बाल सुधार गृह में मारपीट मामले में गीतांजलि प्रसाद की याचिका खारिज
भागलपुर, कार्यालय संवाददाता जीरोमाइल थानाक्षेत्र स्थित बाल सुधार गृह भागलपुर में रह रहे बच्चों...

भागलपुर, कार्यालय संवाददाता
जीरोमाइल थानाक्षेत्र स्थित बाल सुधार गृह भागलपुर में रह रहे बच्चों के साथ मारपीट व यौनाचार आदि के मामले में बाल संरक्षण इकाई की पूर्व सहायक निदेशक गीतांजलि प्रसाद की अग्रिम जमानत याचिका को गुरुवार को कोर्ट ने खारिज कर दी। गीतांजलि प्रसाद ने बीते तीन सितंबर को स्पेशल पास्को कोर्ट में गिरफ्तारी से बचने के लिए जमानत याचिका दायर की थी। स्पेशल पाक्सो कोर्ट के जज आनंद कुमार सिंह के समक्ष बचाव पक्ष से अधिवक्ता रामकुमार मिश्रा और अभियोजन पक्ष से स्पेशल पीपी शंकर जय किशन मंडल ने बहस में भाग लिया।
सीबीआई के चार्जशीट में आया था गीतांजलि प्रसाद का नाम
गौरतलब है कि सितंबर-2017 में टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) द्वारा बाल गृह का सोशल ऑडिट किया गया था। इसमें बच्चों को प्रताडि़त करने का मामला प्रकाश में आया था। 18 जुलाई 2018 को मुख्यालय के निर्देश पर जीरोमाइल चौकी प्रभारी रंजन कुमार ने अपने बयान पर इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बिहार के सभी बाल और बालिका गृह मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंपा गया था। इसको लेकर सीबीआइ की टीम ने जनवरी 2019 के पहले सप्ताह में केस से संबंधित सारे कागजात लेने के लिए भागलपुर आई थी। टीम ने एसएसपी से भी मुलाकात की थी। जीरोमाइल पुलिस ने केस संबंधित सभी जांच की फाइल और एफआइआर सीबीआइ को सौंप दिया था। पुलिस ने बाल गृह से जुड़े सारे सबूत भी सीबीआइ को सौंप दिया था। फिर बाल गृह में बच्चों को प्रताडि़त करने मामले की जांच सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टीगेशन (सीबीआइ) ने शुरू कर दी। सीबीआइ ने दिल्ली में बाल गृह का संचालन करने वाली रूपम प्रगति समाज समिति संस्था के पदाधिकारियों पर 19 जनवरी 2019 को प्राथमिकी दर्ज कर की थी। सीबीआई की चार्जशीट में जब बाल गृह की पूर्व सहायक निदेशक गीतांजलि प्रसाद का नाम आया तो वह गिरफ्तारी के डर से फरार हो गयी थी।
पूर्व अधीक्षक की हो चुकी है गिरफ्तारी
इस मामले में जीरोमाइल पुलिस ने पूर्व अधीक्षक प्रदीप शर्मा पांच अगस्त 2019 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। वह सजौर के राधानगर का रहने वाला है। जिस समय टीआइएसएस ने सोशल ऑडिट किया था। उस समय बाल गृह का अधीक्षक प्रदीप शर्मा था। ऑडिट में बच्चों से जानकारी मिली थी कि अधीक्षक बाल गृह के भीतर पीटते हैं। वहां के अधीक्षक, गृह पिता और केयर टेकर समेत अन्य कर्मियों पर मारपीट, प्रताडऩा और वित्तीय अनियमितता संबंधी आरोप लगा था। जिलाधिकारी और एसएसपी की जांच के दौरान भी बच्चों ने प्रताडि़त करने की बात बताई थी।
शिकायत पेटी के पत्रों से टीआइएसएस को मिली थी जानकारी
सोशल ऑडिट के दौरान टीआइएसएस के अधिकारियों ने बाल गृह में लगे शिकायत पेटी की जांच की थी। जांच के समय पहले के बाल गृह प्रबंधन ने शिकायत पेटी की चाबी देने में आनाकानी की। लेकिन जब उन लोगों पर दबाव बनाया गया तो चाबी मिली। इसके बाद शिकायत पेटी खोली गई तो उसमें दो दर्जन से अधिक पत्र मिले। जो वहां के बच्चों ने लिखकर उसमें डाले थे। पत्र में बच्चों ने बाल गृह के अंदरूनी हालातों के बारे में काफी बातें लिखी थी। जिससे वहां की व्यवस्था की सारी पोल खुल गई। पत्र में लिखा था कि वहां बच्चों से जबरन काम कराया जाता है। मारपीट करने के साथ कई तरह से यातनाएं दी जाती थी।
