के दरवाजे अब भी बंद शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी शिशु वार्ड बंद होने की खबर प्रकाशित होने के बाद पीजी शिशु रोग विभाग के जिम्मेदारों में खलबली मच गयी।
शुक्रवार को अध्यक्ष डॉ. आरके सिन्हा ने विभागीय डॉक्टरों के साथ बैठक करने के बाद अपना जवाब भेजा कि इमरजेंसी शिशु वार्ड को बंद नहीं किया गया, बल्कि पीजी शिशु रोग विभाग में ले जाया गया है। हालांकि शुक्रवार को भी इमरजेंसी स्थित इमरजेंसी शिशु वार्ड के कक्ष पर ताला लटका हुआ था। अंदर छह रेडिएंट वार्मर व 10 बेड पर पहले की ही तरह ही धूल जमे हुए थे। डॉ. आर के सिन्हा ने कहा कि मैंने एनएमसी इंस्पेक्टर के रूप में राज्य के बाहर के मेडिकल कॉलेजों में निरीक्षण के दौरान पाया कि वहां पर संबंधित विभाग में ही इमरजेंसी वार्ड का संचालन किया जाता है। यहां तक कि मायागंज अस्पताल के स्त्री व प्रसूति रोग विभाग की इमरजेंसी भी दशकों से विभाग में ही संचालित किया जा रहा है। इस व्यवस्था से मरीजों का इलाज करने में सुविधा होती है। चूंकि विभागाध्यक्ष की जवाबदेही है कि इमरजेंसी वार्ड कहां चले और कहां नहीं। इस आधार पर हमने पीजी शिशु रोग विभाग में इमरजेंसी शिशु वार्ड को लोकहित में शुरू किया। उन्होंने बताया कि सात से लेकर 25 जून तक पीजी शिशु रोग विभाग के इमरजेंसी शिशु वार्ड में 139 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया गया। वहीं स्वास्थ्य सूत्रों की मानें तो इसके पूर्व जून के पहले सप्ताह में विभागाध्यक्ष शिशु रोग विभाग ने इमरजेंसी शिशु वार्ड को जो कि नर्सों के चेजिंग रूम के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था को अपने अधीन करने का आग्रह अस्पताल अधीक्षक से किया था। उन्होंने विभागाध्यक्ष के आग्रह को स्वीकार करते हुए इमरजेंसी शिशु वार्ड को उनके हवाले करने का निर्देश जारी किया था, लेकिन इस आदेश को अगले ही दिन वापस कर लिया गया। तभी से इमरजेंसी के शिशु वार्ड को बंद कर दिया गया।